Sunday, June 14, 2009

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): काश मैं एससी/एसटी होता…- युवाओं के टूटते सपने (एक माइक्रो पोस्ट) Reservation and General Category Youths

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  • tags: Politics, Reservation

    • पहले वाले युवक के मुँह से निकला… “काश कि मैं भी एससी/एसटी होता…”।
    • आरक्षण इसलिये लागू किया गया था कि समाज में बराबरी का भाव पैदा हो और पिछड़े वर्गों को भी समाज, नौकरी और सत्ता में भागीदारी का मौका मिले। कई लोग तो यह सपना भी देखते पाये गये हैं कि आरक्षण से “जाति” के बन्धन कमजोर पड़ेंगे, लेकिन ऐसा तो हुआ नहीं, उल्टे आरक्षण के कारण “जाति” का भाव और भी मजबूत हुआ है। इसका अनुमान आये दिन होने वाले विभिन्न जातियों के सम्मेलनों और रैलियों से लगाया जा सकता है।
    • जी हाँ, सरकार हमेशा “अल्पसंख्यकों” का विशेष खयाल नहीं रखती। क्योंकि देश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह, सामान्य वर्ग के गरीब-मध्यम आय वाले युवक-युवतियाँ ही हैं।

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