Sunday, May 15, 2011

Issue of Congress ploy to apply ‘Mumbai Shops and Establishments Act’ to temples

Issue of Congress ploy to apply ‘Mumbai Shops and Establishments Act’ to temples: "We will try that the religious places (temples, mosques, churches, gurudwaras, agyari [Parsi fire temple] etc.) where worshipping and religious rituals are taking place, the ‘Mumbai Shops and Establishments Act, 1948’’ would not be made applicable."

What prevents authorities from naming Nedumbassery Airport after Jagad guru Adi Sankara?

What prevents authorities from naming Nedumbassery Airport after Jagad guru Adi Sankara?

Kalady: Hindu society's demand to honour Adi Sankara by naming Nedumbassery International Airport near his home town has been neglected even after repeated demands and this shows the attitude of the authorities towards this Jagath Guru who regained the lost glory of Bharath, highlighted the resolution passed here in the Hindu sanyasi meeting held here.Apart from Spiritual leaders representing various Hindu mutts , Spiritual leaders from Tamilnadu, Karnataka and Madya pradesh were present.

Pilgrimage to kalady on Sankarajayanthi should become a pilgrimage similar to Sabarimala Pilgrimage and for that all spiritual leaders should take proactive steps to enlighten masses about the life and importance of Adi Sankara and the great sage's significance in present day.

Rashtreeya Swayam Sevak Sangj organised Maha Parikrama . VHP National working president S Vedantham inaugurated the function. Other diginatories including BVK dirtector P Parameswarji, RSS Pranthsanghachalak P E B Menon, and others were present to witness the Mahaparikrama in Kalady in which thousands bearing saffron flag were present which was culminated following 'Nadhipooja' (River Pooja) at Poorna river.Students of Thanthra Vidya Peedom supervised Nadhipooja.

It was not by physical strength but by his spiritual strength and vedic knowledge, Sri Sankara regained the glory of Sanathana Dharma reminded S Vedantham in his inaugural speech and stressed the need for Dharma Jagran among Hindus.

Disgraceful denigration of Hindu Saints in Marathi film ‘Masta chalalay aamach’

Disgraceful denigration of Hindu Saints in Marathi film ‘Masta chalalay aamach’: "Mumbai: There is disgraceful denigration of Hindu Saints in the film titled Masta chaalalay aamach’. The film is presented by ZEE Talkies and produced by 'Shemaroo International. All Hindus should protest lawfully against this film."

Secular Hindus and Communal Hindus can now sit in the Gallery to watch Minority doublegames

Secular Hindus and Communal Hindus can now sit in the Gallery to watch Minority doublegames

Now both Secular and Communal Hindus can both join together as spectators and watch next five years of Minority Domination in all spheres of life. Lucrative departments like Education, Revenue, Industry etc are all earmarked for the 'SECULAR' leaders of Muslim league and Kerala congress.

Communist Hindu leaders can conduct more research on why Muslims and Christians always ditches them inspite of their extra effort to woo them by all means and also on the irony of why secular Hindus still vote for them despite their hardcore Anti Hindu stands!

Muslims celebrating Trinamool victory oppress Hindus in Basirhat

Muslims celebrating Trinamool victory oppress Hindus in Basirhat: "

Hindus have become target of Islamic ruffians with the assertion of TMC’s landslide. All these prove that TMC enjoys support of Islamic fundamentalism and therefore, it is not unjust to state that change in West Bengal would strengthen Muslims’ divisive tendencies only.

What will happen to Hindus then? None knows; Hindus in West Bengal do not have any custodian.

To Read Full Report Please Visit:

http://southbengalherald.blogspot.com/2011/05/muslims-celebrating-trinamool-victory.html

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Original Post: My message to All Good Minded Secular Hindues/ Pseudo-Secular Indians....


You Can Live Your Life The Way You Want
but
Don't Fuck with the future of your Future Generations.

विधानसभा चुनाव परिणाम : हिन्दुओं के लिये निराशाजनक चित्र तथा भाजपा के लिये सबक…(विस्तारित विश्लेषण)…… Assembly Election Results, Position of BJP and Secularism

विधानसभा चुनाव परिणाम : हिन्दुओं के लिये निराशाजनक चित्र तथा भाजपा के लिये सबक…(विस्तारित विश्लेषण)…… Assembly Election Results, Position of BJP and Secularism:

1) भाजपा को सबसे पहला सबक ममता बनर्जी से सीखना चाहिये, विगत 20 साल में उस अकेली औरत ने वामपंथियों के खिलाफ़ लगातार सड़कों पर संघर्ष किया है, पुलिस से लड़ी, प्रशासन के नाकों चने चबवाए, हड़तालें की, बन्द आयोजित किये, हिंसाप्रेमी वामपंथियों को जरुरत पड़ने पर “उन्हीं की भाषा” में जवाब भी दिया। भाजपा “संकोच” छोड़े और कांग्रेसियों से “अन्दरूनी मधुर सम्बन्ध” खत्म करके संघर्ष का रास्ता अपनाये। हिन्दुओं, हिन्दू धर्म, मन्दिरों के अधिग्रहण, गौ-रक्षा, नकली सेकुलरिज़्म जैसे मुद्दों पर जब तक सीधी और आरपार की लड़ाई नहीं लड़ेंगे, तब तक भाजपा के ग्राफ़ में गिरावट आती ही जायेगी… वरना जल्दी ही एक समय आयेगा कि कोई “तीसरी पार्टी” इस “क्षुब्ध वोट बैंक” पर कब्जा कर लेगी। मायावती, ममता बनर्जी, जयललिता चाहे जैसी भी हों, लेकिन भाजपा नेताओं को इन तीनों का कम से कम एक गुण तो अवश्य अपनाना ही चाहिये… वह है “लगातार संघर्ष और हार न मानने की प्रवृत्ति”।

