केन्द्र सरकार द्वारा 10 रुपये का नया सिक्का जारी किया गया है, जो दो धातुओं से मिलकर बना है तथा जिस पर एक तरफ़ “ईसाई क्रूसेडर क्रॉस” का निशान बना हुआ है। हालांकि इस सिक्के पर सन् 2006 खुदा हुआ है, लेकिन हमें बताया गया है कि यह हाल ही में जारी किया गया है। इससे पहले भी सन् 2006 में ही 2 रुपये का जो सिक्का जारी किया गया था, उसमें भी यही “क्रॉस” का निशान बना हुआ था। “सेकुलरों के प्रातः स्मरणीय” नरेन्द्र मोदी ने उस समय गुजरात के चुनावों के दौरान इस सिक्के की खूब खिल्ली उड़ाई थी और बाकायदा लिखित में रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार का विरोध किया, तब वह सिक्का वापस लेने की घोषणा की गई। लेकिन
सन् 2009 आते-आते फ़िर से नौकरशाही को फ़िर से वही बेशर्मी भरे “सेकुलर दस्त” लगे और दस रुपये का नया सिक्का जारी कर दिया गया, जिसमें वही क्रूसेडर क्रॉस खुदा हुआ है।- एम.एफ. हुसैन सेक्युलर है परन्तु तस्लीमा नसरीन साम्प्रदायिक है, तभी तो उसे पश्चिम बंगाल के सेक्युलर राज्य से बाहर निकाल दिया गया।
- इस्लाम का अपमान करने वाला डेनिश कार्टूनिस्ट तो साम्प्रदायिक है परन्तु हिन्दुत्व का अपमान करने वाले करूणानिधि को सेक्युलर माना जाता है।
- मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के बलिदान का उपहास उड़ाना सेक्युलरवादी होता है, हेमन्त करकरे के बलिदान पर प्रश्नचिह्न लगाने वाला सेक्युलवादी होता है, दिल्ली पुलिस की मंशा पर सवाल खड़ा करना सेक्युलरवादी होता है, परन्तु एटीएस के स्टाइल पर सवाल खड़ा करना साम्प्रदायिकता के घेरे में आता है।
- राष्ट्र-विरोधी 'सिमी' सेक्युलर है तो राष्ट्रवादी रा.स्व.सं साम्प्रदायिक है।
- एमआईएम, पीडीपी, एयूडीएफ और आईयूएमएल जैसी विशुध्द मजहब-आधारित पार्टियां सेक्युलर है, परन्तु भाजपा साम्प्रदायिक है।
- बांग्लादेशी आप्रवासियों, विशेष रूप से मुस्लिमों का और एयूडीएफ का समर्थन करना सेक्युलर है, परन्तु कश्मीरी पंडितों का समर्थन करना साम्प्रदायिक है।
- नंदीग्राम में 2000 एकड़ क्षेत्र में किसानों पर गोलियों की बरसात करना सेक्युलरिज्म है परन्तु अमरनाथ में 100 एकड़ की भूमि की मांग करना साम्प्रदायिक है।
- मजहबी धर्मांतरण सेक्युलर है तो उनका पुन: धर्मांतरण करना साम्प्रदायिक होता है।
- कामरेडों का नमाज में भाग लेना, हज जाना और चर्च जाना तो सेक्युलरिज्म है परन्तु हिन्दूओं का मंदिरों में जाना या पूजा में भाग लेना साम्प्रदायिक है।
from Socio Political News by
Ajay Setia
राहुल ने एक इशारा नीतिश को भी किया था। पर नीतिश तो एनडीए रैली में नरेंद्र मोदी का हाथ थामकर खड़े हो गए। लालू ने राहुल को ताना मारते हुए कहा- ‘हमें तो पहले से नीतिश का सेक्युलरिज्म पता था। कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी को नहीं पता था।’ यों वीरप्पा मोइली पहले ही नीतिश के इशारे समझ गए थे। सो उनने वक्त रहते कहा- ‘बीजेपी के साथ रहकर नीतिश अपने सेक्युलरिज्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं।’ इसी बात पर मोइली को चलता किया गया। पर जब मोदी-नीतिश साथ दिखे। तो कांग्रेस में खलबली मची। हफ्तेभर से नीतिश को सेक्युलर होने का सेर्टिफिकेट दे रहे अश्विनी कुमार बोले- ‘जनता दल यू सेक्युलर नहीं।’ पर जब लगा अब नीतिश नहीं आएंगे। तो असली जवाब उसी लुधियाना में अपने मनमोहन सिंह ने दिया। जब वह बोले- ‘मोदी से हाथ मिलाने वाले नीतिश के सेक्युलर होने पर संदेह।’
from सचिन की दुनिया by
Sachin खैर, अब बात अमिताभ की ब्लॉगिंग की....अमिताभ अपना ब्लॉग पढ़ने वाले पाठकों को अपना परिवार कहते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि वो परिवार उपेक्षित है। अमिताभ अपनी छोटी-मोटी पोस्ट पर भी 500 से 1000 कमेन्ट्स पा लेते हैं....लेकिन अमिताभ ने उन कमेन्ट्स को इतना धुंधला कर रखा है कि कोई भी उन्हें आँखें गड़ाकर भी नहीं पढ़ सकता और फिर अमिताभ को तो खुद चश्मा लगा हुआ है। वे क्या पढ़ पाते होंगे जब हम ही नहीं पढ़ पा रहे हैं।
आलोक तोमर डेटलाइन इंडिया नई दिल्ली, 12 मई- 16 मई बहुत दूर नहीं रह गई है। क्षेत्रीय दल अपनी ताकत पहचानने लग गए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों महागठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं और आज की तारीख में भाजपा यानी एनडीए बड़ा गठबंधन बना लेगी, इसके आसार नजर आ रहे हैं। साथ ही जरूरी बात यह भी [...]
