This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 2.5 India License.
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!! समर्थ हिन्दु, समर्थ हिन्दुस्थान !!;........................!! समर्थ हिन्दुस्थान, समर्थ विश्व !!............................ All the posts on this blog are re-postings and post headings point towards the actual posts.
Like India, the US is worried about waging a war with a nuclearised Pakistan and wants to avoid it all costs, particularly since the threat to its mainland is not even near the kind that India has been, and is, dealing with. In addition, it needs Pakistan as a logistic conduit for the 120,000 US troops in Afghanistan. There is no other practical sea-land route available to maintain such a large fighting force there. The wily Musharraf, his DG ISI Kiyani -- now Army Chief -- and other Pakistani generals grasped the strategic significance of these paralyzing constraints even before America invaded Afghanistan and saw in them an opportunity to not only keep India under attack but also to score a spectacular victory for what we call terror and they Islam, over the second super power to invade Afghanistan. And they went about achieving this objective with single-minded, indeed manic devotion.
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It should not take the US more than two days to incapacitate Pakistan Army and secure its nuclear weapons. With a ready and willing India to its East, it just needs to take out Pakistan’s Air Force, making its ground forces sitting ducks from the air. With the US becoming guarantor of its security, like it is of Japan, dismantling of the military-terror apparatus can follow. Without patronage, funds and professional guidance, terrorists outfits will dissolve into the countryside, just as the Nazis did.
Yes, things may go wrong; that is a calculated risk experts in the game have to take. But, if the terrorist-generals get away even now, chances are high that things will go horribly wrong some years down the line.
Swami Rajneesh filed a 10 crore Defamation Lawsuit in the Court of Civil judge at Panaji on 3rd may 2011 challenging the Goan Observer Newspaper and Editor Rajan Narayan and filed for damages. The Goan Observer had published and made various defamatory and false allegations in his newspaper articles and informed the SP police and Anti Terrorism that Swami Rajneesh is a drug trafficker and money launderer and involved in various criminal activities and illegal land grab and bribery to the heads of the Goa government and departments Mr Rajen Narayan has also alleged that Swami Rajneesh is associated with or linked to the Sanathan Sanstha and the Hindutva Terrorism brigade who were responsible for many bomb blast in India
Under RTI Act, 2005, an application was given to Archeological Survey of India (ASI), New Delhi, seeking information regarding the Historic and Scientific Evidences of Taj Mahal which supports the argument that “The Taj Mahal in Agra was built by Moughal Emperor Shah Jahan in 16th Century”.
The application was later forwarded to ASI of Agra Region.
ASI of Agra replied to the application stating that it has no such evidences.
National Archives of India gave the same reply
Postscript: You may read the ASI letter here. http://indianleaks.in/wp-content/uploads/tdomf/226/Taj.JPG
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पुरातन कालके श्रीराम तथा अर्वाचीन कालके छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा प्रस्तुत पितृशाहीका आदर्श, हिंदु समाजके लिए लाखों वर्ष बीत जानेपर भी चिरस्मरणीय और वंदनीय है । इसलिए कि उन राज्योंको धार्मिक अधिष्ठान था । इसके विपरीत, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र सर्व क्षेत्रोंमें विफल सिद्ध होनेसे देशमें अनैतिकता, भ्रष्टाचार और अराजकता व्याप्त है । ऐसेमें धर्माधिष्ठित आदर्श ‘हिंदुराष्ट्र’ स्थापित करना, यही एकमात्र उपाय है ! हिंदु जनजागृति समिति धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्रकी स्थापनाके लिए कार्यरत हैं । यह हिंदुराष्ट्र कैसा होगा, इसका विवरण करनेवाला यह लेख !
