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!! समर्थ हिन्दु, समर्थ हिन्दुस्थान !!;........................!! समर्थ हिन्दुस्थान, समर्थ विश्व !!............................ All the posts on this blog are re-postings and post headings point towards the actual posts.
Sunday, June 20, 2010
JAGO HINDU JAGO: क्या आप इस बात से सहमत हैं कि नैहरू-गांधी खानदान बयाभिचारियों,हिन्दूविरोधियों षडयन्त्रकारियों व गद्दारों का खानदान है?
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- आपने देखा कि किस तरह भोपाल नरसंहार जिसमें 15500 लोग मारे गए व 500000 घायल हुए के अपराधी ईसाई ऐंडरसन को ततकालीन युवा प्रधानमन्त्री राजीब गांधी (वेशक एंटोनिया पढ़ें) ने सारी सरकारी मशीनरी का उपयोग कर देश छोड़कर अमेरिका भाग जाने की ब्यबस्थ की ।जिसमें हरवक्त हिन्दूओं पर हमला करने वाले अर्जुन सिंह ने भी सक्रिय भूमिका निभाई।
इन बातों की पूस्टी ततकालीन CBI निदेशक बी आर लाल, DM मोति सिंह, PILOT हसन कर चुके हैं ।अब इस बात में कोई संदेह नहीं कि इन कातिलों को भगाने वाला नेहरू-गांधी परिवार के शिवा और कोई नहीं।
ये वही खानदान है जिसने 1947 में भारत का धर्म के अधार पर बंटबारा कर बंटवारे की असली जड़ मुसलमानों को भारत में रककर हिन्दूओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बना डाला।
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - इस अलगाव की कीमत जानते हैं नीतीश !
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - इस अलगाव की कीमत जानते हैं नीतीश !
- पुष्यमित्र
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जैसा कि हम सभी जानते हैं नीतीश का गणित साफ है, महादलित-मुस्लिम-कोयरी-कुर्मी. अगर उनका यह गणित सफल हो जाता है तो इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें आने वाले कई सालों तक बिहार की कुर्सी से कोई डिगा नहीं पायेगा. मगर..
इंजीनियरिंग के छात्र रह चुके नीतीश इस बात को भूल रहे हैं कि राजनीति के गणित हर सवाल के दो जवाब होते हैं. यहां अत्यधिक सफलता और विफलता के बीच ज्यादा फासला नहीं होता. सफलता की राह कई बार नेताओं को विफलता के गड्ढे में भी ले जाती है. -
मगर इस बार नहीं जब उन्होंने गुजरात को उनका पैसा लौटा दिया. इस बार पहली बार वे ईमानदार या दमदार नहीं बल्कि स्वार्थी नजर आ रहे हैं. इस बार लोगों की सहानुभूति मोदी की ओर है और भाजपा की ओर. उनकी इस चाल से ओछेपन की बू आ रही है. गुजरात के एक वेबसाइट ने मोदी के उस पुराने बयान को उद्धृत किया है, जिसके मुताबिक नीतीश ने ही कोसी आपदा के दौरान मोदी से 5 करोड़ मांगे थे.
नीतीश को अब कोसी वासियों की सहानुभूति भी शायद ही मिले क्योंकि उनकी सरकार ने गुजरात को यह कहते हुए पैसा वापस किया कि इस पैसा का उपयोग नहीं हो पाया. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इस पैसे का उपयोग क्यों नहीं हुआ. बिहार केंद्र के सामने बार-बार कोसी और काल बैशाखी पीड़ितों के लिए मदद का रोना रोता रहता है और मुख्यमंत्री राहत कोश में करोड़ों बिना खर्च हुए बचे रह जाते हैं आखिर क्यों!
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - पैसा पीडितों के लिए था, आपके लिए नहीं नितीश जी!
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - पैसा पीडितों के लिए था, आपके लिए नहीं नितीश जी!
