Monday, June 14, 2010

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): बन्द करो भोपाल-भोपाल-भोपाल की चिल्लाचोट? कभी खुद के गिरेबान में झाँककर देखा है?…… Bhopal Gas Tragedy, Bhopal Judgement, Congress

  • tags: no_tag

    • कांग्रेसियों में होड़ लगने लगी कि, मैडम की नज़रों में चढ़ने के लिये कौन, कितना अधिक जोर से बोल सकता है। सत्यव्रत चतुर्वेदी आये और अर्जुन सिंह पर बरसे (क्योंकि उन्हें उनसे पुराना हिसाब-किताब चुकता करना है), वसन्त साठे (जो खुद केन्द्रीय मंत्री थे) ने भी अर्जुन सिंह पर सवाल उठाये, सारे चैनल और अधिकतर अखबार भी “बलिदानी परिवार” का नाम सीधे तौर पर लेने से बच रहे हैं, कि कहीं उधर से मिलने वाला “पैसा” बन्द हो जाये

      कुछ टीवी चैनल और अखबार तो “पेशाब में आये झाग” की तरह एक दिन का उबाल खाने के बाद वापस कैटरीना-करीना-सलमान की खबरें, नरेन्द्र मोदी, विश्व कप फ़ुटबॉल दिखाने में व्यस्त हो गये हैं।
    • आज कई खोजी पत्रकार घूम रहे हैं, सब उस समय कहाँ मर गये थे, जब केस को कमजोर किया जा रहा था? क्या पूरे 25 साल में कभी भी अर्जुनसिंह या राजीव गाँधी से कभी पूछा, कि एण्डरसन देश से बाहर निकला कैसे?

      - जो कलेक्टर और एसपी आज टीवी पर बाईट्स दे रहे हैं, उस समय शर्म के मारे मर क्यों नहीं गये थे या नौकरी क्यों नहीं छोड़ गये?
    • हम पर राज करने वाली “महारानी” और “भोंदू युवराज” अपने महल में आराम फ़रमा रहे हैं, उनकी तरफ़ से कोई बयान नहीं, कोई चिन्ता नहीं… क्योंकि उनके महल के बाहर उनके कई “वफ़ादार कुत्ते” खुलेआम घूम रहे हैं…। कोई ये बताने को तैयार नहीं है कि यदि अर्जुन सिंह ने एण्डरसन को भोपाल से दिल्ली पहुँचाया, लेकिन दिल्ली से अमेरिका किसने पहुँचाया?

Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.

Jagran - खूब लड़ी मर्दानी वह की रचयिता की कविताई

  • tags: no_tag

    • चमक उठी सन सत्तावन में/ वह तलवार पुरानी थी/ बुंदेले हरबोलो के मुंह/ हमने सुनी कहानी थी/ खूब लड़ी मरदानी वह तो/झांसी वाली रानी थी।'' की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान को 'राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला' का विरुद दिया गया था। यह वह कविता है जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में भाषा का ऐसा ऋजु प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती है।
    • यथा-स्त्रियों को प्रबोधन देती यह कविता देखिए- ''सबल पुरुष यदि भीरु बनें, तो हमको दे वरदान सखी। अबलाएं उठ पड़ें देश में, करे युद्ध घमासान सखी। पंद्रह कोटि असहयोगिनियां, दहला दें ब्रह्मांड सखी। भारत लक्ष्मी लौटाने को, रच दें लंका कांड सखी॥'' असहयोग आंदोलन के लिए यह आह्वान इस शैली में तब हुआ है, जब स्त्री सशक्तीकरण का ऐसा रौला नहीं था। 'वीरों का कैसा हो वसंत?' उनकी एक ओर प्रसिद्ध देश-प्रेम की कविता है जिसकी शब्द-रचना, लय और भाव-गर्भिता अनोखी थी।

      'स्वदेश के प्रति', 'विजयादशमी', 'विदाई', 'सेनानी का स्वागत', 'झांसी की रानी की समाधि पर', 'जलियां वाले बाग में बसंत', आदि श्रेष्ठ कवित्व से भरी उनकी अन्य सशक्त कविताएं है।

    •  

      [डॉ. पुष्पपाल सिंह]


Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.