संकलनकर्ता : श्री रमेश शिंदे, प्रवक्ता, हिंदु जनजागृति समिति
१. रामराज्यमें दुःखी विधवा स्त्रियां अथवा अनाश्रमी न होना
२. रामराज्यमें लोकतंत्रके अनुसार प्रत्येकको ‘मत’ देनेका, अर्थात राजा चुननेका अधिकार नहीं था; किंतु प्रत्येकको ‘मत’ अमान्य करनेका अधिकार था । इसका अर्थ है कि प्रत्येकको राजासे भी अधिक अधिकार था । ‘धोबीकी पत्नी क्या करे, क्या न करे’, इसमें श्रीरामका हस्तक्षेप नहीं था; किंतु ‘श्रीरामकी पत्नी कैसा आचरण करे’, यह कहनेका अधिकार साधारणसे धोबीको था । इसीलिए उसके कहनेपर श्रीरामने अपने प्राणोंसे भी प्रिय पत्नी सीताका त्याग किया । रामराज्यमें समताका लाभ प्रजा ले रही थी, तो विषमताका दुःख श्रीराम भोग रहे थे ।’ - डॉ. वसंत बाळाजी आठवले (ई.स. १९९०)
‘राम वनवासके लिए निकले । उस समय रामराज्यके शोकाकुल नागरिक रामका रथ नहीं रोक सके । उस रात्रि अयोध्याके किसी घरमें न तो दिया जला, न अग्नि प्रदीप्त हुई और न भोजन ही बना । जलविहीन सागरसमान अयोध्या निर्जन / उदास हो गई ।’ -गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी (घनगर्जित, जून २००६) राज्यमें वेश्याएं नहीं थीं; कारण, वेश्याके पास जानेवाले लोग ही नहीं थे । राज्यमें चोर न होनेके कारण पुलिस भी नहीं थी । अपराध न होनेके कारण न्यायालय नहीं थे । सर्वजन धर्मनियमोंका पालन करते थे ।
१.१ शासक : शासक, धर्मपालक, सात्त्विक, नीतिमान, जनकल्याणकारी, निःस्वार्थी एवं जनतासे पितासमान प्रेम करनेवाले होंगे ! वे जनतासे धर्माचरण करवानेवाले, संतोंका मार्गदर्शन लेनेवाले, पारदर्शी कार्यव्यापार करनेवाले तथा न्यायप्रियता, नियोजनबद्धता, अनुशासनप्रियता, निर्णयक्षमता, सतर्कता आदि प्रशासकीय दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण गुणोंसे युक्त होंगे ।
१.२ राज्यका संविधान : ‘लोकतंत्रमें संविधानकी आवश्यकता होती है, तो धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्रमें धर्म ही नीति-नियमोंका मूल होनेसे राज्यको संविधानकी आवश्यकता नहीं होगी !’ – अधिवक्ता रामदास केसरकर, सनातन संस्थाके मानद विधि-परामर्शदाता
१.३ चुनाव : मतकोष, आरक्षित स्थान, हिंसाचार, ५० प्रतिशतसे अधिक लोगोंद्वारा नकारे जानेपर भी, सर्वाधिक मत मिलनेके कारण प्रत्याशियोंका जीतना आदि त्रुटिपूर्ण चुनाव हिंदुराष्ट्रमें नहीं होंगे । पात्र जनता पात्र और योग्य नागरिकको राज्यकार्यव्यापार करनेके लिए कहेगी ।
१.४ राज्यका कार्यव्यापार : राज्यका कारभारसंबंधी निर्णय बहुमतके बलपर नहीं, अपितु योग्य और आवश्यक तत्त्वोंका विचार कर लिया जाएगा । उसमें पारदर्शकता होगी ।
२.१ न्यायदान : न्यायाधीश सूक्ष्म आयामके जानकार होंगे, इसलिए अन्यायग्रस्तोंको योग्य और तुरंत न्याय मिलेगा ! इस कारण, न्यायप्रणालीमें अधिवक्ताओंकी आवश्यकता नहीं होगी । हिंदुराष्ट्रमें लोकतंत्रकी भांति ‘कानूनका राज्य’ (कोर्ट ऑफ लॉ) नहीं; अपितु ‘न्यायका राज्य’ (कोर्ट ऑफ जस्टिस) होगा ।
२.२ कानून : सर्व कानून हिंदुहितमें होंगे । धर्मांतरण, विधिद्वारा प्रतिबंधित होगा । इस कारण, किसीको फंसाकर धर्मांतरित नहीं किया जा सकेगा । गोवंशहत्याबंदी कानून होगा । अल्पसंख्यकोंका
तुष्टीकरण नहीं होगा । सर्व नागरिकोंके लिए ‘समान नागरी कानून’ होगा !
३.१ आरक्षक (पुलिस) एवं प्रशासन : हिंदुराष्ट्रमें शासन, प्रशासन, सुरक्षा बल और न्यायालयोंमें केवल राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी होंगे ।
३.२ आरक्षणमुक्त पदोन्नति : हिंदुराष्ट्रमें आरक्षण नहीं होगा । वर्तमान लोकतंत्रमें जाति अथवा धर्मके आधारपर लोगोंको दी गई सर्व नौकरियां, उनमें योग्यता होनेपर ही हिंदुराष्ट्रमें पूर्ववत जारी रहेंगी अन्यथा उन नियुक्तियोंको निरस्त कर दिया जाएगा ! अधिकारियोंको उनकी योग्यताके अनुसार, अर्थात लगन, भाव, प्रीति, नेतृत्वगुण एवं अहंभाव अल्प इत्यादि गुणोंके आधारपर ही बढोत्तरी मिलेगी ।
४.१ सीमा : हिंदुराष्ट्रमें देशकी सर्व सीमा सर्वप्रथम सुरक्षित की जाएंगी । घुसपैठपर अंकुश लगानेके लिए कठोर कानून बनाए जाएंगे ।
४.२ संरक्षण : देशकी अंतर्बाह्य सुरक्षाको प्रथम वरीयता होगी । आतंकवादी (बाह्य) और नक्सलवादी (अंतर्गत) शत्रुओंका निर्मूलन किया जाएगा । इस कारण प्रजा सुरक्षित जीवन यापन कर सकेगी !
