Tuesday, October 20, 2009

visfot.com । विस्फोट.कॉम - राजमिस्त्री बनकर गुजारा कर रहा है एक दलित साहित्यकार

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    • दलित साहित्यकार मूलचंद मोघोनिया
    • 35 साल के मूलचंद ग्राम चीचली जिला नरसिंहपुर के रहने वाले है। अपने स्वतंत्रता संग्राम के लिए लड़ने वाले दादा से प्रेरित होकर वे दलित समाज व साहित्य की सेवा में युवावस्था से ही जुट पड़े । संत रविदास , कबीर ,गुरू घासीदास  के साहित्य और मानव सेवा को आधार बनाकर मूलचंद ने दलित व आदिवासी समाज के बीच चेतना जगाने और संगठित करने का काम किया । स्वयं दलित समाज से होने तथा क्षेत्र में दलित समाज की उपेक्षा को देखते हुए उन्होंने तमाम पत्र - पत्रिकाओं में काव्य , आलेख व बुंदेलखंड शैली के साहित्य का लेखन किया। नरसिंहपुर जिले में न सिर्फ दलित समाज को संगठित व जागरूक करने का पराक्रम किया साथ ही दलित साहित्य अकादमी व दलित समाज के राष्ट्रीय आयोजनों में हिस्सा लिया । स्वयं मूलचंद जी ने मध्यप्रदेश दलित साहित्यकार मंच की स्थापना कर उल्लेखनीय कार्य किया । साहित्य भूषण की मानद उपाधि प्राप्त यह साहित्यकार समाज सेवा व पत्रकारिता के लिए वर्ष 1994 में दिल्ली में दलित साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है । बात सम्मान की हो तो मेधोनिया के पास सम्मानपत्रों का ढेर लगा हुआ है, लेकिन इन सम्मानपत्रों के ढेर से तो गुजारा नहीं किया जा सकता।