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Kashmiri Pandit | घाटी के मंदिर में 20 वर्ष बाद पूजा
- बाहरी पुरोहितों पर एतराज : गौरतलब है कि संघर्ष समिति दरअसल उन कश्मीर पंडितों का संगठन है जिन्होंने 1990 में चरमपंथी गतिविधियाँ शुरू होने के बावजूद कश्मीर घाटी को नहीं छोड़ा है। घाटी छोड़ चुके पंडितों की संख्या के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन त्रिलोकी नाथ कहते हैं कि घाटी में रह रहे पंडितों की संख्या आठ हजार के आसपास हो सकती है।
स्थानीय पंडितों ने कश्मीरी मंदिरों में बाहरी पुरोहितों के दाखिले पर सरकार को एक स्मरण पत्र भी पेश किया है। समिति चाहती है कि इन मंदिरों में कश्मीरियों को ही पूजा और प्रबंध के अधिकार दिए जाएँ।
डॉक्टर त्रिलोकीनाथ कहते हैं, 'हमारी एक अलग क्षेत्रीय पहचान है। हमारे मंदिर में अलग तरह से पूजा होती है। हमें हमारे धर्म पर अपने स्थानीय अंदाज में अमल करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।'
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