Wednesday, September 9, 2009

समझौतापरस्ती का कलंक - Jagran - Yahoo! India - Nazariya News

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        'पाकिस्तान मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी।' कर्नल इलाही बख्श ने जिन्ना का यह कथन अपनी पुस्तक में दर्ज किया है। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने जिन्ना के इस डायलाग पर मजा लेते हुए कहा-''बुड्ढे को अब अकल आई है।''

    • बंटवारे के खेल के सारे महत्वपूर्ण खिलाड़ी चाहे वे जिन्ना हों या गांधीजी, अक्सर बैरिस्टर रहे हैं। नेहरू, पटेल भी वकील रहे थे। विवादग्रस्त संपत्ति के समान भारत का बंटवारा ब्रिटिश कानून की सोच से बंधे वकीलों द्वारा किया गया 'आउट आफ कोर्ट' सेटलमेंट था। 16 अगस्त, 1946 के जिन्ना के 'डायरेक्ट एक्शन' के तीन दिनों में पांच हजार से ऊपर लाशें कलकत्ता के शमशान में पहुंच जाने के बाद काग्रेसी नेताओं के लिए सेटलमेंट एक मजबूरी बन गई।
    • यह एक त्रासदी है कि विभाजन के पहले दंगों में हजारों और विभाजन के बाद के दंगों में लाखों लोग मरे, लेकिन मुल्क का विभाजन रोकने के लिए कोई नहीं मरा। गांधी ने संवैधानिक दायरों का अतिक्रमण करते हुए राजनीति को अभिजात वर्ग की सीमा से निकालकर कस्बों और गांवों तक पहुंचा दिया। यह बात जिन्ना की सोच के विपरीत जाती थी, लेकिन गांधी से एक शुरुआती गलती हो गई, जो शायद अंत में जाकर पाकिस्तान बनने का कारण बनी। कमाल अता तुर्क द्वारा तुर्की के खलीफा को हटाया जाना कोई भारतीय मुद्दा नहीं था, लेकिन गांधी ने मुस्लिम वर्ग की सहभागिता के लिए खिलाफत को राष्ट्रीय आदोलन के एजेंडे में शामिल कर लिया। यह आजादी का जागरण काल था। इस 'खिलाफत' के एजेंडे ने आजादी के अभियान को मजहबी लक्ष्य भी दे दिए। यह सत्य है कि जिन्ना ने खतरा भांप कर गांधी के इस कदम का विरोध किया था।
    • यहां सवाल बनता है कि जिन्ना जैसे प्रखर राष्ट्रवादी और कौमी तराना लिखने वाले अल्लामा इकबाल आगे चलकर क्यों पाकिस्तान समर्थक हो जाते हैं? ऐसा क्यों हुआ, इसकी वजह हमें आजादी के आदोलन में खोजना चाहिए।

      आजादी के संघर्ष में रणनीतिक विकल्पों के अभाव ने हमें बंटवारा स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया। पार्टीशन की वजह अहिंसक आदोलन की रणनीतिक मजबूरियां थीं। गांधी का अहिंसक आदोलन जो गांवों-गरीबों तक आजादी की अलख जगाता है वह आगे आकर जिन्ना की फिरकापरस्ती और हिंसा के इस्तेमाल के सामने असहाय, बेबस हो जाता है। अगस्त 1946 में जिन्ना की हिंसा के खिलाफ गांधी, नेहरू के पास कोई रणनीतिक, वैचारिक विकल्प नहीं था। दंगाग्रस्त नोआखाली से वापसी के बाद गांधी को राजनीतिक दृश्यपटल पर सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज के न होने का अफसोस हुआ।

    • समझौते कभी समाधान नहीं होते, वे सिर्फ युद्ध को स्थगित करते हैं।
    • अपने यहां हम बंट गए, क्योंकि हम युद्ध की आशंका से डर गए।

      बंटवारा इस मुल्क के जिस्म पर जुल्म के जिंदा निशान जैसा है। भयभीत जमातों ने बंटवारा स्वीकार कर भारतीय अस्मिता पर जो कलंक लगाया है वह मिटाना जरूरी है। इसलिए कलंक के मिटने तक हमारे यहां इतिहास व्यतीत नहीं होगा।

