Monday, November 23, 2009

मोहन भागवत बोले : भारत के मुसलमान भी हिंदू - khaskhabar

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    • बेंगलुरू
    • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारतीय मुसलमान मूल रूप से हिंदू हैं और हिंदू परम्पराओं का अनुसरण करते हैं।
      भागवत ने रविवार सायं बेंगलुरू पैलेस के मैदान में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, भारत हिंदुओं का देश है। यहां तक कि यहां के मुसलमान और ईसाई भी हिंदू हैं, क्योंकि उन्होंने हिंदू संस्कृति को अपनाया है, उनकी ज़डें हिंदुत्व से जु़डी हुई हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमान कव्वाली गाते हैं, क्योंकि उन्हें अपने पूर्वजों से भजन गाने की कला विरासत में मिली हुई है। ये महान मुस्लिम संतों की दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं, जो कि हिंदुओं द्वारा की जाने वाली पूजा के समान है।

बाबरी विध्वंस : न अटल दोषी हैं न ही राव को क्लिन चिट - khaskhabar

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    • बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच करने वाले लिब्राहन आयोग की असल रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल नहीं है। एक अखबार में छपी खबर में लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया है कि आयोग ने अटल, आडवाणी समेत भाजपा, वीएचपी, संघ और शिवसेना को दोषी माना है। सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन नरसिंहा राव सरकार पर रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाए गए हैं जबकि अखबार ने कहा था कि रिपोर्ट में नरसिंहा राव सरकार को क्लिन चिट दे दी गई है। एक चैनल ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में रिपोर्ट में कहीं नहीं कहा गया है कि वे ध्विंस के लिए जिम्मेदार हैं।

भाजपा तय करे शिवसेना चाहिए या राष्ट्रवाद ?


    • || संजय द्विवेदी ||
    • विचारधारा को लेकर भ्रम से गुजर रही भारतीय जनता पार्टी से लोग यह जानना चाहते हैं कि वह शिवसेना के साथ खड़ी है तो इसका कारण क्या है ? क्या भाजपा के लिए उसका सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अब बेमानी हो गया है ? जिसके कारण वह शिवसेना जैसे दल से अपने रिश्तों को पारिभाषित नहीं कर पा रही है। क्या वृहत्तर हिंदू समाज और अन्य धार्मिक समूहों के साथ उसका संवाद शिवसेना जैसे प्रतिगामी दलों के चलते प्रभावित नहीं हो रहा है ? सही मायने में भाजपा को शिवसेना जैसे दलों से हर तरह के रिश्ते तोड़ लेने चाहिए क्योंकि शिवसेना की राजनीति का आज के भारत में कोई भविष्य नहीं है।
    • माना कि कांग्रेस ने अपनी राजनीति को बढ़ाने के लिए फूट डालो और राज करो की रणनीति पर चलना उचित माना, जिसका लाभ भी उसे साफ तौर पर मिला। किंतु क्या इससे भाजपा का पाप कम हो जाता है। भाजपा नेतृत्व को दिल पर हाथ रखकर ये सोचना होगा कि क्या किसी उत्तरभारतीय ने शिवसेना से बीजेपी के रिश्तों को देखते हुए मुंबई में बीजेपी को वोट दिया होगा?
    • देखा जाए तो भाजपा और शिवसेना का रिश्ता इसलिए संभव हो पाया कि शिवसेना ने अपनी उग्र क्षेत्रवाद की राजनीति का विस्तार करते हुए हिंदू एकता की बात शुऱू की थी। हिंदुत्व भाजपा और शिवसेना की दोस्ती का आधार रहा है। राममंदिर के आंदोलन में दोनों दलों की वैचारिक एकता ने इस दोस्ती को परवान चढ़ाया था। भाजपा के नेता स्व. प्रमोद महाजन ने इस एकता के लिए काफी काम किया। महाजन में यह क्षमता थी वो बाल ठाकरे को सही रास्ते पर ले आते थे।
    • ( लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष हैं)

लिब्रहान लीक से फायदा किसका? - Oneindia Hindi

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    • रेणु अगाल

      बीबीसी संवाददाता, दिल्ली से

    लिब्रहान लीक से फायदा किसका?
    • पर ध्यान दीजिए, बिखरे हुए विपक्ष ने गन्ना किसानों के मामले में गज़ब का समन्वय दिखाया, अजित सिंह, मुलायम सिंह, भाजपा और वामपंथी [^] दल एक स्वर में बोले.

      मधु कोड़ा के कथित भ्रष्टाचार का मामला झारखंड चुनावों के बीच छाया है, साथ ही स्पेक्ट्रम घोटाला भी केंद्र का सिरदर्द बना है.

      तो क्या इस सबसे ध्यान हटाने के लिए लिब्रहान का जिन्न एक बार फिर आया है जैसे कई चुनावों के पहले भी रह रह कर आया करता था.

      ये रिपोर्ट जून में जस्टिस लिब्रहान ने सरकार को सौंपी थी. फिर सरकार ने ये रिपोर्ट पिछले सत्र में क्यों पेश नहीं की, इस सत्र के शुरु होते ही इसे क्यों नहीं पेश किया गया. अब क्या सही समय था... मन में बेशक ये सवाल उठता है.

    • वहीं कल्याण सिंह के तजुर्बे के उतने सफल न होने के बाद फिर मुसलमानों का साथ मांगते मुलायम सिंह को भी आशा है कि वो बाबरी के सहारे ही सही उत्तरप्रदेश की राजनीति में वापसी की आस बना लें.