- लिमटी खरे
- बिहार का दर्द माना जाता है कोसी नदी को। हर साल कोसी नदी की बाढ से बिहार वासी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की इमदाद इसमें पूरी नहीं पडती है। देश भर के हर सूबे से लोग कोसी नदी के प्रभावितों के लिए मदद भेजते हैं। इसी तारतम्य में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य की ओर से पांच करोड रूपए की राशि की सहायता पहुंचाई थी, जिसे बिहार के निजाम नितीश कुमार ने वापस लौटा दिया है।
- आपसी अहं और सियासी लाभ हानी का गणित अपने आप में अलग मामला हो सकता है पर नितीश कुमार को कम से कम इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए था। कारण चाहे जो भी हो पर यह राशि मोदी ने नितीश कुमार को व्यक्तिगत खर्च के लिए नहीं वरन कोसी प्रभावितों के लिए दी थी, और अपने अहं को निश्चित तौर पर नितीश को पृथक ही रखना चाहिए था।
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- अधेड़ हुए युवराज
कांग्रेस के युवराज ने चालीस बसंत देख लिए हैं, वे अब अधेडावस्था में कदम रख चुके हैं, फिर भी युवा और उर्जावान का तगमा उनके साथ है। नोकरी पेशा में जरूर साठ साल में सेवा निवृति का नियम हो या लोग बचकानी या बेहूदगी की बात पर ‘‘सठिया गए हैं‘‘ अर्थात साठ पूरे कर चुके हैं का मुहावरा कहें पर राजनीति में युवा की आयु 45 से 65 मानी जाती है। अरे देश जो चला रहे हैं राजनेता तो उनके हिसाब से अगर 45 से 65 की आयु युवा की है तो मानना ही पडेगा। इस हिसाब से कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी अभी बच्चे हैं, पांच साल के उपरांत वे युवा होंगे। विदेशों में पले बढे देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने और आजादी की लडाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अपना चालीसवां जन्म दिन हिन्दुस्तान में किसी दलित की झोपडी में मनाने के बजाए हिन्दुस्तान पर हुकूमत करने वाले ब्रिटेन के लंदन शहर में मनाना उचित समझा। हो सकता है कि दलित और गरीब प्रेम के प्रहसन से राहुल गांधी उकता चुके हों और वे खुली हवा में विदेश में जाकर चेन की सांस लेने की इच्छा रख रहे हों।
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - देश में जन्मदिन का संदेश, युवराज चले गये विदेश
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - देश में जन्मदिन का संदेश, युवराज चले गये विदेश
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कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के जन्मदिन पर कांग्रेस कार्यकर्ता परेशान हैं. जो कार्यकर्ता बधाई देने के लिए राहुल गांधी के घर पहुंच रहे हैं उन्हें भी पता नहीं चल रहा है कि राहुल बाबा कहां है? इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में एसएमएस भेजकर राहुल गांधी के जन्मदिवस की बधाइयां दे रहे हैं लेकिन राहुल गांधी हैं कि घर ही नहीं देश छोड़कर दूर जाकर छुट्टियां मना रहे हैं.
इधर देश में कार्यकर्ता राहुल गांधी को खोज रहे हैं उधर राहुल गांधी छुट्टियां बिताने के लिए लंदन चले गये हैं. उनके साथ उनकी बहन प्रियंका गांधी भी गयी हैं. हालांकि उनके कुछ नजदीकी सलाहकार उनके साथ नहीं गये हैं लेकिन वे भी राहुल गांधी के जन्मदिवस की बधाई लेने देने से बच रहे हैं.
- राहुल गांधी के जन्मदिन पर कांग्रेस कार्यकर्ता चाहे जो कर रहे हैं लेकिन मीडिया भी पूरी तरह से चापलूसी पर उतरा हुआ है. मीडिया का एक हिस्सा राहुल गांधी के जन्मदिन पर उनकी उपलब्धियां गिनाने में लगा हुआ है.
