Friday, October 16, 2009

visfot.com । विस्फोट.कॉम - नागपुर में अम्बेडकर की मूर्ति पर चप्पलों की माला

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    • ऐन चुनाव से पहले महाराष्ट्र में एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम के तहत रविवार को कुछ शरारती तत्वों ने नागपुर के धरमपेठ में स्थापित भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर चप्पलों की माला पहना दी. देखते ही देखते नागपुर के धरमपेठ में स्थिति तनावपूर्ण हो गयी.
    • धरमपेठ में अंबेडकर मूर्ति के पास इकट्ठा लोग
    • प्राप्त जानकारी के अनुसार नागपुर में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सुबह एक आश्चर्यजनक घटना घटी। शहर के मध्य में स्थित धरमपेठ के आम्बेडकरनगर (गाड़गा) के लोग जब सुबह उठे तो देखा कि यहां बुद्धविहार में डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर की प्रतिमा को किसी ने चप्पल की माला पहनाई हुई है। फिर क्या था। पूरा मुहल्ला आक्रोश में भर गया। बाबा की मूर्ति की अवमानना को लेकर इलाके में तनावपूर्ण माहौल बन गया।
    • आक्रोषित भीड़ तब शांत हुई जब डॉ. बाबा साहब की प्रतिमा को पवित्र जल से धोकर कर उनके गले में फूलों की माला पहनाई गई। जैसे-जैसे इसकी खबर दलित और बहुजन समर्थकों को हुई शहर के प्रमुख इलाकों मंे उनका धरणा प्रदर्शन शुरू हो गया। बाबा की मूर्ति की अवमानना करने वालों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग हो रही है। घटना के पास ही गुस्साई भीड़ ने एक वाहन पर पथराव कर कांच फोड़ दिया।

visfot.com । विस्फोट.कॉम - बीटी बैंगन के सवाल पर मुखर हुए जनसंगठन

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    • 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस की पूर्व संध्या पर तथा भारत की केंद्रीय नियामक इकाई द्वारा भारत की पहली जीएम खाद्य फसल के रूप में बीटी बैंगन को मंजूरी दिए जाने के ठीक एक दिन बाद उपभोक्ता अधिकार समूहों और रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशनों ने दिल्लीवासियों से जीएम (जैव-संशोधित) खाद्य पदार्थों को खारिज करने की अपील की क्योंकि ये सेहत को तमाम किस्म के खतरे पैदा करते हैं।
    • दिल्ली के रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशनों के संघ युनाइटेड रेजिडेंट्स ज्वाइंट एक्शन फोरम के समन्वयक जसबीर चड्ढा ने कहा, `यदि बीटी बैंगन बाजार में आ गया, तो ऐसा कोई तरीका नहीं होगा जिससे उपभोक्ता प्राकृतिक और बीटी बैंगन के बीच अंतर कर सकेगा क्योंकि दोनों ही देखने में एक से लगते हैं। इसलिए यह उपभोक्ताओं से पूर्व सूचित चयन के अधिकारों को छीन लेता है।´´ यह संघ दिल्ली के उपभोक्ताओं के बीच जीएम खाद्य पदार्थों पर एक जागरूकता अभियान चला रहा है और उसे उम्मीद है कि लोगों के बीच सुरक्षित भोजन के अधिकारों पर एक बहस को जन्म दिया जा सकेगा ताकि वह अधिकार बचा रह सके। 
    • पीपंल्स एक्शन एड के श्री संजय कौल ने कहा कि एक ऐसे वक्त में जब दुनिया भर में अधिकतर जगहों को ``जीएम मुक्त´´ घोषित किया जा रहा हो और जीएम फसलों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा हो, भारतीय नियामकों द्वारा बीटी बैंगन को मंजूरी दिया जाना अपने आप में गलत फैसला है क्योंकि इसे दुनिया में अन्य किसी भी जगह मंजूरी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि, ``बीटी बैंगन भारत में ही पैदा होने वाले प्राकृतिक बैंगन को नष्ट कर डालेगा।´´
    • कंज्यूमर्स इंटरनेशनल (यूके) के सदस्य कंज्यूमर्स फोरम ने भी जीईएसी द्वारा बीटी बैंगन को दी गई मंजूरी पर आपत्ति जताई है। फोरम के निदेशक सुनील प्रकाश ने कहा, ``हमने सुना है कि अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में इस पैनल और विशेषज्ञ समिति ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वह समस्याग्रस्त है। भोजन जैसी बुनियादी चीज के संदर्भ में मंजूरी के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में पारदर्शिता या सार्वजनिक विमर्श का घोर अभाव निराशाजनक है और यह ब्रिटेन जैसे देशों के अनुभवों से ठीक उलट है, जहां सरकार ने जीएम फसलों पर राष्ट्रीय स्तर पर एक बहस चलाई थी जिसका नाम था `जीएम नेशन´, जिसका नतीजा यह हुआ कि जीएम खाद्य पदार्थों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया। भारतीयों को ``प्रयोगशाला के चूहों´´ में तब्दील नहीं किया जा सकता और यह काफी गंभीर चिंता का विषय है।´´

visfot.com । विस्फोट.कॉम - डॉ कोठारी का 'दाल सत्याग्रह'