वर्तमानमें अर्थशास्त्रकी पश्चिमी व्याख्या, ‘आवश्यकता अमर्यादित और आपूर्ति मर्यादित, इनमें सामंजस्य स्थापित करनेवाला शास्त्र’ है । इस व्याख्यामें सर्वजनोंकी आवश्यकताओंकी पूर्ति होती नहीं दिखाई देती । हिंदुराष्ट्रके अर्थशास्त्रानुसार सर्वजनोंको आवश्यकतानुसार सब मिलेगा, अर्थात सर्वजन सुखी होंगे । संक्षेपमें, हिंदुराष्ट्रमें अर्थशास्त्र कौटिल्यके अर्थशास्त्रपर आधारित ‘सर्वे संतु निरामयः’, यह वचन सार्थक करनेवाला होगा । कालाधन और भ्रष्टाचार न होनेके कारण और जनता उद्यमशील वृत्तिकी होनेके कारण देशकी अर्थव्यवस्था उत्तम होगी । उसमें देशवासियोंका पैसा उन्हींके कल्याणके लिए व्यय किया जाएगा । भाववृद्धि और शेअर बाजार जैसे जुएके अड्डे भी हिंदुराष्ट्रमें नहीं होंगे । राष्ट्रीय प्रगतिके लिए आवश्यक उतना ही कर उगाहनेवाली कौटिल्यकी अर्थनीतिपर
आधारित करव्यवस्था हिंदुराष्ट्रमें होगी ।
५.१ उद्योगीकरण : ‘उद्योगीकरणके कारण नागरिकोंकी सादी जीवनशैली नष्ट होकर भोग-विलास आवश्यक लगने लगता है । इस कारण भोगवाद बढता है । हिंदुराष्ट्र धर्माधिष्ठित होनेके कारण वह उद्योगीकरणको नियंत्रित रखेगा और योग्य दिशा भी देगा । हिंदु धर्मने विशिष्ट आयुके पश्चात व्यक्तिको निवृत्तिका मार्ग बताया है । इस निवृत्तिमार्गके कारण सांसारिक उपभोग सीमित होकर उससे संबंधित वस्तुओंके उत्पादनपर अपनेआप ही अंकुश लगेगा ।
५.२ उत्पादन : हिंदुराष्ट्रमें स्वदेशी अस्मिताका पोषण किया जाएगा । नागरिक स्वदेशी वस्तु ही क्रय करेंगे । भौतिक सुखवाद नहीं; अपितु धर्मानुकूल हिंदु जीवनपद्धति वेंâद्रबिंदु होगी । इससे सुखवादी उत्पादनोंको प्रोत्साहन नहीं मिलेगा ।
५.३ कृषि : सात्त्विक, राष्ट्रीय आवश्यकताएं पूर्ण करनेवाले और राष्ट्रीय प्रगतिके लिए पोषक अन्न ही कृषक बोएंगे । भारतको अन्न-धन और मूलभूत आवश्यकताओंके संबंधमें स्वयंपूर्ण बनाना, यह कृषि
विभागका ध्येय होगा ।
५.४ उपजीविका : लोग बाहुबल और ज्ञानके द्वारा द्रव्यार्जन करेंगे । नागरिकोंकी कार्यक्षमता बढेगी, इस कारण श्रमशक्ति एवं ज्ञानशक्ति वृद्धिंगत होगी । जनता कृपण नहीं; अपितु मितव्ययी होगी ।
६.१ शिक्षण : मैकॉलेप्रणीत शिक्षणपद्धति हटाकर, आदर्श गुरुकुल पद्धति अस्तित्वमें लाई जाएगी । इस शिक्षणपद्धतिके कारण विद्यार्थी आत्मनिर्भर, ज्ञानी, स्वाभिमानी, राष्ट्रप्रेमी तथा आत्मबल और क्षात्रतेजसे संपन्न होंगे ।
६.२ धर्मशिक्षण : विद्यालयस्तरसे ही धर्मशिक्षण दिए जानेसे भावी पीढी संस्कारित एवं नीतिमान होगी । हिंदु धर्मग्रंथोंकी सीख देनेवाले ‘विद्यालयों’की स्थापना की जाएगी । गुरु-शिष्य-परंपरा पुनरुज्जीवित की जाएगी ।