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - महिलाएं कर रही हैं सऊदी में शादी का सौदा
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visfot.com । विस्फोट.कॉम - महिलाएं कर रही हैं सऊदी में शादी का सौदा
- फ़िरदौस ख़ान
- मैमूना का कहना कि यहां की महिलाएं बंदिशों के बीच ज़िन्दगी गुज़ारती हैं. उन्हें हर बात के लिए अपने पिता, भाई, शौहर या बेटे पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन अब बदलाव की हवा चलने लगी है. जो लड़कियां यूरोपीय देशों में पढ़कर आती हैं, वे इस माहौल में नहीं रह पातीं. उनकी देखा-देखा देखी यहां की लड़कियों में भी बदलाव आया है. यहां की महिलाएं विदेशी लड़कों को पसंद करने लगी हैं, क्योंकि वो उन पर ज़ुल्म नहीं करते. उनके जज़्बात को समझते हैं. उनके साथ जंगलियों जैसा बर्ताव नहीं करते. वे हिन्दुस्तान और पाकिस्तान से रोज़गार के लिए आने वाले बेरोज़गार लड़कों को एक समझौते के तहत अपना शौहर बनाती हैं और इसके लिए बाक़ायदा उन्हें तनख्वाह देती हैं. उनका मानना है कि ऐसे रिश्तों में महिलाएं अपनी बात रख सकती हैं और उनकी ज़िन्दगी ग़ुलामों जैसी नहीं होती.
अरब न्यूज़ के मुताबिक़ कुछ अरसे पहले ही ऐसी शादी करने वाली रिग़दा का कहना है कि इस विवाह से उसकी कई परेशानियां दूर हो गई हैं. उसने बताया कि अपनी पहली नाकाम और तल्ख़ अनुभव वाली शादी के बाद उसने तय कर लिया था कि अब वह कभी शादी नहीं करेगी, लेकिन एक दिन उसकी एक सहेली ने उसे सलाह दी कि वह किसी बेरोज़गार लड़के से शादी कर ले. उसने बताया कि पहले तो उसे यह बात मज़ाक सी लगी, लेकिन जब मिसालें सामने आईं तो ऐसा लगा जैसे यह 'सौदा' दोहरे फ़ायदे का है यानी एक तो क़ानूनी सरपरस्त (संरक्षक) मिल जाएगा और वह हुक्म देने वाले के बजाय हुक्म मानने वाला होगा. उसने बताया कि वह जब भी किसी बात की इजाज़त मांगती थी तो उसका शौहर उसे बहुत प्रताड़ित और परेशान किया करता था और इस तरह उसके हर काम में महीनों की देर हो जाती थी, लेकिन अब हालत यह है कि उसका तनख्वाह वाला शौहर उसे हर काम की फ़ौरन इजाज़त दे देता है.
इसी तरह का विवाह करने वाले माजिद ने बताया कि शादी से पहले वो टैक्सी ड्राइवर था. एक दिन उसे वह सवारी मिल गई, जो अब उसकी बीवी है. उसने बताया कि बतौर ड्राइवर जहां वह बड़ी मुश्किल से दो हज़ार रियाल (अरब की मुद्रा) कमा पाता था, वहीं अब उसे बीवी से छह हज़ार रियाल मिल जाते हैं. माजिद ने बताया कि उसकी बीवी ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर वो उच्च शिक्षा हासिल करना चाहता है तो उसका ख़र्च भी वह उठाने के लिए तैयार है. उसकी बीवी उम्र में उससे 14 साल बड़ी है. माजिद ने कहा कि उसकी बीवी ने उससे यह भी वादा किया है कि कुछ साल बाद वो किसी जवान लड़की से उसकी शादी करा देगी. रीम नाम की एक महिला ने बताया कि उसने भी एक बेरोज़गार लड़के से शादी की थी. इसके लिए बाक़ायदा वो अपने शौहर को तनख्वाह देती है, लेकिन उसने यह काम अपने घर वालों से छुपकर किया. जब लड़के को इस बात का पता चला तो वो उससे ज़्यादा पैसों की मांग करने लगा. इसके बावजूद यह रिश्ता फ़ायदे का ही रहा.
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Haindava Keralam - Champakulam Boat Race & its tradition
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- V N Gopalakrishnan
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Many of the boat races have curious legends and myths attached to their origin. The Champakulam Boat Race also has a century-old tradition and is believed to have started in 1545 A.D. According to legends, H.H. Pooradam Thirunal Devanarayanan, the Raja of Chempakasseri, a principality of Travancore kingdom built a temple at Ambalapuzha as per the suggestions of the royal astrologers. But just before the installation of the deity, he was informed that the idol was inauspicious. Therefore, it was necessary to install a suitable idol immediately. Accordingly, the priests identified another idol of Lord Krishna, at the Karikulam temple in Kurichi, a neighboring village. This idol was believed to have been given to Arjuna by Lord Krishna himself, and hence considered sacred.