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    • करीब दो दशक से डॉ. शांतिलाल कोठारी देश के सभी राज्यों में इस दाल की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इस दाल की बिक्री व संग्रह पर लगा प्रतिबंधन महाराष्ट्र, छतीसगढ़ और पश्चिम बंगाल सरकार हआ चुकी है। डॉ. कोठारी का कहना है दाल के भाव आसमान छू रहे हैं। आम और खास लोग भी दाल की महंगाई से त्रस्त हैं। लाखोड़ी दाल का उत्पादन मूल्य बेहद कम होता है।  इसलिए देश के अन्य राज्यों में भी इसकी बिक्री व संग्रह की अनुमति मिले। इसके लिए डॉ. कोठारी गुरूवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वह अपने प्राण इस आंदोलन की खातिर त्याग देंगे।
    • इससे पहले भी डा. कोठारी सरकार के खिलाफ सत्याग्रह कर चुके हैं। पिछली बार 60 दिनों का अन्न त्याग सत्याग्रह आंदोलन के दौरान उनकी  ओपन हार्ट सर्जरी भी की गई थी। उन्हें डॉक्टरों ने हमेशा समय पर दवाइयां लेने का निर्देश दिया हैं। इसके बाद भी डॉ. कोठारी ने गुरूवार से आंदोलन शुरू कर दी और उन दवाओं को खाना छोड़ दिया है जिसे खाने की सलाह डाक्टर ने दी है।
    • दालों की कमी आज पूरे देश की समस्या है। नेता उसकी चिंता, चर्चा एवं उपाय करते नहीं थक रहे हैं। किन्तु उसके हल का मार्ग बताने वाले एक भारतीय वैज्ञानिक द्वारा प्राणों की बाजी लगा देने के बावजूद उसकी बातों को नजर अंदाज किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को नकली हानिकारक तुअर दाल को बेचने एवं धन कमाने का मौका देने में हर सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
    • डॉ. कोठारी का कहना है कि यह आश्चर्य से कम नहीं है कि खेसारी दाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, इसका वैज्ञानिक प्रमाण हो जाने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2008 में खेसारी दाल पर से प्रतिबन्ध तो जरूर हटा लिया, किन्तु  बार-बार आग्रह करने के बावजूद इस दाल के उत्पादन के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। इस साल देश में देर से आये मानसून के कारण परेशान एवं पीड़ित किसानों के लिए खेसारी की फसल वरदान है, किन्तु कृषि विभाग किसानों की फसल का उत्पादन बढ़ाने का आव्हान करने का कोई प्रयास नहीं किया जाना, चिंता की बात है।

Why the Church hates Hinduism « Indian Realist

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    • The reason why the church hates Hinduism is that the depth of Hindu philosophy — with its spiritual insights collected over 5,000 years by thousands of meditative sages, its universalism, its tolerance, its vastness of scope, its democracy of thought – offers a formidable threat to the simplistic and shallow “true god, false god” philosophy on which Chritianity and Islam are based.
    • To counter the appeal of Hinduism to White Christians, the church developed a strategy — it tried to become the main source of information and interpreter about what Hinduism is. 
    • The church has funded and put in place a range of hitorians, anthropologists and “experts” who write books and explanations about Hinduism. These are then pushed into libraries, bookshops and universities of the West. This odious lieterature of bogus scholarship — with misinterpretations,  wrong conclusions and outright lies — is written in such a way as to create contempt in the minds of the readers about Hinduism and give an impression that it is something primitive and uncivilised which they should steer clear of. This is the main trick of the church that it has been playing to kill Hinduism. The westerns are simply being lied to.
    • (Hindus worship cows, Ganesha’s trunk represents a limp phallus, Shiva Linga is a penis, Ganesh has sexual design on Paravati, Rama Krishna Paramhansa was a gay, caste system is a part of Hindu religion, etc. — this output is generated by the church agents acting as historians, experts, linguists, etc. and then dished out with a flourish to Westerners.) 
    • “Learn Hinduism from the Hindus, not from the church” should be the sales pitch.

वो जो चुप न रह सका: नक्सलियों को मारना जरूरी है, कल नहीं आज, आज नहीं अभी

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    • भारत ने पिछले कुछ सालों मे 10% से ज्यादा इन्डस्ट्रियल ग्रोथ दिखलाई है. चीन के लिये यह बड़ा अलार्म है क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था मैन्युफैक्चरिंग पर टिकी है. भारत का मैन्युफैक्चरिंग में आगे आने वाला हर एक कदम चीन को एक कदम रोकता है. इसलिये चीन नहीं चाहता कि भारत मैन्युफैक्चरिंग में आगे आये, क्योंकि अगर भारत में मैन्युफैक्चरिंग कि लहर उठी तो चीन को नुक्सान इतना होगा कि भरपाई नहीं हो सकेगी.

      इसलिये चीन यहां की कम्युनिस्ट संस्थाओं को ज्यादा से ज्यादा एक्टिव देखना चाहता है ताकी भारत में कैसे भी व्यापार पर रोक लगाई जा सके.

    • चीन भारत से परेशान है इसलिये उसने हर मोर्चा खोल दिया है. नक्सलियों को आगे बढ़ाकर वह अपना कांटा निकालना चाहता है. अगर जल्द ही नक्सलियों को नष्ट नहीं किया गया तो वह चीनी मदद और पैसे के बल पर ऐसा खतरा बन जायेंगे जिसे नष्ट करना संभव ही नहीं रहेगा.