कुंठित और भूलुंठित हिंदू !
अब प्रशन ये हैं की हिंदू कुंठित और भूलुंठित क्यों। कारण हैं वो जिसके कारण
वीर सावरकर को नीचा दिखाया गया।
हिंदू महासभा को मिटटी में मिला दियागया।
श्यामा प्रसाद और दीनदयाल जी को स्वर्ग में भेज दिया गया।
संघ पर सम्पर्दयेकता का लेबल चस्पा दिया गया।
बीजेपी का राजगीकरण कर दिया गया।
उप्रोलिखित बाते हिन्दुओ से उनकी आवाज छिनने की कोशिश हैं। तो आप ही बताये हिंदू अपने दिल की बात की यह देश हिन्दुओ का हैं यहाँ हिंदू हितों की बात करो, राम कृषण और बाबा विश्वनाथ के मंदिर की बात करो. इक बार करकर तो देखते इस नपुंसक मीडिया के विरोध के बावजूद आप देश में ४०० सीट से ऊपर निकाल लेजाते.
आप जरा सोचो तो सही की हिंदू सिख मिले तो सम्पेर्दायक शक्तिया और मुस्लिम किसे के भी साथ मिलजाए तो सात्विक होगया। भाई एसा कौनसा परास का पत्थर हैं मुसलमान जो सर्वग्राही बना देता हैं।
राहुल महजान के चरित्र का सडको पर धज्जिया करदेना और अमेठी काण्ड पर राहुल गाँधी के ऊपर एक लाइन भी नही। उसका भी जिक्र नही की अभिषेक मनु सिंघवी ने अमेरिका में ऍफ़ आई आर क्यों कराइ थी।
वरुण गाँधी जो हिंदू हितों की बात करे उसका एक बहुत बड़े मार्जिन से जितने पर भी मीडिया की जीब में लकवा मार गया परन्तु राहुल गाँधी जिसको ख़ुद नही पता की कलावती की बात पर रात काली करने पर भी कांग्रेस को वहा पर झंडा साफ़ हैं। परन्तु मीडिया का राहुल गाँधी के बारे में मीडिया का निर्लज्जता से भांडगिरी करना उसे सुहता हैं।
बीजेपी भी इक बात अच्छे से गाँठ बांधले की जिस जिस ने हिंदुत्व की लाइन ले थी उस उस को जिताया वो चाहे वरुण जी हो, योगी आदित्य नाथ हो या मुरली मनोहर जोशी जी हो।
अरे मीडिया के खेल में उलझने वालो तुम ५९ कारसेवको के कातिलो को क्यों नहीं पकड़ कर फंसी पर चढा पाए अभी तक.
बीजेपी की अगली १००० पुश्ते भी आ जाये मुस्लमान बीजेपी को वोट नहीं देगा. मीडिया की कितनी भी चिरोरी करलो मीडिया आपको तालिबान साबित करने मैं बक्शे गा नहीं. इसलिय एक बार कम से कम मीडिया के सामने हुँकार तो भर दो. नहीं तो ये तुम्हारे सरे बाजार इसी प्रकार कपडे फाड़ते रहंगे और तुम जी जी और आप करते रहे जाओगे.
जरा राहुल गाँधी के सामने वरुण को एक मंच पर लेन की मांग तो करो अभी भारतीय खून और इटली के पानी की औकात पता चल जायेगी.
इसी हिन्दू ने अडवाणी जी की रथ यात्रा मैं घर घर से माँ बहेनो ने रोटिया बनवा बनवा कर भेजी थी बिना ये जाने की यह अडवाणी हैं कौन परन्तु इस आस में की जो भी हैं वो हमारी एक हिन्दू होने की पहचान देगा जो इस झूठे और ढोंगी संविधान में दबा दी गई है.
वो जानता हैं की 1990 की गर्मिओं में एक पतला सा दिखने वाला वियक्ति धोती पहेने अयोध्या में राम का मंदिर बनाने के लिया मेरे पास आया था . उसको नहीं पता की वेबसाइट क्या है या स्विस बैंक के पैसे वापस आएंगे या नहीं वो बैठा है की अडवाणी कहकर गया था मंदिर बनआऊंगा वो अभी तक नहीं बना।
बीजेपी का आज नहीं एक हजार साल के बाद भी इसी का जवाब देना होगा की राम का मंदिर बना है की नहीं क्योंकि जितनी भी मर्यादाओ की बात करलो भगवन श्री राम भी आज तक इस बात का जवाब नहीं दे पाए की जब लंका जाकर सीता को लेकर आए तो इक धोबी के कहेने पर सीता को अयोधा से निकला क्यों? हजारो वर्षो तक न तो इसका उतर कोई दे सकता और न ही इस सृष्टि पर भगवान श्री राम जनम लेकर उतर देपयेंगे। क्योंकि क्यों तो उन्होंने लंका जाने के लिया इतने महेनत कर वानरों के सेना एकत्र की और फिर जब सीता जी आगई तो क्यों उसे निकाल दिया धोबी के कहेने पर। ये सवाल पूछा जाता रहेगा और रामयण पढ़ी जाती रहेगी। यहाँ भी वो कौन धोबी हैं जो राम मंदिर का मुद्दा निकाल दे रहा है एजेंडे से। उसको देखना होगा अटल जी की सरकार इसी लिया बनी थी परन्तु मंदिर नहीं बना। राम अयोध्या आए रामराज्य भी आया परन्तु सीता चली गई। बस राम के पास इसका जवाब नहीं। परन्तु बीजेपी अपने का जवाब देसकती हैं। ये हिंदुस्तान की जनता हैं जब राम से सवाल पूछ सकती है तो आप से क्यों नहीं. अडवाणी जी जवाब तो देना होगा.
नहीं तो तब तक हिन्दू कुठित और भूलुंठित है।