After getting the idol from the temple, the Raja's entourage set forth for the return journey to Ambalapuzha by boat. While returning night set in, and as instructed by the Raja, they took shelter in a Christian household of Mappilassery Itty Thommen, a confidant of the Raja in the Champakulam village. He and his family received the men and the idol with honour. The following day, the Raja and his entourage turned up at the Mappilassery household, accompanied by a large crowd. Pujas were offered to the deity. Itty Thommen and his men also travelled to Ambalapuzha where the idol was consecrated and installed. On the way, the priests and the laity of the Champakulam Kalloorkadu Church, received the Raja and the idol. The Raja was pleased with the hospitality shown by his Christian subjects and declared that a great water carnival would be held annually at Champakulam to commemorate the events. Thus the Champakulam Boat Race and related functions started which are continuing till today.
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Haindava Keralam - UK bans Indian 'Joker'
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- London: Indian Jihadi leader Zakir Naik has been banned from entering UK by Britain's Home Secretary. He was due to start his hate mongering lecture tour of Britain at venues including Wembley Arena in London, Sheffield Arena and Birmingham’s LG Arena.
Theresa May Britain's Home Secretary told “Coming to the UK is a privilege not a right and I am not wiling to allow those who might not be conducive to the public good to enter the UK”
Zakir Naik is known for his derogatory attitude towards non-Muslims and he has an ambiguous attitude towards terrorism. Zakir is the founder and president of the Islamic Research Foundation (IRF) which sponsored Love Jihadi's with an aim to convert naïve Hindu and Christian girls into Islam.
Zakir Naik is the Islamic version of tele-evangelist buffoons who thrive upon the ignorance of masses.Zakir Naik's main quality is that he is not ashamed of himself for airing utter foolishness and illogical comments to gain his popularity among ignorant illiterate Muslims.
Far away British leaders are aware of his extremist links but our Kerala University authorities are not . Zakir Naik along with another global terrorist Yusuf al Qaradawi were invited by Kerala University to attend a Islamic conference hoisted by them.
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Haindava Keralam - Nehru's interview with Yuvaraj Karan - A Leaf from History, The Price which we are still paying
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Secular Combat
- (We reproduce below a conversation between Pandit Jawaharlal Nehru and an IAS probationer, Shri Yuvaraj Karan in 1950)
Y. Krishna{quoting} (YK): Well, Sir, those who have brought about partition have been left behind in the partitioned India. The Muslim League had declared that the Hindus and Muslims were two nations and had asked for partition because they feared that the Muslims being a minority, would suffer oppression and atrocities at the hands of Hindu majority. Pakistan was to be their homeland where they could live in freedom from the tyranny of the Non-Muslim majority. But lo and behold! The vast majority of Muslims of UP, Bihar, Central provinces, Bombay etc remained behind in India and did not migrate to the homeland (Pakistan) created for them. We never accepted the two-nation theory though we were driven to accept partition to avoid bloodshed and to achieve Independence.
Prime minister (PM)-- We are not a communal state. The Muslims, who have decided to stay in India, are as much honorable citizens of the country as the members of the majority community. They cannot be victimized in the new situation for their actions and conduct before and at the time of partition. We cannot and must not live in the past
YK : True Sir, but the immense suffering the people have undergone and the problems; only it has created new ones.
PM: You are too young to understand. The overwhelming majority of the Indian Muslims are politically backward and have been misled by the pernicious and poisonous propaganda of the Muslim league. So it will be wrong to treat the vast majority of Indian Muslims as being responsible for the ills of our country
YK: True Sir, the vast majority has been misled by the two-nation theory. But this does not absolve the Muslim League leadership; they are the authors of partition, and yet, the majority of this leadership has also stayed back in India. The Muslims of Pakistan, West Punjab, NWFP, Sindh and Baluchistan as such never wanted or asked for Pakistan, in fact that they did not need to.
