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निचली जातियों के भगवाकरण की नई मुहिम - Guest column - Vimarsh - LiveHindustan.com
- बद्री नारायण
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कबीर पंथ के साथ जितने भी अन्य आधुनिक पंथ विकसित हुए हैं, इन सबके पंथ प्रमुखों की एक बैठक मोहन भागवत जी ने लखनऊ सरस्वती शिशु मन्दिर में आयोजित की और सबसे हिन्दुत्व के प्रसार में लगने की अपील की।
दरअसल मोहन भागवत और संघ इस बात से चिंतित हैं कि एक तो उसके के कैडर कम होते जा रहे हैं, दूसरे दलित और पिछड़े वर्ग की राजनीति के उभार ने हिन्दुत्व की राजनीति के लिए कहीं बड़ा संकट खड़ा किया है। निचली और दलित जातियों में एक भाग जो पहले हिन्दुत्व के अभियान में शामिल था, वो अलग होता गया है। ऐसे में संघ प्रयासरत है कि किस प्रकार निचले तबकों और दलित जातियों को उनकी हिन्दुत्व की राजनीति से अधिक से अधिक जोड़ा जाए।
इस बैठक में जाति समाजों जैसे बाल्मीकि समाज, पासी समाज जैसे निचले समुदायों तथा दलित और पिछड़ों के बीच लोकप्रिय पंथ जैसे कबीर पंथ, वाल्मीकि पंथ वगैरह को बुलाया गया था। निरंकारी पंथ जैसे पंथ जो उत्तर भारत के शहरों में ही नहीं गांवों में भी पिछले दिनों दलित जातियों में लोकप्रिय हुए हैं, उन्हें भी आमंत्रित किया गया, ताकि इनके माध्यम से दलित और पिछड़ी जातियों को हिन्दुत्व की राजनीति से जोड़ा जा सके।
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बाजार, आधुनिकता और नई तकनीकि के कारण पिछले दिनों नगरों, स्लम्स, छोटे शहरों और कस्बों में लोकप्रिय हुए गायत्री परिवार, इस्कान, आर्ट ऑफ लिविंग तथा अयोध्या-राम जन्म भूमि आन्दोलन के प्रमुख नेता डॉ. राघवेश दास वेदान्ती को एक साथ इस मीटिंग में बैठाया गया।
इन सभी पंथों का एक साथ शामिल हो हिन्दुत्व के अभियान से जुड़ना उत्तर प्रदेश ही नहीं उत्तर भारत में संघ बीजेपी एवं बीएसपी की राजनीति के नये रुख के रूप में भी देखा जा सकता है। हालांकि कबीर पंथ (मिशन), आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्थाओं के लिए अपने कार्यक्रम के स्तर पर हिन्दुत्व के मजबूतीकरण के प्रयासों को जोड़ना एक नयी चुनौती होगी और असमंजस भी, क्योंकि इन पंथों के शिष्य अनेक धार्मिक समुदायों से आते हैं।
- लेखक समाज विज्ञानी हैं
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