!! समर्थ हिन्दु, समर्थ हिन्दुस्थान !!;........................!! समर्थ हिन्दुस्थान, समर्थ विश्व !!............................ All the posts on this blog are re-postings and post headings point towards the actual posts.
Saturday, June 12, 2010
Haindava Keralam - Kerala the Epicentre of Hindu Hatred; Get converted and claim the Government perks
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
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- Ramadasan
- Now Kerala Government has came up with yet another novel idea to encourage conversion in the State.The idea is to waive the loans taken by converted Christians.
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- Parameswaran
- Do you know that Saudi Arabia tells India that its ambassador to Saudi should be a Muslim? Can Saudi send a Hindu ambassador to this country? Do you know that some Middle East companies advertise in Indian newspapers and are not ashamed to openly declare that "You can apply only if you are a Christian or a Muslim"?
- We need an incarnation of Dhanwanthari to save our souls!Pray for a Shivaji to take birth in Kerala.
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Haindava Keralam - The Kasargode Passport Factory - Lessons from Mangalore Disaster
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Like the earlier LPG Tanker blast that was an eye-opener about the ownership of all prime real estate at Karunagappally, the Mangalore disaster has opened our eyes about the saga of fake Indian passports. At least a dozen passports of those who perished in the crash are fake passports and all of them belong to a particular community.
- That brings us to another wider angle about the growing negative influence of Gulf in India , especially Kerala. Gulf gates were no doubt a welcome relief valve for the Kerala youth struggling under the fatal attraction of Naxalism and Hippism in the 1970s. Though overwhelmingly in favour of the Muslims, Gulf opportunities no doubt calmed the volatile situation and subsequently provided millions of dollars for Kerala’s development. But all those positive aspects have come to an end and the situation has completely turned around. Gulf money and Gulf opportunities are now fuelling terrorism and outright communalism in Kerala. It will soon engulf other southern states and ultimately play havoc, unless those who bother about Indian nation are extremely careful.
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Haindava Keralam - Arrival of 'The Super Taliban-Aligarh' in Kerala
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Haindava Keralam - global community of dedicated Hindu Keralites with a peace mission
- Note also that the AMU which emerged out of this was a Pan-Islamic Movement.
Pakistani historians thankfully acknowledge the pivotal role of AMU-
'The Movement of establishing a Muslim University' writes Mumtaz Moin in his 'The Aligarh Movement' (Karachi, 1976, p. 184), 'is an important chapter of our history. Initiated by Waqar al-Mulk it soon became a live issue under the patronage of the Aga Khan.'
His Biographer Islamudin surmises-
'Thus it would not be an exaggeration to say that without Aga Khan, there would have been no Aligarh University, and without Aligarh, Pakistan would have been a near impossibility.'
Let us hear from Agha Khan himself what the Amu movement was and got accomplished-
The Aga Khan himself said in his 'Memoirs' (London, 1954, p. 36) that: 'We may claim with pride that Aligarh was the product of our own efforts and of no outside benevolence and surely it may also be claimed that the independent sovereign nation of Pakistan was born in the Muslim University of Aligarh.' - AMU's arrival in Kerala is thus crucial to its avowed aims as seen in that SIMI poster, which was in media spotlight, titled 'Islam to prevail'.
Pasted in Aligarh Muslim University in November 1997 during an all-India convention the poster read, 'Islam doesn't carry a single instruction on how to live peacefully under an un-Islamic regime. Islam has described clearly that the way to dominate is jihad.'
Importing AMU to Kerala is to complete the incomplete Islamisation of Kerala started by Hyder Ali and Tippu.
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Jagran - Yahoo! India - नक्सलवाद से खुला युद्ध
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Jagran - Yahoo! India - Nazariya News
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सलवा जुडूम आदिवासियों का अपना प्रतिरोध है, जो माओवादी मनमानी के विरुद्ध स्वत:स्फूर्त आरंभ हुआ। वे उन्हीं गांवों और जंगलों के निवासी हैं, जहां नक्सली जमे हुए हैं। नक्सली कमाडरों में आध्र और अन्य प्रातों के भी लोग हैं, जबकि सलवा जुडूम में विशुद्ध रूप से स्थानीय आदिवासी ही शामिल हैं। वे पूरे क्षेत्र और जन-गण को जानते हैं और सास्कृतिक रूप से उनके ही अंग हैं। इसीलिए उनके द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध शस्त्र उठा लेना नक्सलवाद के खिलाफ सबसे घातक हमला है। इसीलिए माओवादी सलवा जुडूम से सबसे अधिक बौखलाते हैं।