There was a pause and silence for a couple of minutes.
The Raja of Mahamudabad, Begum Aizaz Rasul, Raja of Pirpur, Maulana Hasrat Mohanti etc, from UP, Syed Hussain Imam from Bihar, M.Mod.Ismail from Madras etc to name a few of the host of Muslim League leaders, have stayed back in India though they had actively worked for the creation of Pakistan as the homeland for the Indian Muslims. There is not an iota of justification for such leaders being allowed to stay in India after having got the country partitioned on the basis of the two-Nation theory. They ought to have gone to the homeland they asked for and obtained
There was again a pause
- PM Nehru's face was flushed. After a brief silence, he resumed
PM: We cannot abandon the nationalist Muslims who had fought and sacrificed for India™s independence.
YK: But the congress has already abandoned the khidmatgars led by the Frontier Gandhi
PM: This was a most (unfortunate) decision forced on us by the geo-political realities
YK: I am not sure of the loyalty of the so-called Nationalist Muslims, after the creation of Pakistan. Considering the speeches (mischievous and rabble rousing) of the National Muslim leaders (those who were opposed to partition) like Dr Syed Mahmud, Maulana Hafizur Rahman(of Jamiat-ul-ulema-e-Hind)etc at the Lucknow conference of Mussalman, Hind(Dec 1947)
PM: This is false, mischievous, a canard intended to defame and denigrate the Nationalist Muslims who have played a glorious role in India,s independence.
YK: The PM must be correct on this point. I have perhaps been wrongly informed. But the basic fact remains that the Muslim League leaders and worked from Western UP”Meerut, Moradabad, Aligarh, Saharanpur, etc “organised the riots in Rawalpindi in March 1947 which set the Punjab ablaze. It was not the work of the local Muslims of Rawalpindi in the initial stages but the Muslim League leaders from UP. Is it also not shocking that the Muslim League leaders of Rampur State in UP should have launched a violent agitation by setting on fire several Government buildings demanding accession of Rampur State (to) Pakistan?
The face of the Prime Minister turned red in anger. He started puffing at his silver cigarette-holder
At this point , I had a very strong urge to recall the advice PM Nehru had given to the Kashmiri Pandits in 1945 at a meeting in Sopore in the Kashmir valley that if non-Muslims wanted to live in Kashmir they should join the National Conference(which was overwhelmingly a Muslim party) or bid good bye to the country(Kashmir). But sensing the mood of the Prime Minister I was sullen and kept quiet.
The Principal of the training school MJ Desai, ICS was visibly feeling uncomfortable and edgy. As there was palpable tension in the atmosphere and the PM Nehru was silent and red faced, the Principal asked for the dinner bell to be rung. This relieved the tension in all of us. We collected our plates and made a bee-line for the dining table ..
{This was a copy of the print version from 'Secular Combat' magazine May 2010 issue}
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Haindava Keralam - Christian Missionary frauds to plant 'Jesus' in Vedas exposed
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Christian Missionaries after their failure in refuting Vedas and Hindu scriptures even after repeated attempts , their tactics to dupe naïve Hindus had changed. Now their attempt is to – To prove that Jesus arrival was prophesied in Vedas and there by Hindus should convert to Christianity. Following the path of these Christian propagandists , Jihadi's are also trying die hard to plant their Allah and Muhammad into Vedas.
- It is very interesting that the Christian propagandists are now willing to accept that Vedas originated even before their Bible and Jesus. It will also be interesting to search the truth that the life of Jesus was missing from his age 13 to 30 yrs from history books. In his research book titled ‘Christianity is Krishnanity’ by renowned historian and INA veteran Late Sri. PN Oak clearly proved with strong evidence regarding this view. Since our missionary brothers started acknowledging the Vedas, it is right time for them to study more on Vedas, Hinduism and return to their parent religion i.e. Vedic Religion!
Om Krinvantho Vishwamaryam!
