- सेकुलरों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि जब हिन्दुत्ववादी संगठन कुछ भी कहते हैं तो वे इसे दुष्प्रचार, साम्प्रदायिक झूठ आदि की संज्ञा दे देते हैं, समस्या को समस्या मानते ही नहीं, रेत में सिर दबाये शतुरमुर्ग की तरह पिछवाड़ा करके खड़े हो जाते हैं। लव जेहाद के बारे में सबसे पहले हिन्दुत्ववादी संगठनों ने ही आवाज़ उठाई थी, लेकिन हमेशा की तरह उसे या तो हँसी में टाला गया या फ़िर उपेक्षा की गई। अब आज जबकि कर्नाटक और केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश खुद इसकी जाँच के आदेश दे रहे हैं तब इनकी बोलती बन्द है।
- हाल ही में "नक्सलवादियों की चैम्पियन बुद्धिजीवी"(?) अरुंधती रॉय ने बयान दिया कि "जब राज्य सत्ता किसी व्यक्ति की सुन ही नही रही हो, और उस पर अन्याय और अत्याचार जारी रहे तो उसका बन्दूक उठाना जायज़ है…", फ़िर तो इस हिसाब से कश्मीर के विस्थापित हिन्दुओं को सबसे पहले हथियार उठा लेना चाहिये था, क्या तब नोबल पुरस्कार विजेता उनका साथ देंगी? जी नहीं, बिलकुल नहीं, क्योंकि यदि हिन्दू "प्रतिकार" करे तो वह घोर साम्प्रदायिकता की श्रेणी में आता है, ऐसी गिरी हुई मानसिकता है इन सेकुलर लुच्चों-टुच्चों की।
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Friday, October 30, 2009
महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): ईसाई संगठन का यह न्यूज़लेटर साम्प्रदायिक है या मनगढ़न्त? KCBC Newsletter Kerala Love Jihad
महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): ईसाई संगठन का यह न्यूज़लेटर साम्प्रदायिक है या मनगढ़न्त? KCBC Newsletter Kerala Love Jihad
2009-10-30T16:40:00+05:30
Common Hindu