Jagran - एंडरसन को बचाने वाला हाथ

  • tags: no_tag

    • वंशवादी राजनीति का यह दोहरा चरित्र राष्ट्रघातक ही रहा है। अर्जुन सिंह और राजीव गाधी, दोनों ही काग्रेस के नेता रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना ही रहा कि एक गाधी-नेहरू खानदान के थे तो दूसरे 'बाहरी'। अर्जुन सिंह ने चाहे काग्रेसी आकाओं को खुश करने के लिए कितनी ही जूतिया तोड़ी हों, राष्ट्रीय हितों एवं हिंदू संवेदनाओं पर भीषण प्रहार किए हों, मुस्लिम तुष्टीकरण की हदें पार कर दी हों, पर जीवन के संध्याकाल में वह काग्रेस द्वारा 'त्याज्य' घोषित हो गए। उन पर प्रहारों का न सिर्फ काग्रेस मजा ले रही है, बल्कि अपनी तरफ से भी और आघात कर रही है, लेकिन उसी अपराध में राजीव गाधी का नाम आते ही वंशवादी राजनीति के दरबारी एक सुर में 'राजीव निर्दोष हैं' अलापने लगे।
    • दुर्भाग्य से 1984 के अपराधियों को बचाने की यह घटना यूनियन कार्बाइड तक सीमित नहीं है। उसी वर्ष सिख विरोधी काग्रेसी हमलों में तीन हजार निरपराध सिखों के कत्लेआम के अपराधी भी इसी काग्रेस सरकार द्वारा बचाए जाते रहे हैं।

      अदालतों का कमजोर गठन, सबूत प्रस्तुत करने में लापरवाही, सरकारी तंत्र के उपयोग द्वारा संदिग्ध अपराधियों को निर्दोष साबित करने के उपक्रम काग्रेसी वंशवादी राजनीति का राष्ट्रघातक चेहरा है। इसी वजह से जनता का उन तमाम न्यायिक संस्थानों से विश्वास हटता जा रहा है, जो लोकतात्रिक व्यवस्था के आधारस्तंभ हैं। सीबीआई को संप्रग ने राजनीतिक लाभ एवं भयादोहन का साधन बनाकर सत्ता-केंद्र की निष्पक्षता पर बहुत बड़ा आघात किया है। न्यायपालिका भी निरंतर ऐसी ही संदेहास्पद चर्चाओं के दायरे में घिरी रही है। सवाल उठता है कि जनता निष्पक्ष एवं वस्तुपरक शासन तथा न्याय की आस किससे करें? यह राष्ट्रीय जीवन व्यवहार एवं लोकतात्रिक राजनीति के लिए बहुत बड़े खतरे के संकेत हैं।

    • भोपाल गैस त्रासदी का जिम्मेदार एंडरसन उतना ही बड़ा अपराधी है, जितने बड़े अपराधी अफजल और कसाब हैं। दोनों ही विदेशी हैं और दोनों ने ही भारतीय राज्य एवं नागरिकों के प्रति अपराध किया है। अत: दोनों की सजा में भी फर्क क्यों होना चाहिए?

      [तरुण विजय: लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं]


Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.

Tahir was planning to set up arms factory in India: CBI

  • tags: no_tag

    • Tahir Merchant, an accused in 1993 serial bomb blasts, was planning to set up an arms-making factory in the country along with co-accused in the case at the behest of prime absconding accused Tiger Memon, CBI told a court today.
    • "Tahir has admitted that soon after the Babri Masjid demolition, funds were collected in Dubai in order to plan an attack against Hindus in India," the CBI remand application says.

Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.

Tension near Mylai temple

  • tags: no_tag

    • CHENNAI: Tension prevailed in the areas close to Kapaleeshwarar Temple in Mylapore on Sunday as two groups were engaged in a slogan-raising clash over entry into the temple. Activists of one group gathered on a road near the shrine to enter the temple, touch the idol and do services themselves, while members of another opposed them.
    • Around 30 activists of the Confederation of Self Respecting Tamilians, led by church and Tamil activist M Deivanayagam, had gathered on Kutchery Road, with Tamil nationalist P Nedumaran. Also present were young activists, clad in black t-shirts with Periyar’s picture printed on them.

Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.