from पुण्य प्रसून बाजपेयी by
Punya Prasun Bajpai जिस वक्त लोहिया गैर कांग्रेसवाद का नारा लगा रहे थे, उस वक्त जनसंघ में दीनदयाल उपाध्याय ऐसा ही चेहरा थे। इसलिये 1963 के उपचुनाव में लोहिया ने जनसंघ के दीनदयाल जी को जौनपुर से लड़वाया । उस दौर में बलराज मधोक कट्टर चेहरा थे। लेकिन जब मधोक सॉफ्ट हुये तो उस समय वाजपेयी का चेहरा कट्टर हो चुका था । लेकिन जेपी के दौर में वाजपेयी ने राष्ट्रीय राजनीति की लकीर को पकड़ा और सॉफ्ट होते गये तो आडवाणी कट्टर चेहरे के तौर पर उभरे। लेकिन वाजपेयी काल खत्म होते ही आडवाणी को मोदी सरीखा चेहरा मिल गया तो श्रीमान का मुखौटा खुद-ब-खुद आडवाणी के चेहरे पर लग गया।
बड़ा सवाल यही है कि इस सवाल का जबाब बीजेपी और कांग्रेस को एक सरीखा चाहिये जो पहली बार मोदीत्व तले नहीं मिल रहा । इसलिये नयी लडाई बीजेपी को कांग्रेस से भी लड़नी है और आरएसएस से भी । यह नयी लड़ाई क्या गुल खिलायेगी....कुछ इंतजार करना होगा ।
from सचिन की दुनिया by
Sachin सोनिया ने दूर की सोची थीश्रीमती पाटील ने इमरजेंसी के समय इंदिरा गाँधी की बहुत सेवा की थी,
उनके जेल जाने के दौरान उनका घर (
या कहें किचन)
संभाला था और सोनिया भी उनको कई दशकों से जानती हैं। तो अब उनको उनकी सेवा का रिवार्ड मिला। अब इस एहसान को वो १६ मई के बाद चुकाएँगी जब राष्ट्रपति के हाथ सत्ता आ जाती है और वो जिसे चाहे सरकार बनाने के लिए बुला सकता है। निश्चित ही वो सोनिया से उस दौरान पूछेंगी कि मैडम मैं आपको कब बुलावा भेंजू..
मुझसे मिलने के लिए..
या मैडम आपके पास कब समय है मुझसे मिलने का...
मैं आपको सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहती हूँ......!!!!!!!!!
दिनेश राय द्विवेदी जी के ब्लॉग पर आज की पोस्ट मेरी दृष्टी मे बेहद महत्तवपूर्ण है,
की स्त्री की सम्पति का उत्तराधिकार किस तरह बिना किसी सर-
पैर के पुरूष के पक्ष मे झुका हुया है। ये फैसला एक निसंतान,
विधवा स्त्री नारायणी देवी के संपत्ति मे उत्तराधिकार से जुडा है.
नारायणी देवी विवाह के सिर्फ़ तीन महीने के भीतर विधवा हो गयी थी। उन्हें ससुराल की संपत्ति मे कोई हिस्सा नही मिला,
और निकाल दिया गया.
नारायणी देवी ने अपने मायके मे आकर पढाई लिखाई की,
और नौकरी की। उनकी मौत के बाद नारायणी देवी की माँ और उनके ससुराल वालो ने उत्तराधिकार के लिए एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी। लगभग ५० साल बाद फैसला आया है और नारायणी देवी की सम्पत्ति का उत्तराधिकार उनके भाई को नही मिला बल्कि उनकी ननद के बेटों को मिला है.