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Haindava Keralam - Our Motherland must be safeguarded at all costs
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Courtesy:GSK Menon
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Kashmir is not at all a problem. Tiny Bangladesh has demonstrated that by changing the demographic profile how the entire scenario can be changed. Just turn a blind eye and allow Keralites, Tamilians, Biharis, U.P. people, and of course Bangladeshis to flood Kashmir. Kashmir will change and cool down.
The motherland must be safeguarded at all costs, there are educated Indians who care two hoots for Human rights and Rights of Kashmiri Jihadi's, I am one of them. The first and only concern is to keep the country intact, all other considerations are secondary.
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Haindava Keralam - Bangalore blast conspiracy held at Coorg, Madani attended the crucial meeting at Coorg
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Cops find proof of Madani's involvement in B'luru blasts
- Madani has been booked for waging war against the state and concealing information. But sources in the city police say that the non-bailable warrant against him is yet to be executed.
"We are waiting for the right moment since we don't want to trigger communal tensions during his arrest. But Madani's arrest is certain," added sources in the police.
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Haindava Keralam - “Dear Friend Hitler” - Conspiracy to derail Indo-Israel friendship
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Narain Kataria - INDIAN AMERICAN INTELLECTUALS FORUM
- It is a matter of great regret that first-time Bollywood Director Rakesh Ranjan Kumar is making the movie “Dear Friend Hitler”, starring Anupam Kher and Neha Dhupia. This movie is to be released by the end of the year.
In the history of humanity Hitler is regarded as an ultimate evil that sent six million Jewish to the gas chambers and propelled the world to second world war that caused the death of tens of millions of people. Hence this news has sent shock waves to many Israeli friends of India in Israel , UK , USA and many other countries.
Indo-IsraelI cooperation in the field of military intelligence, space and missile technology is growing steadily, much to the chagrin, disenchantment and mortification of the Left parties and pro-Islamic members within the Indian polity. Anti-India forces are deeply disturbed and highly perturbed at this teamwork. They want to sabotage this collaboration at any cost. Hence, it is absolutely essential that pro-India and pro-Israeli forces wake up to expose, defeat and thwart the mean and mendacious designs of anti-India lobby. - This movie could also be the ploy of the sinister plot to drive a wedge between India and Israel , isolate India , militarily weaken it and balkanize it at an opportune time.
It is based on the movie Downfall/Der Untergang, that came in for sharp criticism for being sympathetic of the man responsible for the holocaust. - Hence, on behalf of our Forum, I appeal to our supporters who value the Indo-Israeli and Hindu-Jewish friendship to raise their protest against this movie.
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Haindava Keralam - Israel PM Netanyahu at his best
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Even those who aren't particularly sympathetic to Benjamin Netanyahu could get a good measure of satisfaction from this interview with British Television during the retaliation against Hamas' shelling of Israel .
The interviewer asked him: "How come so many more Palestinians have been killed in this conflict than Israelis?" (A nasty question if there ever was one)
Netanyahu: "Are you sure that you want to start asking in that direction?
Interviewer: Why not?
Netanyahu: "Because in World War II more Germans were killed than British and Americans combined, but there is no doubt in anyone's mind that the war was caused by Germany 's aggression. And in response to the German blitz on London , the British wiped out the entire city of Dresden , burning to death more German civilians than the number of people killed in Hiroshima ... Moreover, I could remind you that in 1944, when the R.A.F. tried to bomb the Gestapo Headquarters in Copenhagen , some of the bombs missed their target and fell on a Danish children's hospital, killing 83 little children. Perhaps you have another question?"
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राजनीति के मैदान का अक्खड़ वकील - LiveHindustan.com
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- Aap ki tariff - Vimarsh - LiveHindustan.com
- जेठमलानी ने भारतीय लोक पंचायत, भारत मुक्ति मोर्चा और पवित्र हिन्दू कसम नाम की सियासी पार्टियां भी बनाईं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शिकारपुर में 14 सितम्बर 1923 में जन्मे जेठमलानी बचपन से ही जुझारू, मेधावी और जज्बाती थे। उनकी दो पत्नियां, दो बेटे और एक बेटी है। उन्होंने कराची के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली और फिर एलएलएम किया।
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India Retold: NITISH RETURNS MODI CHEQUE, ASKS FOR MUCH MORE
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India Retold: NITISH RETURNS MODI CHEQUE, ASKS FOR MUCH MORE
- "Inclusive" politics is the new mantra that is being liberally used -- pun intended -- to ensure that Congress and like-minded parties can keep capturing power in the Centre as well as in certain demographically vulnerable states. Notwithstanding the secular cloak under which it is being concealed, let no one be in any doubt that this is communal politics which is potentially extremely dangerous and incendiary. Simply put, it seeks to leverage the disproportionate block voting power of Muslims to ensure the defeat of parties whose primary appeal is to the non-existent majority that never has voted as a block in most parts of India and probably never will under normal circumstances.