2) ज़मीनी और संघर्षवान नेताओं को पार्टी में प्रमुख पद देना होगा, चाहे इसके लिये उनका कितना भी तुष्टिकरण करना पड़े… कल्याण सिंह, उमा भारती, वरुण गांधी जैसे मैदानी नेताओं के बिना उत्तरप्रदेश के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की बात भूल ही जाएं…

3) तमिलनाडु और केरल में मिशनरी धर्मान्तरण और बंगाल व असम में जेहादी मनोवृत्ति और बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर गुवाहाटी-कोलकाता से लेकर दिल्ली तक “तीव्र जमीनी संघर्ष” होना चाहिये…

4) जो उम्मीदवार अभी चुनाव हार गये हैं, वे अगले पाँच साल लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र में बने रहें, सड़कों पर, खबरों में दिखाई दें, जनता से जीवंत सम्पर्क रखें। जो उम्मीदवार बहुत ही कम अन्तर से हारे हैं, वे एक बार फ़िर से अपने पूरे विधानसभा क्षेत्र का “पैदल” दौरा करें और “हिन्दुओं” को समझाएं कि अब अगले पाँच साल में उनके साथ क्या होने वाला है।

5) सबसे महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि भाजपा को “सेकुलर” दिखने की “भौण्डी कोशिश” छोड़ देना चाहिये। मीडिया के दुष्प्रचार की रत्ती भर भी परवाह किये बिना पूरी तरह से “हिन्दू हित” के लिये समर्पण दर्शाना चाहिये, क्योंकि भड़ैती मीडिया के सामने चाहे भाजपा “शीर्षासन” भी कर ले, तब भी वे उसे “हिन्दू पार्टी” कहकर बदनाम करते ही रहेंगे। यह तो भाजपा को तय करना है कि “बद अच्छा, बदनाम बुरा” वाली कहावत सही है या नहीं। इसी प्रकार यही “शीर्षासन” मुस्लिमों एवं ईसाईयों के सामने नग्न होकर भी किया जाए, तब भी वे भाजपा को “थोक में” वोट देने वाले नहीं हैं, तब क्यों अपनी ऊर्जा उधर बरबाद करना? इसकी बजाय, इस ऊर्जा का उपयोग “सेकुलर हिन्दुओं” को समझाइश देने में किया जाये।

दिक्कत यह है कि सत्ता में आने के बाद जो “कीटाणु” अमूमन घुस जाते हैं वह भाजपा में कुछ ज्यादा ही बड़े पैमाने पर घुस गये हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन के वक्त की भाजपा का जमीनी और सड़क का संघर्ष, उसके कार्यकर्ताओं की तड़प और आज देश की भीषण परिस्थितियों में भाजपाईयों का “अखबारी और ड्राइंगरूमी संघर्ष” देखकर लगता ही नहीं, कि क्या यह वही पार्टी है? क्या यह वही पार्टी और उसी पार्टी के नेता हैं जिन्हें 1989 में जब मीडिया “हिन्दूवादी नेता” कहता था, तो नेताओं और कार्यकर्ताओं सभी का सीना चौड़ा होता था, जबकि आज 20 साल बाद वही मीडिया भाजपा के किसी नेता को “हिन्दूवादी” कहता है, तो वह नेता इधर-उधर मुँह छिपाने लगता है, उल्टे-सीधे तर्क देकर खुद को “सेकुलर” साबित करने की कोशिश करने लगता है…। यह “संकोचग्रस्त गिरावट” ही भाजपा के “धोबी का कुत्ता” बनने का असली कारण है। समझना और अमल में लाना चाहते हों तो अभी भी समय है, वरना 2012 में महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में, जहाँ अभी पार्टी “गर्त” में है, वहीं टिकी रहेगी… जरा भी ऊपर नहीं उठेगी।

रही हिन्दुओं की बात… तो पिछले 60 साल में वामपंथियों और सेकुलरों ने इन्हें ऐसा “इतिहास और पुस्तकें” पढ़ाई हैं कि “भारतीय संस्कृति पर गौरव” करना क्या होता है यह एकदम भूल चुके हैं। सेकुलरिज़्म(?) के गुणगान और “एक परिवार की गुलामी” में मूर्ख हिन्दू ऐसे “मस्त और पस्त” हुए पड़े हैं कि इन्हें यह भी नहीं पता कि उनके चारों ओर कैसे “खतरनाक जाल” बुना जा रहा है…