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- मन और शरीर की रचना आपस में एक दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करने के लिये हुई है. यदाकदा मन शरीर से अलग और शरीर मन से अलग कार्य करते हैं.
- एक मिनिट वासनात्मक कपोल कल्पना में बिताना चार से छ: मिनिट तीव्र गति से सोचने के तुल्य है. इसका मतलब यह भी है कि दस मिनिट वासना में लिप्त रहने पर एक घंटे की यौनक्रिया के तुल्य रासायनिक परिवर्तन मानव शरीर में संभावित है.
- वासनात्मक कपोलकल्पना में लिप्त रहता है तो उसके शरीर में जो रासायनिक परिवर्तन होते हैं वे उसको नुक्सान पहुंचा सकते हैं क्योंकि मन सामान्य से दस गुना तेजी से उड रहा है और सामान्य निवृत्ति न होने के कारण शरीर अपने में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का नुक्सान उठा रहा है.
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