For now, the appeal is primarily to the insecurities and fears of the Muslim block by projecting BJP as an anti-Muslim party. Crumbs are also being thrown so that other 'secular' claimants don't make a dent that significantly reduces the advantage of the Congress. For now, the demands of the block are not such as to arouse the insecurity of a majority of the majority in a manner that awakens it to the realisation that the power it can command as a block can totally nullify that of the Muslim block. But that will inevitably happen if "inclusive" politics yields rich dividends over a period of time and more 'secular' parties fight over the Muslim pie, increasing its bargaining power enormously. Political dividends as a result of this strategy will come at a steep social price. How steep will that be one cannot say now. But a quick look over the shoulder at what has happened in the last less than hundred years should be enough to make anyone shudder and never wish it, much less cause it, again for the people of India.
- Therefore, if the BJP falls prey to temptation in Bihar, it will mean that it has no answer to the Muslim strategy of the Congress except to play a defensive second fiddle where the arithmetic is challenging. Its capitulation in Bihar will also mean that it has not even thought of a counter strategy that can consolidate a big chunk of the majority vote to nullify the efforts of the Congress, without sounding anti-Muslim. The Congress doesn't utter an anti-Hindu word. It lets the media do that dirty work while it cleverly works to win over Muslims by talking for them, not against Hindus, except those belonging to the Sangh Parivar, a definition that now includes anyone who speaks for Hindus.
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जनगणना में “धर्म” शामिल करने की माँग साम्प्रदायिकता है क्या??…… Religion & Caste in India Census 2011
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- चारों ओर ऐसी हवा बनाई जा रही है, मानो जनगणना में “जाति” शामिल होने से और उसके नतीजों से (जिसका फ़ायदा सिर्फ़ नेता ही उठायेंगे) भारत में कोई क्रान्ति आने वाली हो।
इस सारे हंगामे में इस बात पर कोई चर्चा नहीं हो रही कि –
1) जनगणना फ़ॉर्म में “धर्म” वाला कॉलम क्यों नहीं है?
2) धर्म बड़ा है या जाति?
3) क्या देश में धर्म सम्बन्धी आँकड़ों की कोई अहमियत नहीं है?
4) क्या ऐसा किसी साजिश के तहत किया जा रहा है?
- सवाल मुँह बाये खड़े हैं कि आखिर नीलकेणि जी पर ऐसा कौन सा दबाव है कि उन्होंने जनगणना के इतने बड़े फ़ॉर्म में “सौ तरह के सवाल” पूछे हैं लेकिन “धर्म” का सवाल गायब कर दिया।
अर्थात देश को यह कभी नहीं पता चलेगा कि –
1) पिछले 10 साल में कितने धर्म परिवर्तन हुए? देश में हिन्दुओं की संख्या में कितनी कमी आई?
