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- धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर मोहम्मद यासीन (60 वर्ष) गेरुए वस्त्र धारण कर, माथे पर तिलक लगा, गले में रुद्राक्ष माला पहनकर विभिन्न मंदिरों में पिछले करीब 40 वर्षो से घूम-घूमकर विभिन्न स्थानों पर रामचरितमानस और गीता का सत्संग कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पिपराइच निवासी यासीन के मुताबिक इन पवित्र ग्रंथों में सीखने के लिए बहुत कुछ है, खासकर गीता और रामचरितमानस में मनुष्य के व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक आचरण का उल्लेख है।
यासीन हर सच्चे मुसलमान की तरह पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं। इन ग्रंथों के प्रति यासीन का झुकाव एक आकस्मिक दुर्घटना के कारण हुआ।
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Wednesday, November 25, 2009
मानस और गीता का सत्संग करते हैं यासीन - Oneindia Hindi
मानस और गीता का सत्संग करते हैं यासीन - Oneindia Hindi
2009-11-25T22:24:00+05:30
Common Hindu