Saturday, June 6, 2009

US Agenda & Foreign Policy

US Agenda & Foreign Policy

US Agenda & Foreign Policy

In order to understand the present US foreign policy we need to understand the various global political agendas of various groups in US. Depending on the administration one group or the other or a combination these groups will be in power.

Agenda-1: Neo-Con Agenda

Agenda-2: Conservative Agenda

Agenda-3: Realistic Agenda

Agenda-4: Puritan Agenda

Conclusion

I have always noticed US administration following Agenda-1 or Agenda-2 or Agenda-1+2 or Agenda-2+3 only. Agenda-4 is purely academic. Even Clinton administration followed Agenda-3+2, it was not purely Agenda-3. I have also noticed India gained maximum by making deals with US administration that follows Agenda-1 or Agenda-2. Other US administrations (i.e mainly Agenda-3 administrations) generally sermon India rather than helping India with anything worth mentioning.

It is always better for India to evaluate the behavior of all the groups before getting in to any deals with US. Most of the times US gives guarantees only orally which means they are valid only for that administration, while they extract perpetual guarantees from the other nations. The best example is India-US nuclear deal. The conditions attached by the US congress may be considered as advisory by the present Bush administration but the next president of the US most certainly will act differently.

पच्चीस साल हो गए ओपरेशन ब्लू स्टार को - आइये आसूं बहाए

पच्चीस साल हो गए ओपरेशन ब्लू स्टार को - आइये आसूं बहाए

ठीक पच्चीस साल पहले एक आग को बुझाने के लिए दवानल फैला दिया गया और वह दवानल हजारो निर्दोषों और दोषियों को निगल गया । उसमे एक थी श्रीमती इंदिरा गाँधी भी ।

एक चौथाई शताब्दी बीत गई लेकिन सबक आज भी नही लिया दुनिया ने , आज भी लादेन जैसे पैदा कर दिए जाते है फ़िर ओपरेशन चलाये जाते है और कौमों को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है ।

“धरती के विषवृक्ष पाकिस्तान” की “जमात-ए-इस्लामी” पार्टी के नेता का एक पुराना इंटरव्यू…(भाग-1)

“धरती के विषवृक्ष पाकिस्तान” की “जमात-ए-इस्लामी” पार्टी के नेता का एक पुराना इंटरव्यू…(भाग-1) Jamat-E-Islami Pakistan Talibani Plans of Islam


यह इंटरव्यू दस वर्ष पहले अर्थात 1999 में लिया गया है। पंजगार (अफ़गानिस्तान) से प्रकाशित होने वाली “जम्हूरिया-इस्लामिया” नामक बलूची मासिक पत्रिका के लिये पत्रकार जलील आमिर द्वारा मौलाना नवाबज़ादा नबीउल्लाह खान जो कि पाकिस्तान की मुख्य इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मौलाना काज़ी अहमद के दायें हाथ हैं, का इंटरव्यू लिया गया है, जिसमें मौलाना साहब ने “तालिबान” की सोच को स्पष्ट किया है।

ऊपर से तुर्रा यह, कि ये मौलाना साहब इन सभी विचारों पर कुरआन के स्तर पर किसी से भी बहस करने को तैयार हैं… (है कोई कुरआन का जानकार जो इन साहब से बहस कर सके?)…

महिलाओं और पुरुषों की बराबरी की बात करना मूर्खता है

सभी गैर-मुस्लिमों को जज़िया देना होगा

सभी भारतीय हिन्दुओं को इस्लाम धर्म स्वीकार करना होगा

प्रश्न - भारत के बारे में आपके क्या विचार हैं?
उत्तर – जमात-ए-इस्लामी पहले से ही भारत को लेकर काम कर रहा है, हमारा लक्ष्य है कि भारत के सभी हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाये। बाबरी मस्जिद के गिराये जाने के बाद इसकी योजना को और बढ़ाया गया है।

हमारा उद्देश्य है “सतत जिहाद”
जमात-ए-इस्लामी का मूल उद्देश्य काफ़िरों द्वारा शासित ज़मीन को इस्लाम के झण्डे तले लाना है। काज़ी साहब का दृष्टिकोण है कि कश्मीर से लेकर भारत, श्रीलंका, बर्मा और इधर अफ़गानिस्तान और ताजिकिस्तान तक दारुल-इस्लाम की स्थापना होनी चाहिये। जमात के नेताओं ने बांग्लादेश में यह करने में लगभग सफ़लता हासिल कर ली है।

भारत को 100% मुस्लिम बनाया जायेगा…

प्रश्न – जैसा कि आप कह रहे हैं, यदि भारत के टुकड़े हो गये तो फ़िर इस प्रकार के कई “हिन्दू” देशों को आप इस्लामिक कैसे बना पायेंगे? वे फ़िर से एकत्रित होकर पाकिस्तान के लिये चुनौती बन सकते हैं।
उत्तर – संगठित और हिन्दू बहुसंख्यक वाला भारत दारुल-इस्लाम की राह में सबसे बड़ी बाधा है, एक बार उसके टुकड़े शुरु हुए तो इस्लामीकरण में आसानी होगी।

प्रश्न – यह तो बहुत विशाल सपना है, 700 वर्ष के मुगल शासनकाल में भी यह सम्भव नहीं हुआ तो अब कैसे होगा?
उत्तर – सही कहा आपने, लेकिन उस वक्त मुस्लिम (मुगल) बादशाहों ने हिन्दुओं को अपने दरबार और कामकाज में अधिकार दे रखे थे। जब एक बार यह तय हो जायेगा कि भारत में सिर्फ़ मुस्लिम ही वोट दे सकेंगे और भारत एक इस्लामिक देश बन गया है, अपने-आप स्थितियाँ बदल जायेंगी, हालांकि इसके लिये भारत के हिन्दुओं और ईसाईयों के दिल में डर पैदा करना ज़रूरी है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ, आज़ादी से पहले पाकिस्तान के काफ़ी सारे इलाकों में 25% से अधिक हिन्दू बच गये थे, लेकिन आज या तो वे भाग गये हैं या उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया है, यही हमें धीरे-धीरे भारत में भी करना है। आज की तारीख में पाकिस्तान में सिर्फ़ 2% हिन्दू बचे हैं, आखिर यह सब कैसे हुआ? 700 साल के मुगल शासनकाल में जो नहीं हुआ वह हमने 50 साल में ही कर दिया है, हिन्दुओं में हम इतना आतंक पैदा कर देते हैं कि वे डरकर इस्लाम कबूल कर ही लेते हैं। धर्मान्तरण करने का सबसे सही तरीका आतंक ही है। हमने यही तकनीक पंजाब और सिंध में अपनाई है, हिन्दुओं, ईसाईयों और अहमदिया सम्प्रदाय के लोगों को लगातार आतंक में जीने को मजबूर किया और नतीजा आपके सामने है, इंशाअल्लाह हम भारत में भी कामयाब होंगे।

घूरे के लिये सोने का त्याग!!

घूरे के लिये सोने का त्याग!!

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आज भारत के कम से कम 40 करोड लोग बडे आराम से हिन्दी पढलिख लेते हैं. इन लोगों के लिये कम से कम 1000 गैर सरकारी सामाजिक पत्रिकायें/अखबार हिन्दी में छपती हैं. कम से कम पच्चीसतीस अश्लील पत्रिकायें भी हिन्दी में छपती हैं. लेकिन निजी क्षेत्र में एक भी विज्ञान-पत्रिका मेरी जानकारी में नहीं है.