2) भारत जैसे “महान” देश में ईसाईयों का प्रतिशत किस राज्य में कितना बढ़ा
3) असम-पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मुस्लिमों की संख्या कितनी बढ़ी,
4) किस जिले में मुस्लिम अल्पसंख्यक से बहुसंख्यक बन गये
5) उड़ीसा और झारखण्ड के आदिवासी कहे जाने वाले वाकई में कितने आदिवासी हैं और उनमें से कितने अन्दर ही अन्दर ईसाई बन गये।
उल्लेखनीय है कि पिछले 10-15 साल में भारत में जहाँ एक ओर एवेंजेलिस्टों द्वारा धर्म परिवर्तन की मुहिम जोरशोर से चलाई गई है, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश से घुसपैठ के जरिये असम और बंगाल के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात चिन्ताजनक तरीके बढ़ा है। ऐसे हालात में नीलकेणि जी को तो धर्म वाला कॉलम अति-आवश्यक श्रेणी में रखना चाहिये था। बल्कि मेरा सुझाव तो यह भी है कि “वर्तमान धर्म कब से” वाला एक और अतिरिक्त कॉलम जोड़ा जाना चाहिये, ताकि जवाब देने वाला नागरिक बता सके कि क्या वह जन्म से ही उस धर्म में है या “बाद” में आया, साथ जनगणना में पूछे जाने वाले सवालों को एक “शपथ-पत्र” समान माना जाये ताकि बाद में कोई उससे मुकर न सके। - प्रिय पाठकों, नीचे दी हुई लिंक पर देखिये, “भारत के माननीय ईसाईयों” की लिस्ट में आपको - विजय अमृतराज, अरुंधती रॉय, प्रणव रॉय, बॉबी जिन्दल, राजशेखर रेड्डी और जगनमोहन रेड्डी, टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति, अभिनेत्री नगमा, दक्षिण की सुपरस्टार नयनतारा, अम्बिका सोनी, अजीत जोगी, मन्दाकिनी, मलाईका अरोरा, अमृता अरोरा जैसे कई नाम मिलेंगे… जिन्होंने धर्म तो बदल लिया लेकिन भारत की जनता (यानी हिन्दुओं) को “*$*%%**” बनाने के लिये, अपना नाम नहीं बदला।
http://notableindianchristians.webs.com/apps/blog/
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The Pioneer > Mani’s twisted Ramayan
- Show time: Meenakshi Rao
Raavan
Stars:Abhishek Bachchan, Aishwarya Rai, Chiyaan Vikram, Govinda
Showing At: Odeon & others
Rated: 4/10 - Abhishek tells us that Mani Ratnam’s most favourite phrase on the sets always is: “Make it real.” Strange. Because Raavan is far, far, far and far away from even a hint of reality. And, if that is not enough, the strange animal-human characterisation of his lead hero in Abhishek (he roars, he hisses, he yaps and he gives a maniacal look, not to mention his eyes that dialate like a doctor would want them for corneal examination) kind of makes you wonder what went wrong with the otherwise compelling Mani.
- Only, the tale was skewed. Was it an indictment of the State exploitation of the rural poor which gives rise to Naxalites? Was it showing how there is a Ram in every Raavan and Raavan in every Ram, as his Sita (Aish) discovers by the end of the film?
Another matter though that Mani’s Ram looked and behaved more like Raavan and his Raavan, if he did not have that unexplained crazy streak in him, had shades of Ram — do-gooder, supremely sacrificial and a man of correctness. Another matter though that the real Raavan who was a pundit of knowledge, would turn in his grave hundred times if he were to know that a character played in his name was grossly illiterate!
Then there was Hanuman too — what Govinda was doing as Hanuman will puzzle you for the rest of the time you will spend thinking about it. - Adaptation? Love Story? Naxalism? Hostage drama? Or just an unblended mix of all this? You never can make up your mind. That’s not what a Mani Ratnam film should be summed up as.
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Tension brews in Jammu & Kashmir over Amarnath yatra - dnaindia.com
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Tension brews in Jammu & Kashmir over Amarnath yatra - dnaindia.com
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- Ishfaq-ul-Hassan / DNA
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- Leading the charge is Hurriyat leader Syed Ali Shah Geelani who has revived the ghost of agitation by calling for shorter duration of pilgrimage for “saving the fragile environment” in the Himalayas.
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His diatribe has pressed the raw nerve of Hindu groups in Jammu. “If any body tries to disrupt or create impediments in the yatra, he will be given befitting reply,” warned Leela Karan Sharma, former convener of Shri Amarnath Sangarsh Samiti (SASS).
“If people want us to lead the charge, we will not hesitate in launching an agitation. I suggest Geelani not to poke his nose in our religion, otherwise it could backfire,” said Brigadier (retd) Suchet Singh, convener of SASS.
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