पत्रकार दिलीप मंडल का एक लेख अख़बार में पढ़ा था ! लेख था... हवा में उड़ गया दुपट्टा ! बदलते वक्त के साथ महिलाओ ने दुपट्टे को छोड़
दिया ! दिलीप मंडल ने इसे नारी सशक्तिकरण से जोड़ा
था! उनके मुताबिक शहरों में महिलाओ ने दुपट्टे को छोड़ कर नारी सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है ! क्योंकि ये फिजूल का झंझट है ! लेकिन शहरी महिलाए तो इससे कही आगे निकल चुकी है ! आज कथित खुले विचारो की इन महिलाओ ने सिर्फ़ दुपट्टा ही नही छोड़ा है बल्कि वो खुल कर अंग प्रदर्शन भी कर रही है ! वो ये अच्छी तरह जानती है
कि किस जगह किस तरह का प्रदर्शन करना है? पिछली पोस्ट के
जवाब में एक महिला ब्लोगर की प्रतिक्रिया चोकने वाली है ... उन्होंने लिखा...अब तक पुरूष नारी को बेच कर पैसा कमाता रहा है अब नारी ख़ुद को बेच
कर पैसा कम रही है तो इसमे बुरा क्या
है!लेकिन आज लज्जाशील नारी आप धुन्द्ते रह जायेंगे ! तो क्या लज्जा का त्याग ही नारी स्वतंत्रता कि पहचान है? क्योंकि आज बिना दुपट्टे के अंग प्रदर्शन करती बेटी पिता के सामने खड़ी होती है ! उसे इसमे ज़रा भी असहज महसूस नही होता ! भड़काऊ कपडे पहने महिलाए मंदिरों में देखी जा सकती हैं ! तो क्या नारी स्वंत्रता के नाम पर महिलाओ को कुछ भी
करने कि आज़ादी दे दी चाहिए?
from सारथी by
Shastri JC Philip
फलसब्जी की खेती के सबसे बडे दुश्मन हैं कीटपंतंगे. आपके पौधे में फल लगा नहीं कि पता नहीं ये कहां से आ टपकते हैं और उसे एकदम चट कर जाते हैं. चट न कर पायें तो बचे सब्जीफलों को ऐसा बना देते हैं कि ना मानव के काम का रहे न जानवरों के. इनके उन्मूलन के लिये रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग बढता जा रहा है. लेकिन जहरीली दवायें छिडके बिना ही इनका इलाज किया जा सकता है. वह रामबाण औषधि है तंबाखू का काढा.
♥
बामुलाहिजाfrom धर्म यात्रा by
Pt.डी.के.शर्मा"वत्स"
उसकी बात सुनकर बूढा आदमी पहले तो जोर से हँस पड़ा और फिर बोलने लगा " बेटा, घास बेचनें में तो सिर्फ बच्चों का पेट ही भर पाता है, तो फिर दान-पुण्य कैसे किया जाए। लेकिन मैंने आस-पड़ोस और गांव वालों से चन्दा इकट्ठा कर एक कुआं बनवाया है, जिससे हमारा सारा गांव लाभ उठाता है। क्या अपने पास कुछ न होने पर दूसरे समर्थों से कुछ सहयोग लेकर कुछ भलाई का काम कर सकना दान की श्रेणी में नहीं आता ?"।
युवक निरूत्तर हो अपने रास्ते चला दिया और रास्ते भर यही सोचता रहा कि महत्वाकांक्षाएं संजोने ओर उन्ही की पूर्ति में जीवन लगा देना ही क्या जीवन जीने का एकमात्र तरीका है।
सुप्रिया रॉय डेटलाइन इंडिया नई दिल्ली, 9
मई -
भारतीय जनता पार्टी ने नीतिश कुमार फैक्टर से निपटने की रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इस सिलसिले में पहले कदम के तौर पर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और महासचिव अरुण जेटली दोनों ने कहा है कि या तो आडवाणी प्रधानमंत्री बनेंगे या भाजपा किसी को सरकार बनाने [...]