    • मिस्त्र और फलस्तीन के अरब नेताओं से जिन्ना ने दिसंबर 1946 में कहा था-''अगर हिंदू साम्राज्य बन गया तो इसका अर्थ है भारत और दूसरे मुस्लिम देशों में इस्लाम का अंत।'' ये वही राष्ट्रवादी जिन्ना थे जो कभी भगत सिंह को फांसी से बचाने के लिए खड़े थे। अब वे उन लक्ष्यों से बहुत दूर भटक चुके थे।
    • गीता युद्धभूमि से भारत को ईश्वर का निर्देष है। जब अन्य सब मार्ग बंद हो जाएं तो युद्ध ही एक विकल्प होता है।
    • जिन्ना से सांप्रदायिक समझौते के बाद मिली आजादी का परिणाम यह है कि आज हमारे सामने क्षेत्रों, जातियों और संप्रदायों से समझौतों का न खत्म होने वाला सिलसिला शुरू हो गया है और हर समझौता राष्ट्र और आजादी की हार बनता जाता है। सवाल आज भी है। जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन के ब्लैकमेल का मुकाबला कैसे किया जाए?
    • [आर. विक्रम सिंह: लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं]

बरातीलाल की आवाज से होती है सहरी :: प्रेसनोट डाट इन | आपकी भाषा आपकी खबरें

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    • रोजेदारों को सहरी के लिए जगाने का यह नेक काम कोई म� �सलिम पीर फकीर नहीं बल्कि एक हिन्दू कर रहा है।54 वर्षीय बाराती लाल गुप्ता पिछले 22 सालों से रमजान में क्षेत्र के 15 हजार मुसलमानों को सहरी में समय जगाकर हिन्दू मुसलिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं। धनाड्य परिवार में जन्मे और विद्युत भंडार में सीनियर क्लर्क पद पर कार्यरत बाराती लाल ने 1987 से मुसलमानों की मदद के भाव से उन्हें सहरी के समय जगाना शुरू किया। ईश्वर द्वारा बख्शी बुलंद आवाज की बदौलत चंद सालों में मुसलिम बंधुओं को इन्होंने अपना बना लिया।
    • काफी सालों तक सहरी के वक्त अंधेरा होने के कारण लोग इससे अंजान थे कि उन्हें सहरी में जगाने वाला बाबा कौन है। जब राज खुला तो ईश्वर के इस नेक बंदे के जज्बे को अल्लाह के नुमाइंदों ने भी सलाम किया। हर रमजान की तरह इस बार भी बाराती लाल सुबह पौने तीन बजे उठकर अलीगंज समेत डंडइया बाजार के आसपास के पाण्डेय टोला, मेंहदी टोला, पुरानी चुंगी, चौधरी टोला, सेक्टर जी, तैतारपुर के लोगों को सहरी करवाने के लिए निकलते हैं। लगभग चार किमी के क्षेत्र में सहरी के समय डेढ घंटे तक तेज कदमों से चलते हुए रोजेदारों के घर के दरवाजे खटखटाते हुए उन्हें जगाते हैं। इस दौरान वह लोगों को नाद सुनाते हैं, और इमाम के कहने पर कई बार मसजिद में लोगों को नियत करवाते हैं। दोहे, चौपइयां भी गाते हैं, जहां बाराती लाल के गाए नाद ने उन्हें मुसलिम संप्रदाय के लोगों को अपना कायल बना दिया है, वहीं इनके मुंह से निकले रामायण के दोहे और चौपाइयां हिन्दुओं को खूब भाते हैं। हिन्दु दोस्त इन्हें अपने यहां रामायण के पाठ और देवी जागरण में बुलाते है।