सुप्रिया रॉय डेटलाइन इंडिया नई दिल्ली, 12 मई- भारतीय जनता पार्टी की पहली कोशिश यह है कि चुनाव के नतीजे आने के पहले ही वह एनडीए के तौर पर अपने आपको सबसे बड़ा गठबंधन सिद्व कर दे ताकि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सामने उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाए। भाजपा [...]
from delhi se Yogesh Gulati by
Yogesh Gulati
जिन तीस से ज्यादा देशों में मतदान अनिवार्य है, कहीं भी इस मामले में सख्त सजा का प्रावधान नहीं है। वहां ज्यादा से ज्यादा जुर्माना होता है और बीमार होने की स्थिति में वोट नहीं देने की भी छूट है। जिन देशों में अनिवार्य मतदान है, वहां न सिर्फ मतदान प्रतिशत खासा अच्छा है, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघनों की भी ज्यादा चर्चा नहीं है।
from delhi se Yogesh Gulati by
Yogesh Gulati
सफलता का श्रेय मां को रतनकंवर ने भी अपनी सफलता का श्रेय मां को देते हुए बताया, ‘डॉक्टर बनने के पहले और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान ऐसा लगता था जैसे मां को ही परीक्षा देनी है। वे मेरे साथ पूरी रात जागती रहती थीं।’
मैं कभी स्कूल नहीं गई। इसका मुझे दु:ख था, लेकिन बेटी की सफलता से मुझे बहुत संतोष मिला है। लगता है जैसे मैंने ही पढ़ाई पूरी कर ली है।’
- प्रकाश कंवर (आईएएस बनने वाली रतनकंवर की मां)
from Socio Political News by
Ajay Setia
इस बार भी किसी दल या चुनाव पूर्व गठबंधन को बहुमत नहीं मिलेगा। स्थिति एकदम 1998 जैसी होगी। तो राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के सामने दो विकल्प ही बचते हैं, या तो वह 1996 की तरह डा. शंकर दयाल शर्मा का अनुसरण करते हुए सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता देकर रिस्क लें। या फिर 1998 में के आर नारायणन की तरह राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति भवन में बहुमत साबित करने का पूरा मौका दें।
PM should stop behaving like vice-chancellor of university of secularism, says CM
Asked about the Congress’ flip-flop, praising him first and then questioning his secularism, Kumar said, “I expect neither praise nor do I care about criticism. The Congress-led Union Government has done injustice to Bihar (in Kosi relief assistance). I did not expect this from Manmohan Singh.”
At the same time, JD(U) national spokesman Shivanand Tewari reminded Manmohan Singh and Lalu Prasad of 1984 anti-Sikh riots and Bhagalpur communal mayhem and said they had no business to question Nitish Kumar’s commitment to secularism.“Leaders of parties who presided over brutal killings of minorities have no moral right to question the Bihar CM’s secular credentials when his Government has done utmost for the protection and welfare of the minority community,” he said.Incidentally, while attacking Nitish for shaking hands with Modi, the Prime Minister, who has time and again revived the ghost of Gujarat riots, wanted the nation to forget the anti-Sikh mayhem. “The riots (of 1984) were painful, but cannot be kept alive for ever,” he said.
Returning to the substantive issue of the Prime Minister’s criticism on Bihar not spending the money provided by the Centre for flood relief, Nitish had attacked Manmohan Singh and accused him of misrepresenting the facts.
"As per the recommendation of the 11th Finance Commission, the entire money in the Calamity Relief Fund is merged into the Consolidated Fund at the end of each fiscal, thereby rendering the balance nil, whereas the Centre's top disaster management department officer says since Bihar Government had an opening balance of Rs 905.24 crore as on 01/04/08, it could not retain the money as relief and would have to refund it," Kumar said.
