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नक्सलियों को चाहिये 72 दिन जंगलो से बचकर भाग जाने के लिये.
असल में नक्सली आतंकी झारखंड और छत्तीसगढ़ के जिन जंगलो में छिपे हैं वो जंगल में मुख्यत: साल के पेड़ है. यह वह समय है जब साल के पेड़ों पर से पत्ते झड़ते हैं और जंगल के जंगल बेरंग हो जाते हैं. साल के घने वृक्षों में छिपे नक्सलियों के लिये एक-दो हफ्तों के बाद शरण दुर्लभ होने वाली है, क्योंकि अप्रेल-मई तक साल के वृक्षों में नये पत्ते नहीं आने वाले.
- अब वक्त है कि सरकार सही फैसला ले और नक्सलियों के खिलाफ संघर्ष को वह तेजी दे जो साल भर नहीं दी, ताकी नंगे होते जंगलों में छुपे नक्सलियों को वक्त रहते खत्म किया जा सके. यह वह दुर्लभ मौका है जो साल में एक बार आता है, और त्वरित कार्यवाही से निश्चित है बहुत से नक्सली कातिल पकड़े/मारे जा सकेंगे.
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