नेपाल से खरी-खरी

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    • वेदप्रताप वैदिक
    Nepal
    • झा की हिंदी शपथ का विरोध करने वाले नेपाली हिंदी को भारत के वर्चस्व का प्रतीक मानते हैं। वे मानते हैं कि नेपाल के मधेसी हिंदी के बहाने भारत को हमारे सिर पर थोप रहे हैं।यह ठीक है कि नेपाल के मधेसी लोग घर में भोजपुरी, मैथिली, अवधी आदि बोलते हैं, लेकिन उनकी संपर्क और सामूहिक पहचान की भाषा हिंदी है। उनकी जनसंख्या नेपाल की आधी के बराबर है। इस बार संसद में भी उनका प्रतिनिधित्व जोरदार है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति भी मधेसी ही बने हैं।
    • हिंदी का सवाल हो या भारतीय पुजारियों का, भारत सरकार को भी दो-टूक राय रखनी चाहिए। उसे नेपाल सरकार व भारत-विरोधी तत्वों को बता देना चाहिए कि वे मर्यादा भंग न करें। यह नहीं हो सकता कि नेपाल को भारत 2000 करोड़ की आर्थिक सहायता भी दे और वहां वह भारत-विरोधी अभियानों को भी बर्दाश्त करता रहे। चीन और पाकिस्तान, भारत की इस नरमी का बेजा फायदा उठा रहे हैं। नेपाल अरबों-खरबों के नकली नोटों का अड्डा बनता जा रहा है और चीनी सरकार नेपाली फौज में भी घुसपैठ के रास्ते तलाश रही है। नेपाल में जो हो रहा है, वह भारत की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन सकता है। इसके अलावा दक्षिण एशिया के सबसे बड़ा राष्ट्र होने के नाते यह देखना भी उसका कर्तव्य है कि पड़ोसी देशों में कहीं गृहयुद्ध की खिचड़ी तो नहीं पक रही है। नेपाल की रक्षा और भारत की रक्षा अलग-अलग नहीं है। भारत पर प्रहार करके नेपाल स्वयं को सुरक्षित कैसे रख सकता है?

आडवाणी ने राम मंदिर मुद्दे का इस्तेमाल किया : सिंघल

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    • भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में मचे घमासान के बीच विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने आज लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी पर जमकर निशाना साधा। सिंघल ने दो टूक शब्दों में कहा है कि भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर मुद्दे का इस्तेमाल किया और केवल राजनीतिक लाभ के लिए रथयात्रा निकाली।

      भाजपा की मौजूदा स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा कि भाजपा अपने मूल उद्देश्य से भटक गई इसलिए आज पार्टी की यह दुर्दशा हो रही है। उन्होंने कहा कि आडवाणी को लोकसभा में विपक्ष से नेता पद से इस्तीफा देने के बारे में सोचना चाहिए।

India agrees to lend $10 b to IMF- Finance-Economy-News-The Economic Times

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    • India on Friday agreed to lend up to $10 billion to the International Monetary Fund (IMF) to help the financial institution raise enough funds to rescue nations facing financial trouble. India, which had to resort to IMF financing on a few occasions till the early nineties, is now doing its bit to help the lender raise $500 billion to help crisis-stricken countries as part of a consensus to stimulate world economy.
    • "This participation in IMF's debt would not load India and not further stretch its resources," said an official statement quoting finance minister Pranab Mukherjee's address to his counterparts from 20 industrial and developing countries in the ongoing G-20 meeting in London.

The Pioneer > Online Edition : >> Islamists on conversion campaign

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    • VR Jayaraj | Kochi
    • Islamists in Kerala have launched an organised campaign for converting girls belonging to other religions into Islam. Police believe that Islamist organisation NDF (presently Popular Front of India) and its student outfit Campus Front could be behind this campus-based campaign. An investigation is presently on into the matter on the instructions of the Kerala High Court.

      Information about this planned campaign came out in the open after two girls in an MBA college in Pathanam-thitta, who had gone missing some days ago, were produced in the HC on a habeas corpus petition. Girls told the court that they were taken to a place in Kozhikode, where a group led by Campus Front activists Shehenshah and Sirajuddeen forced them to convert into Islam and sign marriage contracts.
    • n a petition, Jacob Thomas of Pallikkal, Kottarakkara, Kollam and K Madhavan of Peroorkada, Thiruvananth-apruam, parents of the girls, had alleged that their daughters were detained by one Shehansha of Pettah, Pathana-mthitta. Girls were doing a project after completing MBA.
    • The police are now in the process of verifying the reports that some Hindu organisations are preparing to counter the Islamists’ designs. A report regarding this would be submitted in the High Court early next month.

