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- दोस्तों, जब 12वीं के बाद दिल्ली में यूपीएससी भवन में एनडीए की परीक्षा देने गया था तब वहाँ आए नौजवानों को देखकर लगा था कि देश के सभी बाँके जवान सेना में ही जाना चाहते हैं। उनका उत्साह देखते ही बनता था। उनमें तब मैं भी शामिल था। यह कोई 15 साल पुरानी बात है, 1994 की। जब रिजल्ट आया तो कई लड़कों (जो लड़ाके बनना चाहते थे) की उम्मीदें धूल में मिल गईं और वो रिटन एक्जाम में ही खारिज हो गए, ठीक मेरी तरह। बाद के वर्षों में मन लगातार खिन्न होता रहा क्योंकि मैंने सेना की परीक्षा के अलावा अन्य किसी भी सरकारी नौकरी के लिए कभी प्रयास ही नहीं किया, मेरी अन्य सरकारी नौकरियों में जाने की कभी इच्छा ही नहीं होती थी। सीडीएस तक यह सिलसिला चलता रहा। हम प्रयास करते रहे और रिजेक्ट होते रहे। जब 25 साल के पूरे हुए तब जाकर लगा कि भगवान अब कभी सेना में नहीं जा पाऊँगा,
- सोचने वाली बात है, कि आज के जमाने में किसे फुर्सत है कि कोई 25 साल तक सेना की नौकरी में जाने के लिए यूँ ही लगातार प्रयार करता रहे। क्योंकि अगर वो सफल नहीं हुआ तो कही भी जाने के लायक नहीं रहेगा। आजकल 25 साल के बाद तो सबकुछ हाथ से निकल जाता है। आज जब 20 साल की उम्र पूरी करते-करते युवाओं की शानदार नौकरियाँ लग रही हों, उन्हें बाहर जाने और काम करने के मौके मिल रहे हों, तो ऐसे में कौन बार-बार जलील होने सेना की ओर जाना चाहेगा।
- इसराइल में सभी युवाओं (लड़के और लड़कियाँ भी) को सेना में कम से कम तीन से पाँच वर्ष देना अनिवार्य हैं। ठीक ऐसा ही अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में भी था, अब वहाँ थोड़ी छूट मिली है। तो भारत में क्यों नहीं यह अनिवार्य किया जाता, बिना ये देखे कि किसके पास गणित रहा है और किसके पास नहीं। किसके बाप-दादा सेना में रहे हैं और किसके नहीं..।
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Tuesday, October 27, 2009
सचिन की दुनिया: इसलिए है भारतीय सेना में अफसरों की कमी..!!
सचिन की दुनिया: इसलिए है भारतीय सेना में अफसरों की कमी..!!
2009-10-27T23:19:00+05:30
Common Hindu