क्यों अजमेर पर ही चादर जाती है? शिव पर किसी का गंगा जल क्यों नही?
- सबसे पहले मुझे कोई यह बात बताये की यह मानसून के लिए सोनिया जी और बड़े धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार नेता अजमेर शरीफ पर ही क्यों चादर चढाते। क्यों नही शिवजी पर गंगा जल या हर की पौडी पर आरती करा देते।
- मुझे एक बात और समझ नहीं आती दो फर्लांग की ये चादरे भेजते फिर रहे है क्यों यह एक हाथ छोटी चुनरी माँ वैष्णव देवी पर चढाने को किसी को नहीं भेजते?
- क्यों भारत देश और उसके राज्ये मंत्री छुप छुप कर पूजा करते है? क्यों सामूहिक रूप से पूजा में शामिल नही होते?
- क्यों पूजा अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए ही करते है? परन्तु राष्ट्र की बात आती है तो तुंरत सेकुलर हो जाते है? क्या इसका मतलब मैं यह न निकालू की जब अपने स्वार्थ की बात आती है तो सही, और सच्चा भगवन का रास्ता परन्तु जब राष्ट्र की बात आती है तो झूटी धरमनिर्पेक्षता। यह झूटी नौटंकी क्यूँ? यह दोहरा चरित्र क्यों? यह दोरंगा व्यहवार क्यों?
- मित्रो वो कौन सी शक्ति है जो १०० करोड़ वोट की परवाह न करने से रोकती है? ए़सी कौनसी शक्ति है जो इंटरव्यू के आई आई टी और कैट की परीक्षा देते तो हर भगवान् के चक्कर लगा लेंगे परन्तु मंदिर की बात आते ही राम सेवको को हिकारत की निगहाओ से देखेंगे। एसा क्यां हैं उन अभिनेताओ और अभिनेत्रियों में जो शुक्रवार को पिक्चर रिलीस होने से पहले सिद्दि विनायक की चोखट पर जाएँगी और इन वैदिक अरध्यो के समाज में समानजनक स्थिति को तुंरत राजनीती कह कर पल्ला झाड़ लेंगे। जब फैक्ट्री या कंपनी की नीव के वक्त पूजा हो सकती तो राष्ट्र के लिए पूजा क्यों नहीं?
- बड़ा प्रशन इस दोहरे चरित्र को जीने के पीछे कारण जानने का है. की वो कौनसे कारण हैं जो सच को सच बोलने से रोकता है. भगवान् को भगवान् कहने से रोकता है. १०० करोड़ हिन्दुओ के देश में अपने अरध्यो के नाम से संसद, लालकिले या इंडिया गेट पर एक ध्वनि में सामूहिक रूप से श्रद्धा और भक्ति से "जय श्री राम" और "हर हर महादेव" को कहने से रोकता है. जब सरहद पर सैनिक हर हर महादेव और जय श्री राम के नारे लगा सकते है तो मैं गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर क्यों नहीं? कौन मुझे अपनी सच्ची भक्ति राष्ट्र के लिए करने से रोकता है। जब में अपनी भलाई के लिए अपने परिवार के साथ अपने ग्रहप्रवेश हवन या यज्ञ से कर सकता हूँ अपना और अपने बच्चो का जन्मदिन सुबह मंदिर जा कर या घर हवन कर कर मनाता हूँ (इन सभी सेकुलर नेताओ की तरेह) तो इन ही नेताओ के साथ देश का जन्मदिन क्यों नहीं मना सकता? इन की "न" के स्वांग के पीछे क्या कारण है?
और जब मैं यह नहीं कर सकता तो फिर मैं इस देश को अपना समझने का स्वांग ही करूँगा. जैसा की सभी कर रहे है। और शायद इसीलिए इस देश में लोग देश की असीमित की कीमत पर देश को ही दाव पर लगाने से नहीं हिचकते। जब लोग अपनी आत्मा को अलग कर कर देश से प्यार का स्वांग करेंगे तो देश का यह ही हाल होगा जो पिछले 60 वर्षो से होता आ रहा है। और सरकार जबरदस्ती झूठा देशभक्ति का पाठ पढ़ा रही है। यदि यह न होता तो सरकार अभी तक परम पूज्नेये, महान देश भक्त वीर सावरकर के नाम पर एक छोटे से पुल के नामकरण पर करोड़ हिन्दुओ को अपमानित न करती। मुझे नहीं पता फिर कैसे देश के लोगो में देशप्रेम की हूक उठेगी। अब तो स्वांग बंद करो।