      However, sources in the police refused to confirm reports regarding an Islamic group specialising in luring young girls for converting into Islam. Reports had appeared in a section of the media in January last that religious Romeos had converted more than 4,000 girls through such designs.

Vijayvaani.com - Is Kerala moving towards another 1947?

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    • Is Kerala moving towards another 1947?
    • C. I. Issac
    • On 15 August 2009, Justice Cyriac Joseph of the Supreme Court, while addressing the International Laity Conference organized by Commission for Laity of Syro-Malabar Catholic Church [CLSMCC] in Kochi, openly declared his commitment to the church is higher than to the judiciary! He said there was no decline in his affection and love for the Church [PTI, 15 August 2009; Janmabhoomi Daily, Kottayam, 17 August 2009]. The speech is undoubtedly a clear violation of his oath of allegiance.
    • Earlier he proved his commitment to the Church with an unconstitutional visit in the laboratory where narco tests were conducted on two priests and a nun accused of the murder of Sr. Abhaya on 27 March 1997 in Pius X Convent at Kottayam. Justice Joseph made an unauthorised visit in the Forensic Lab at Bangalore on 23 May 2008, and viewed the CD of the test – a gross violation of legal ethics.
    • Justice Cyriac Joseph was then Chief Justice of the Karnataka High Court. The CBI has reported the matter to the designated court [Janmabhoomi, Kottayam, 11 August 2009]. The purpose of his visit to the Lab is shrouded in mystery because the High Court of Kerala had noticed some dishonest editing of the CD!
    • The Catholic Church is planning to purchase 10,000 acres [approx. 24 sq km] of land in the Konkan area on the Karnataka-Maharashtra border to build an exclusive Catholic township, a matter of discussion in Church circles in recent years. This was formally proposed in the recent Assembly of CLSMCC at Kochi on 15 August, and the response was very positive. This was identified by the council as “second migration.” The first migration took place between 1920 and 1960 wherein Kottayam-based Christians occupied the revenue and forest lands of Northern Kerala and Southern Karnataka.
    • The above picture is sufficient to understand the forthcoming changes and their impact over the nation as a whole. The majority Hindu community is highly politicized and is not in a position to understand the depths of the problems it will face in the near future. Hence, for the sake of national integrity, the intervention of Hindus in the rest of India is unavoidable in this alarming situation of Kerala. 
    • The author is a retired Professor of History, and lives in Trivandrum

Airline bombers’ conviction: Locked down | The Economist

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    • British efforts to clamp down on jihadist terrorists are showing partial success
    • The police and intelligence services launched an enormous investigation to prevent the attacks, employing 200 people to provide round-the-clock surveillance. Operation Overt was cut short when Rashid Rauf of Birmingham, believed to be an al-Qaeda link man for the plotters in Pakistan, was arrested there, allegedly at American instigation. This caused the British to close in earlier than planned, perhaps at the cost of gathering more explicit evidence.

Shadow Warrior: myth of moderate malaysia

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    Taken together, these cases illustrate two issues--both central to the debate about Islam and modernity--that Malaysia is struggling to come to terms with. Can a Muslim majority live with a non-Muslim minority as equals, or must the former be explicitly dominant--in law as well as in day-to-day life? And can Muslims reconcile piety with a culture where the rights of the individual (say, to order a beer) are given precedence over communal beliefs?

    • comments:

      Manix said...

      Indians should choose to skip Malaysia on trips, rather go somewhere else.

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): दो अफ़ज़ल, मिरज़ के दंगे, महाराष्ट्र सरकार और सेकुलर मीडिया… Miraj Riots Ganesh Mandal Mumbai Secular Media

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    • दो अफ़ज़ल? जी हाँ चौंकिये नहीं, पहला है अफ़ज़ल गुरु और दूसरा शिवाजी द्वारा वध किया गया अफ़ज़ल खान, भले ही इन दोनों अफ़ज़लों में वर्षों का अन्तर हो, लेकिन उनके "फ़ॉलोअर्स" की मानसिकता आज इतने वर्षों के बाद भी वैसी की वैसी है।


