न्योता मनमोहन को अटकलें राहुल की
राहुल गांधी का कद अब यूपीए में भी ऊंचा। यूपीए की पहली मीटिंग में मौजूद थे राहुल। प्रणव, एंटनी, चिदंबरम तो मंत्री। सोनिया यूपीए की चेयरपर्सन। बुध को दुबारा भी चुनी गई। सो मीटिंग में कांग्रेस के दो नुमाइंदे थे- ‘राहुल और अहमद पटेल।’ पटेल कांग्रेस अध्यक्ष के पालिटिकल सेक्रेट्री। वैसे भी जब गैर दलों के तीन-तीन मुस्लिम चेहरे हों। तो एक अपना भी होना चाहिए। यूपीए मीटिंग में बाकी तीन मुस्लिम चेहरे थे- ‘मुस्लिम लीग के ई. अहमद, इत्तेहदुल मुस्लमीन के असदुदीन ओवेसी और नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला।’ तीनों मंत्री बनेंगे। फारुख की अहम बात अपन बाद में बताएंगे। पहले बात राहुल की। मंत्री बनने से आनाकानी कर उदाहरण पेश किया। बात युवा चेहरे की चली। तो बताते जाएं- चौदहवीं लोकसभा का चुनाव हुआ। तो राहुल, नवीन जिंदल, सचिन, जतिन, मिलिंद का फोटू छपा था। इस बार ज्योति मिर्धा, श्रुति चौधरी और मौसम बेनजीर नूर का। तीनों कांग्रेस की नई युवा सांसद। पर बीजेपी का दिखाने लायक युवा चेहरा सिर्फ वरुण। बात बीजेपी की चली। तो अपन को याद आया एनडीए का वक्त। तब एक फोटू बहुत मशहूर हुआ था। पचास साल पहले की अटल-आडवाणी-शेखावत तिकड़ी का। कांग्रेस नेहरू-पटेल-पंत से राहुल-सचिन-श्रुति तक आ गई। पर बीजेपी अभी भी आडवाणी-जोशी-जसवंत में झूल रही। कांग्रेस के युवा चेहरे देख भाजपाईयों की नींद हराम। युवाओं को लाने की मत्थापच्ची शुरू। पर बीजेपी का कोई स्टूडेंट विंग ही नहीं।
वैसे कांग्रेस इस बार हिसाब चुकता करेगी। आडवाणी-मोदी को भी चार्जशीट का इरादा। आडवाणी पर लिब्राहन आयोग की मार पड़ेगी। मोदी पर सुप्रीम कोर्ट जांच बिठा ही चुकी। यह कांग्रेस है। अब अपने रंग दिखाएगी। लालू-मुलायम को दिखाया कि नहीं। दूध से मक्खी की तरह निकाल दिया।