Monday, November 2, 2009

steps to second partition: Jharkhand being lost to Bangladeshis

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    • साहिबगंज
    • साहेबगंज जिला के उधवा, राजमहल तथा साहेबगंज प्रखंड के सुदूरवर्ती दियारा क्षेत्र के अतिरिक्त पतौड़ा झील का संरक्षित क्षेत्र सरकारी खास भूमि तथा गैर मजरूआ जमीन पर घुसपैठियों का सहज कब्जा वाला क्षेत्र है। जहां उसे अपना आशियाना बनाने में सरकारी प्रतिरोध कम तथा स्थानीय लोगों का अप्रत्यक्ष सहयोग अधिक मिलता है।
    • अगर स्थानीय लोगों की मानें तो बंगलादेशी घुसपैठिये इन क्षेत्रों में स्थानीय किसी परिवार की सूची के साथ अपना नाम मतदाता सूची में डलवा लेते है फिर अपना नाम पृथक कर स्वतंत्र परिवार के रूप में रहने लगते है। सरकारी संरक्षित क्षेत्र की भूमि तथा दियारा क्षेत्र की जमीन उन्हे सस्ते में मिल जाती है। मूलत: ये पश्चिम बंगाल के कलियाचक, मोहदीपुर तथा नदिया जिला में बार्डर से यहां प्रवेश करते है। जाली नोटों का कारोबार, पशु तस्करी तथा मौका मिलने पर चोरी डकैती की घटना को अंजाम देने में ये सिद्धहस्त है तथा शारीरिक परिश्रम में भी स्थानीय लोगों से आगे है। लिहाजा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी छीन रहे है।
    • फिलहाल बंगलादेशी घुसपैठ की समस्या स्थानीय लोगों के लिए समस्या भले ही है लेकिन राजनीतिक दलों के नेताओं की चुप्पी तथा प्रशासनिक मजबूरी के कारण वे इसे झेलने को विवश है।