      http://www.youtube.com/watch?v=nsX6LYdNBNw

      हाल ही में सम्पन्न गणेश उत्सव के दौरान मुम्बई में "अफ़ज़ल गुरु और कसाब को फ़ाँसी कब दी जायेगी?" का सवाल उठाते हुए, कुछ झाँकियों और नाटकों में इसका प्रदर्शन किया गया। वैसे तो यह सवाल समूचे देश को मथ रहा है, लेकिन मुम्बईवासियों का दर्द ज़ाहिर है कि सर्वाधिक है, इसलिये गणेशोत्सव में इस प्रकार की झाँकियाँ होना एक आम बात थी, इसमें भला किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? लेकिन नहीं साहब, "सेकुलरिज़्म" के झण्डाबरदार और "महारानी की गुलाम" महाराष्ट्र सरकार की वफ़ादार पुलिस ने ठाणे स्थित घनताली लालबाग गणेशोत्सव मण्डल को धारा IPC 149 के तहत एक नोटिस जारी करके पूछा है कि "मुस्लिम भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली अफ़ज़ल गुरु की झाँकियाँ क्यों निकाली गईं?"। ध्यान दीजिये कांग्रेस सरकार कह रही है कि अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी लगाने की माँग करने का मतलब है मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुँचान।

      महाराष्ट्र में चुनाव सिर पर हैं, उदारवादी मुसलमान खुद आगे आकर बतायें कि क्या अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी देने से उनकी भावनायें आहत होती हैं? यदि नहीं, तो मुस्लिमों को कांग्रेस के इस घिनौने खेल को उजागर करने हेतु आगे आना चाहिये।




Agent Provocateur: Qatil-e-Azam Mohammed Ali Jinnah

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    • Like Jaswant Singh, I am neither a scholar nor a historian. But unlike him, I am the child of parents who suffered the horrors of Partition; my father arrived in India from East Pakistan with his widowed mother and four younger siblings, penniless and virtually with nothing more than the clothes on his back. He didn’t have the privilege of growing up in princely Jodhpur, nor did life afford him the luxury of pondering over the minutiae of the politics of Partition in the amiable surroundings of Nehru Memorial Library. Yet, I do not recall him ever expressing either rancour or regret. Even if he wanted to, my mother wouldn’t have let him. The struggle for survival rode rough-shod over any emotional struggle that might have peeked hesitantly in their minds.
    • I belong to the minority which believes that Partition was the second best thing to have happened to us. The first was the failure of the ghazis to prop up a dissolute badshah in 1857. In his literally weighty tome Jinnah: India - Partition - Independence, Jaswant Singh obviously disagrees with this contention: “It was here in the middle of the 19th century that the symbol of our sovereignty was finally seized and trampled underfoot by British India.” Not everybody mourned that event, just as Hindus in Bengal were not terribly upset when Nawab Siraj-ud-Daulah was given the boot in 1757.
    • But that defeat of presumed Muslim supremacy in 1857 was not without significance. Rudely stripped of their status as a minuscule minority ruling over India’s vast majority, Muslims discovered salvation in separatism in the subsequent decades — first in terms of faith and culture, and later with the formation of the Muslim League in 1906, in Muslim identity politics.
    • comments:
    • Why I say United India would have been Plato’s Utopia? For that we need to understand the core idea which lead to partition, it was “Hindus and Muslims were separate nation because of their differences and cannot stay together”.
    • The origination of this psyche can be found in Fall of Mughal Empire in 18th century and with rise of Marathas. Many may not know, buts it’s a fact that the rise of Maratha and their dominance on mughals was so much hated by muslim elites that they invited “Ahmad Shah Abdali” to invade their own country against their own Emperor to get rid of Maratha dominance.
    • After 1857 sepoy mutiny and complete annihilation of Mughals, this class saw Hindus gaining prominance in British Empire and they were getting marginalized. It was then Sir Syed Ahmed Khan the founder of Aligarh Muslim University perpetuated the idea that Muslims should align with British to marginalize Hindus.
    • Later the same psyche was found in Aga Khan, Alma Iqbal, Rahmat Ali and later espoused by Jinnah for his own political and personal gains.
    • It was the fear of Muslim elite that in a Hindu majority country, Hindus will use their majority to treat the Muslims as though they were Second-class citizens in an alien State. They had the guilt feeling that Hindus will treat them same as they treated Hindus for 800 years.
    • Regards,
      S. Chatterjee