Monday, October 12, 2009

'Mandirs should be schools too'

India Retold: POLITICALLY MILKING 'MUMBAI'

  • tags: no_tag

    • Gujaratis are among the oldest residents of Mumbai. If they have always got the ‘bai’ part of the name of the city right, there is no reason to believe that they were not able to pronounce the ‘Bom’ part correctly and therefore twisted it to ‘Mum’. Thus, if Gujaratis have always called Bombay ‘Mumbai’ as Sanghvi says, it almost proves the fact that the British corrupted the original name of a village called Mumbai to Bombay rather than the other way round! Outsiders who came into the city when the corrupted Bombay was its established British name, seem to have further corrupted the already corrupted ‘Bom’ to ‘Bam’ and taken the ‘bai’ part from the locals.

      Bombay is not an isolated case of the corruption of the names of Indian cities by the British. Most people have forgotten that Kanpur was called ‘Cawnpore’ by the British. There was no city at that spot too before the British built a huge military station after getting the place in 1801. Prior to that, the small town/village that existed there was variously called Karnapur(after Karna of Mahabharat) or Kanhapur/Kanhiyapur(after Lord Krishna). There was also a Kohna village in the area. Whatever the prevalent name when the British took control of it, they promptly proceeded to corrupt it to an almost unrecognisable Cawnpore.
    • Examples of arrogant mutilation of names of Indian people, places and things are endless.

त्यागी: हिंदुस्तान हिजडो की फौज ??? !!!!!!!!

  • tags: no_tag

    • मुझे गुस्सा और दुःख इस बात पर आता है दिल्ली जैसे शहर में लूट मार होने पर या बलात्कार या कुछ भी गलत होने पर यह मर्द लोग मीडिया के आगे रोने क्यों लग जाते है. और वो भी किस मीडिया के जिसने की हिजडो की फौज बनाने की सुपारी ली हुई है. मुझे कुछ दिन पहले रांची के एक इंस्पेक्टर के बेटे का बयान सोचने पर मजबूर करता है की हमारा समाज कितना नपुंसक है. वो १० साल का लड़का अपने बाप की माओवादियो द्वारा सर कलम करने के दुःख की अभिव्यक्ति कर रहा था की ओ माओवादियो जिस तरह से तुमने मेरे बाप को मारा है मैं भी तुम्हे मारूंगा. मुझे नहीं पता उसके बाद क्या हुआ परन्तु आंसू मेरे आँख में झलक गए की अब दिन यह आगया की एक दस साल का बच्चा भी इस समाज की क्रूरता से ताव खा गया. यह उस झारखण्ड का हाल है जिसमे सोनिया गाँधी की कांग्रेस और लालू की भड़वो ने झारखण्ड में भ्रष्टाचार का नग्न नृत्य किया है. जहाँ का मुस्लिम राज्यपाल भ्रष्टाचार के जोहोड (तालाब) में ठट्टा लगा कर गया है. उस झारखण्ड में कोई माई का लाल मानवाधिकार का रखवाला या इस देशभक्ति का ढोंग रचने वाला वहा पहुँच कर उस बच्चे को कोई सांत्वना देकर आया हो. अरे हिजडो अपनी ही दिल्ली में तुमने उस मोहन शर्मा इंस्पेक्टर के बच्चो का हाल चाल न जाना. तो झारखण्ड क्या जाओगे.
    • वो चीन रोज थोडी थोडी पैंट नीचे उतार रहा है और देश के नौजवान सेम्लेंगिगता पर भाषण पिला रहा है. ओ सेम्लिंगिकता के पेरोकारो कैसे चीन का मुकाबला करोगे. या उसके लिए कोई बोबी डौल दूंढ रखी है. तुम दिल्ली में हुए छोटे से अत्याचार पर तो एन डी टीवी के पास रोने आजाते हो चीन के अत्याचार पर क्या कर रहे हो.
    • हरियाणा के नेताओ के दोस्तों सफ़ेद पहेने कपड़ो पर मत जाओ. कुछ एक दिन के है सब जमीन बेच कर नेता हुए है और १० साल बाद वो ही होगा जो अंदमान निकोबार के आदिवासियो का हुआ है. फिर देखते है किसे नंबर वन हरियाणा बनाया जायेगा. अरे भाई खेती की बात करो. हरियाणा की मट्टी की बात करो. उस दूध और दही की बाते करो जिसमें की हरियाणा नंबर वन था. आज दीवाली पर हरियाणा में ही कई लाख टन मावा नकली और यूरिया का दूध मिलता है. और तुम हो की बावले पिल्लै के तरह हरियाणा नंबर वन बता रहे हो.