६.३ अध्यात्म विश्वविद्यालय : अध्यात्ममें प्रगति करनेकी इच्छा रखनेवालोंके लिए ‘अध्यात्म विश्वविद्यालयों’की स्थापना की जाएगी । इस विद्यालयसे उत्तीर्ण होकर बाहर जानेवाले विद्यार्थी संत ही होंगे ।
६.४ इतिहास : भारतके प्राचीन गौरवशाली इतिहासका पुनर्लेखन कर हिंदुओंका सत्य और राष्ट्रभक्तियुक्त क्षात्रवृत्ति जागृत करनोवाला इतिहास विद्यालयोंमें सिखाया जाएगा । हिंदुओंके तेजस्वी इतिहासका प्रमाण देनेवाली ऐतिहासिक वस्तुओं और वास्तुको संजोया जाएगा ।
६.५ विज्ञान : ‘विज्ञानके लिए विज्ञान’, वैज्ञानिक शोधका यह स्वरूप न रहकर, वह मानवजातिके लिए पूरक होगा । विज्ञानकी सीमाएं भी बताई जाएंगी ।
६.६ कला : ‘मात्र कलाके लिए कला’ नहीं; अपितु ‘ईश्वरप्राप्तिके लिए कला’, इस दृष्टिसे कलाका विकास किया जाएगा ।
७.१ मनोरंजन : संगीत, दूरदर्शन, क्रीडा, यात्रा, वर्तमानपत्र, ये केवल मनोरंजनके साधन नहीं होंगे; अपितु इनके माध्यमसे समाज एवं राष्ट्रकी प्रगतिके लिए पोषक, वैचारिक विकासकी ओर ध्यान दिया जाएगा ।
७.२ सार्वजनिक स्थानोंके नाम और पुतले : ‘मार्गोंको, विविध प्रतिष्ठानोंको दिए गए राजनेताओंके नाम, उनके खडे किए गए पुतले तथा केवल १-२ पीढियों तक ही ज्ञात नामोंके रास्ते, पुतले इत्यादि हिंदुराष्ट्रमें नहीं होंगे । उनके स्थानपर देवता, संत, ऋषिमुनि, कालिदास समान अभिजात लेखकोंके नाम मार्गोंको दिए जाएंगे ।
७.३ राष्ट्रीय दिवस : हिंदुराष्ट्रमें प्रत्येक दिवस आध्यात्मिक लाभकी दृष्टिसे मनाया जाएगा, उदा. ‘शिक्षकदिवस’ गुरुपूर्णिमापर, ‘आरोग्यदिवस’ धन्वंतरी जयंतीपर, ‘कलादिवस’ महाशिवरात्रिपर (नृत्य और
संगीत शिवसे उत्पन्न हुए ।), तो ‘न्यायदिवस’ यमद्वितीयापर ।
८.१ देवालय : देवालयोंके न्यासी और सेवाधारी भक्त होंगे तथा देवनिधिका उपयोग धर्मकार्यके लिए ही होगा ! देवताओंके उत्सवमेलोंसे श्रद्धालुओंको आध्यात्मिक लाभ होनेके लिए उत्सवमेलोंकी गुणवत्ता सुधारी जाएगी ।
८.२ देवताओंकी मूर्ति : देवालयोंमें देवताओंकी मूर्तियां संबंधित देवताके अधिकाधिक तत्त्व और सात्त्विकता प्रक्षेपित करनेवाली होंगी । इस कारण, श्रद्धालुओंकी भावजागृति सहजतासे होगी ।
हिंदुओ, अपेक्षित हिंदुराष्ट्र वास्तवमें साकार होनेके लिए प्रतिज्ञा करें ! रामराज्यकी प्रजा धर्माचरणी थी । इसीलिए उसे श्रीराम समान सात्त्विक राजा शासकके रूपमें मिला । हम भी धर्माचरणी बनें, तो इस कलियुगमें भी रामराज्य, अर्थात धर्माधिष्ठित हिंदुराष्ट्र अवतरित होगा !
From right: H.H. Pande Maharaj inaugurating Hindi website; Mr. Yadnesh Sawant; Mr. Shivaji Vatkar |
H.H. Dr. Athavale, Founder, Sanatan Sanstha |