डेटलाइन इंडिया श्रीनगर, 9
मई -
एक कुख्यात और बड़े आतंकवादी ने सेना के आश्वासनों के बाद आत्मसमर्पण किया,
पांच साल जेल काटी,
आतंकवाद से निपटने में सैनिक बलों की मदद भी की मगर अब आरोप है कि काम निकालने के बाद सेना ने वसीर अहमद सोफी को सजाए मौत सुना दी और जब वह सेना [...]
आलोक तोमर हर राज्य की पुलिस में कुछ ऐसे अधिकारी होते हैं जिनके लिए सात नहीं सात सौ खून माफ होते हैं। मुंबई पुलिस में दयानायक,
प्रदीप शर्मा और विजय सालस्कर के नाम ऐसे ही मुठभेड़ विशेषज्ञों में से गिने जाते हैं। दयानायक को एक बार बर्खास्त किया जा चुका है और फिर नौकरी पर [...]
डेटलाइन इंडिया आगरा, 7
मई-
मंगलवार को आगरा व आसपास के क्षेत्रों के लिए चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था और मायावती की रैली के लिए बसपा ने कई दिनों से तैयारी कर रखी थी। बसपा की र्निविवाद रूप से स्टार प्रचारक यूपीे की मुख्यमंत्री मायावती क्षेत्र में अन्य राजनैतिक दलों के स्टार प्रचारकों में आगरा [...]
डेटलाइन इंडिया नई दिल्ली, 2 मई- संजय गांधी नहीं रहे और मेनका गांधी को विरासत नहीं मिली इसलिए राहुल गांधी आज की तारीख में नेहरू गांधी परिवार का असली चिराग नजर आते है। राहुल गांधी राजनीति सीख गए हैं और भाषणों में राजनैतिक मुहावरों का इस्तेमाल भी खुल कर करते हैं। अपने चचेरे छोटे भाई वरुण से [...]
from Shadow Warrior by
nizhal yoddha may 8th, 2009
but the godmen set the temple on fire with lots and lots of luuuuuuv. see, so it's ok.
when a shack with a makeshift cross on it is set on fire after the assassination of swami lakshmananda saraswati, the ELM goes ape-shit about oppression of minorities. but when hindus, a minority in the northeast, are oppressed, the ELM is silent.
UK: A bid by a devout Hindu for the legal right to be cremated on a traditional open-air funeral pyre has been rejected ..
Hinduism Misinterpreted in Britannica EncyclopediaMay 9, 2009
I opened Encyclopedia Britannica. I was shocked and distressed to read the offensive material they had published about Hinduism. On the grounds of rationality, justice, and equality of all religions, it is strongly felt that Encyclopedia Britannica needs change its article on Hinduism. By Amit Raj Dhawan
Varun Gandhi wants to revive Sanjay's sterilisation policyMay 9, 2009
New Delhi: Bharatiya Janata Party candidate from Pilibhit Lok Sabha constituency Varun Gandhi favours revival of his father Sanjay Gandhi's controversial sterilisation policy and wants 'compulsory military service' for all Indians.
Mahesh Vijapurkar: The disconnect between urban and rural schoolsMore than this, what the anchor said was -- at least, on one channel, I recall distinctly -- that that it was a "pity the school does not have an in-house doctor" and a while later, a parent lamented that it was "bad enough the school does not have a full-time doctor." All said, I am sure, when they were all carried away by the emotions, their rationality had abandoned them.
Let me narrate what I heard from a senior politician with deep rural insights in Maharashtra. One day, he told me, he was on a visit to attend an event in a village which was organised near a school. The local elders suddenly asked him to accompany them to the school building which on a working day was found deserted. The classrooms were open but empty. But one particular classroom was, however, closed and bolted from inside.
He was asked to knock on it and lo and behold! When opened from inside, there was an assortment of bottles indicative of alcohol consumption, several packs of playing cards around and teachers in the midst of a card game. At one point, a respected Marathi newspaper had reported that in some villages, after pay hikes due to the Fifth Pay Commission, teachers who virtually got most things cheap due to their perceived status, had turned moneylenders. They collected the debts by blackmailing the students.