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): इस चुनावी पोस्टर के बारे में इटली की आंटी और

  • tags: no_tag

    • संभाजी नगर से राष्ट्रवादी कांग्रेस के उम्मीदवार कदीर मौलाना ने अपने चुनावी पोस्टर में मतदाताओं से अपील की है कि वे हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दें, तथा औरंग की ज़मीं पर चांद-सितारा फ़िर से लहरायें…।
    • इस पोस्टर को  देखिये, इसे ऑल इंडिया मस्जिद कमेटी ने जारी किया है (जिससे वे अब इंकार कर रहे हैं)… लेकिन सवाल ये उठता है कि शिवसेना के एक उम्मीदवार के पोस्टर में कृष्ण की गीता का उल्लेख और चित्र आता है तो चुनाव आयोग कार्रवाई करने पोस्टर भी हटवाता है और नोटिस भी देता है… क्या इस मामले में नवीन चावला अब तक सो रहे हैं?
    • यह पोस्टर "बुरका दत्त" को अभी तक नहीं दिखाई दिया होगा…
    • ज्यादा क्या लिखूं, आप खुद ही पोस्टर देखिये, उसकी भाषा देखिये, उनके संस्कार देखिये, चुनाव आयोग के बारे में सोचिये, कांग्रेस की नीचता का विचार कीजिये, और हिन्दुओं को राजनैतिक रूप से इकठ्ठा क्यों होना चाहिये… सेकुलरों के मुँह पर इस पोस्ट को मारकर बताईये…
    • (स्रोत - शिवसेना सांसद संजय राउत द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर)

Secularism shredded in Kashmir Valley - Attacks | hindujagruti.org

  • tags: no_tag

    • Their love affair and courtship lasted for more than five years and the families of both the boy and the girl knew what was in the offing. So far so good. Both the man and the woman were adults and in the eye of law were competent to make a decision on a subject that affected their lives. They chose to get married.
    • One may wonder how they met and how did the love last for almost half a decade in the not so friendly environment of the Kashmir valley. Well, Rajneesh used to go to the Kashmir valley year after year on the holy pilgrimage to the cave of Lord Amarnath. That is where he met Ameena and they fell in love.
    • When the 25 year old, educated Ameena disclosed her desire to convert to the Hindu Dharma and marry her beau, hell broke loose in the Muslim society and opposition to the wedding became an Islamic issue. The girl eloped to Jammu.
    • Back in Srinagar, Ameena’s father lodged an FIR with the Kashmir police that his minor daughter had been kidnapped by Rajneesh and forced to marry him. The complaint was against facts of the case. However, the communal overtones swayed the course of action and the Srinagar police went to Jammu and arrested Rajneesh.
    • They brought him to Srinagar, tortured him endlessly for days and beat him black and blue for no fault of his. The bride, Ameena, in Jammu supported her husband through thick and thin but it did not cut ice with the pre-conceived notions of authorities in Srinagar. Ameena’s brother turned out to be the villain of the piece, till Rajneesh died of wounds inflicted on him. Here was a case of custodial death.
    • ow the people’s demand is: Order a CBI enquiry into the circumstances leading to the custodial death. The Jammu and Kashmir government has ordered a magisterial probe but, everyone considers it an eyewash.
       
      Surprisingly, the government leaders have not yet faced the people with a word of solace to comfort the grieving family. Neither the chief minister, leaders of opposition and others in the Kashmir valley have stepped forward. The story is different in Jammu, where the issue may assume political overtones. The communal divide is complete and secularism has been shredded by leaders, who profess it in public, but not in private.