मिट्टी का स्नान ?
from सारथी by Shastri JC Philip
स गुण को पहचान कर प्राकृतिक चिकित्सा के विकास के समय मिट्टी-लेपन या मिट्टी-स्नान को प्राकृतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण अंग बना दिया गया था. इस कार्य के लिये सामान्यतया सतह से 10 फुट या उस से भी अधिक गहराई मिट्टी का प्रयोग किया जाता है जिसमें खाद, कीडेमकोडे, केंचुओं की मिट्टी, और सडे पत्तों का मिश्रण नहीं होता है.
स गुण को पहचान कर प्राकृतिक चिकित्सा के विकास के समय मिट्टी-लेपन या मिट्टी-स्नान को प्राकृतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण अंग बना दिया गया था. इस कार्य के लिये सामान्यतया सतह से 10 फुट या उस से भी अधिक गहराई मिट्टी का प्रयोग किया जाता है जिसमें खाद, कीडेमकोडे, केंचुओं की मिट्टी, और सडे पत्तों का मिश्रण नहीं होता है.
प्राकृतिक चिकित्सा के लिये इस शुद्ध मिट्टी को कूटपीस कर पानी में घोल कर सारे बदन पर लेप कर दिया जाता है. लगभग 1 घंटा इस मिट्टी को ऐसे ही छोड दिया जाता है और उसके बाद स्नान किया जाता है. जिन लोगों ने प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठाया है वे जानते हैं कि मिट्टी-स्नान से त्वचा की कांति निखर जाती है, त्वचा मृदु एवं लचीली हो जाती है, एवं शरीर में एक विशेष एहसास होता है.