Wednesday, September 9, 2009

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): दो अफ़ज़ल, मिरज़ के दंगे, महाराष्ट्र सरकार और सेकुलर मीडिया… Miraj Riots Ganesh Mandal Mumbai Secular Media

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    • दो अफ़ज़ल? जी हाँ चौंकिये नहीं, पहला है अफ़ज़ल गुरु और दूसरा शिवाजी द्वारा वध किया गया अफ़ज़ल खान, भले ही इन दोनों अफ़ज़लों में वर्षों का अन्तर हो, लेकिन उनके "फ़ॉलोअर्स" की मानसिकता आज इतने वर्षों के बाद भी वैसी की वैसी है।


      http://www.youtube.com/watch?v=nsX6LYdNBNw

      हाल ही में सम्पन्न गणेश उत्सव के दौरान मुम्बई में "अफ़ज़ल गुरु और कसाब को फ़ाँसी कब दी जायेगी?" का सवाल उठाते हुए, कुछ झाँकियों और नाटकों में इसका प्रदर्शन किया गया। वैसे तो यह सवाल समूचे देश को मथ रहा है, लेकिन मुम्बईवासियों का दर्द ज़ाहिर है कि सर्वाधिक है, इसलिये गणेशोत्सव में इस प्रकार की झाँकियाँ होना एक आम बात थी, इसमें भला किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? लेकिन नहीं साहब, "सेकुलरिज़्म" के झण्डाबरदार और "महारानी की गुलाम" महाराष्ट्र सरकार की वफ़ादार पुलिस ने ठाणे स्थित घनताली लालबाग गणेशोत्सव मण्डल को धारा IPC 149 के तहत एक नोटिस जारी करके पूछा है कि "मुस्लिम भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली अफ़ज़ल गुरु की झाँकियाँ क्यों निकाली गईं?"। ध्यान दीजिये कांग्रेस सरकार कह रही है कि अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी लगाने की माँग करने का मतलब है मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुँचान।

      महाराष्ट्र में चुनाव सिर पर हैं, उदारवादी मुसलमान खुद आगे आकर बतायें कि क्या अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी देने से उनकी भावनायें आहत होती हैं? यदि नहीं, तो मुस्लिमों को कांग्रेस के इस घिनौने खेल को उजागर करने हेतु आगे आना चाहिये।