"But in our case, it has been the reverse. Instead of expeditiously granting our request for Rs 14,800 crore for rehabilitation of Kosi victims, it wants us to give back whatever little that came our way," Kumar said
from IntelliBriefs by
Naxal Watch B.RAMAN
The Barack Obama administration’s policy of playing down the issue of the alleged violation of the human rights of the Tibetans in China has not had any impact on the US Congress. The Tibetan cause continues to receive the same support from both Houses of the Congress, despite their being dominated by the Democratic Party, as it was receiving during the administration of George Bush. This continuing Congressional support for the Tibetan cause on the same scale as during the previous administration is reflected in the budgetary allocations for the fiscal year 2009 and in the access enjoyed by various Tibetan non-governmental organizations to leading members of the two Houses, belonging to both the Democratic and the Republican Parties.
….if Catholic Church spends more money for the development and enlistment rather than on preaching then the condition of Dalit Christians, who are wounded sheep of this fold, will improve their condition and they will have better opportunity in their lives.
A fact well-known but not widely reported is how Dalit Christians are not allowed to pray in the same Church that the more privileged ones attend.
Next to government, the churches are the biggest land owners in India.
What the missionaries don’t tell them on the anvil of conversion is that the Vatican was merely recruiting a band of the Faithful that would obey its call for the oncoming battle with Islam. As an aside, the Church also encourages Dalit Christians to retain their Hindu names in government registers to ensure an uninterrupted supply of reservation freebies. Guess who benefits from these freebies?
from Shadow Warrior by
nizhal yoddha
On Sunday, the centenary honour was awarded to scholar Kalyanaraman, who is known for his work on tracing the mythical river Saraswati and the science behind Rama Setu. CM B S Yeddyurappa inaugurated the ceremony and honoured Kalyanaraman who narrated his journey as an officer for the Asian Development Bank to finding the reality of river Saraswati, that has been referred in the Vedas innumerable times. He also spoke about how he managed to get the right judgment on the Rama Setu issue after it was under the threat of being demolished.
Secularism Course 101:
by Dr. Jagdish Tummala
A Gullible disciple: I find myself agreeing to some of the views of BJP, especially on terror, international policies and common civil code etc. But the very next moment, when the panelists on these shows call it a farce and communal, I feel I am communal too.
Mr. Secular Indian: First things first. You cannot be called secular, If you agree with the BJP. You have to be a staunch opponent of BJP policies irrespective of whether you feel they are right or wrong. Be careful, you will be tagged as a communal instantaneously if you agree with them. It would not matter what you think about the upliftment of minorities.
A gullible disciple: If you are tagged as a communal, is there anything we can do to get back to the secular brigade?
Mr. secular Indian: This is very simple. It is like conversion from one religion to the other. The easier we make it, the more it boosts our strength. Even if you are in the communal alliance for sometime for your own political advantage, you can dump these communal forces whenever you feel they are redundant and join the secular brigade. Remember
Naveen Patnaik. He was tagged communal and his party was called a principal architect of the Kandhmal violence by the Indian media and the secular forces alike. Though as soon as he dumped the BJP on the question of ‘winnability’, he became the poster boy for secularism and everything that happened in Kandhmal was portrayed as a BJP conspiracy. We made everyone believe that Naveen Patnaik was just having a difficult time dealing with them. Also remember
Kalyan Singh, the principle architect of Babri demolition is now trying to jump into the secular bandwagon and the secular forces are trying every bit to find him a place in their bandwagon. You can perpetrate the most heinous communal crime, but you can be secular any time you renegade the BJP. Remember, BJP hatred is the core quality required to become secular and other factors do not matter as much.
from Indian Realist by
sanjaychoudhry
William Dalrymple, in a visit to Dang in 1999, despite his bias understood the tensions generated by American-inspired Pentecostal missionaries who desired wholesale conversion of tribals. After interviewing recent converts, he frankly admitted that conversions took place not out of religious conviction but material benefits, predominantly medicine. Yet Christian medical graduates in India are not even a fraction of the total. The fact then remains that Christian quacks are operating in the garb of witch doctors in the tribal belts, unless they want to make improbable claims of having outsourced their task to Hindu doctors.
After independence, the traditional way of integrating the tribal with the mainstream through a natural, humane and non-discriminatory process of acculturation and Sanskritization was the cherished desire of most. Guru Golwalkar proposed that for the integration of tribals and untouchables, the same formula applies: “They can be given yajñopavîta (…) They should be given equal rights and footings in the matter of religious rights, in temple worship, in the study of Vedas, and in general, in all our social and religious affairs. This is the only right solution for all the problems of casteism found nowadays in our Hindu society.” Unfortunately that didn’t materialize.
Remember the jibe – ‘Hindu rate of growth’? It applied to the Soviet-style socialism of Nehru and Indira Gandhi. But when the growth rate surged past the double digit mark under a supposedly Hindu nationalist government, the title of Hindu rate of growth became inconvenient; now growth rate is secular.
Hindus are severely hampered by lack of funds, especially as temple grants which could be used against Christian propaganda are usurped by “secular” governments under the pretext of the Religious Endowment Act which applies only to Hindus. Finally, anti-Hindu bloodthirsty Maoists operate parallel administrations where even police fear to venture. They have made common cause with Christians against Hindus.