नक्सली निदान का मुख्य सूत्र यह है कि युद्ध खुलकर लड़ा जाए! यदि किसी गिरोह ने 'भारत राष्ट्र' या अरुंधति के शब्दों में 'हिंदू स्टेट' के विरुद्ध डंके की चोट पर युद्ध की घोषणा की है तो लड़ने के सिवा कोई विकल्प ही नहीं है! यही धर्म भी है। जो माओवादी सब्जबाग दिखाकर युवाओं को कथित क्राति-पथ पर लाते हैं, उनकी पोल खोलना जरूरी है। माओ के जीवन और कार्य की सच्चाई, माओवादी सत्ताओं के कारनामों से लोगों को परिचित कराना चाहिए। भारत में माओवादियों की नृशसता से तो लोग परिचित हैं, किंतु उनकी विचारधारा, राजनीतिक कार्यक्रम आदि पर लोगों को जागरूक करने का काम नहीं किया गया। जबकि माओवाद की विचारधारा ही वह चीज है, जिनसे नक्सली गुट अपनी मानसिक खुराक पाते हैं।
- नक्सलवाद के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष प्रतिरक्षात्मक नहीं, आक्रामक रूप से चलाना चाहिए। अभी उलटा हो रहा है। सरकार उन नक्सल समर्थक बुद्धिजीवियों को ही जवाब नहीं दे पा रही है जो 'स्टेट टेररिज्म' के उलटे-सीधे आरोप लगाते हैं, या 'भूमि-सुधार' और 'वार्ता द्वारा समाधान' की कहानियां गढ़ते हैं। यह तो शत्रु के वाग्जाल में फंसना हुआ। प्रश्न तो नक्सली कार्यक्रमों पर उठना चाहिए कि किन तथ्यों, आंकड़ों, अनुभवों और नैतिक मूल्यों पर उन्हें बनाया गया है? बात-बात में स्तालिन और माओ को उद्धृत करने वाला कार्यक्रम कितना घातक है, चर्चा इस पर केंद्रित हो। यह बताया जाए कि न केवल दुनिया भर के गंभीर अध्येताओं, बल्कि स्वयं रूसियों और चीनियों ने भी स्तालिन व माओ को 'मानवता के सबसे बड़े अपराधी' की संज्ञा दी है।
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एक थोपे गए युद्ध में जीतने के सिवा कोई विकल्प स्वीकार करना उचित नहीं। अपने आलोचकों से प्रशसा सुनने का बचकाना लोभ शासकों को छोड़ना चाहिए। सरकारी अकादमियों, विश्वविद्यालयों आदि में जमे कट्टरपंथियों के प्रति अतिशय उदारता भी बंद होनी चाहिए। बहुत से लोगों के लिए मानवाधिकार एक्टिविज्म एक लाभदायक धंधा बन गया है, जिससे वे विदेशी स्त्रोतों से सुख-सुविधा-पर्यटन पाते हैं। ऐसे मानवाधिकारवादियों की सरकारी समितियों, आयोगों आदि में नियुक्ति तत्काल बंद होनी चाहिए। अकादमिक स्वायत्तता को स्पष्ट परिभाषित करना चाहिए। सरकारी धन से ही सरकार के विरुद्ध विध्वंसकारी गतिविधियों के अड्डों के रूप में संस्थाओं का दुरुपयोग बंद होना चाहिए।
[एस शंकर: लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं]
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Jagran - Yahoo! India - नीतीश के क्षेत्र में मोदी के आक्रामक तेवर
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Jagran - Yahoo! India - National :: Politics News
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शहर में आडवाणी और गडकरी से ज्यादा तथा उनके कटआउट से विशाल कटआउट मोदी के लगे हैं। यही नहीं, पटना से प्रकाशित सभी अखबारों में शनिवार को अकेले मोदी के पूरे पृष्ठ के विज्ञापन छपे हैं। ये विज्ञापन पार्टी की ओर से नहीं बल्कि, खुद मोदी की तरफ से प्रकाशित कराए गए हैं।
वर्ष 2004 से बिहार में होने वाले किसी भी चुनाव के प्रचार में गुजरात के मुख्यमंत्री को राज्य में नहीं आने देने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जैसे चिढ़ाते हुए, मोदी को इन बड़े बड़े कटआउट्स में हिंदू हृदय सम्राट का बुद्ध की धरती पर स्वागत और अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों में बिहार और बिहारियों की सहायता करने वाले नरेंद्र का हम बिहार के लोग स्वागत करते हैं जैसे नारे लिखे हैं।
आज के अखबारों में छपे पूरे पृष्ठ भर के विज्ञापनों में याद दिलाया गया है कि कोसी नदी में आई भीषण बाढ़ की तबाही से उबरने में बिहार की सबसे अधिक सहायता मोदी के गुजरात ने की थी। इसमें यह भी कहा गया है कि बड़े पैमाने पर बिहारियों को गुजरात में रोजगार सहित अन्य अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
- अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन में मोदी के बड़ी फोटो के साथ किसी अनजान बिहार निवासी की फोटो लगाई गई है और उसके शीर्ष पर लिखा है कि गुजरात मेरे घर से दूर मेरा घर। इसमें कुछ अनजान बिहारियों की तरफ से यह भी कहा गया है कि बिहार की संकट की घड़ी में गुजरात हमेशा उसके साथ खड़ा रहा है। इसमें कहा गया है कि गुजरात अपना जन्मस्थान छोड़ कर गए हमारे जैसे कई लोगों के लिए घर से दूर एक घर है और यह ऐसी जगह है जहां हमने सम्मान, शांति और अपार अवसरों का समान मंच पाया।
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Praveen Togadia describes those who helped Anderson's exit as 'traitors' - dnaindia.com
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Praveen Togadia describes those who helped Anderson's exit as 'traitors' - dnaindia.com
- Jabalpur: Vishwa Hindu Parishad's (VHP) international general secretary, Praveen Togadia today described as "traitors" to those behind the release of Union Carbide Corporation's (UCC) then Chairman, Warren Anderson.
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"The persons responsible for the release of Anderson are traitors and cases of treason should be registered against them," Togadia told a press conference here.
"Nearly 17 Commissions were constituted after the Malegaon and Ajmer blasts, but for a tragedy that killed thousands of persons, no Commission was constituted till date for ensuring imprisonment to those behind it," he alleged.
He said that the then government had treated Anderson like prime minister as he was also taken upto the tarmac in a red-beacon official car like a head of the state.
Togadia said that the incident of car being taken inside the airport could not have taken place without the prior knowledge of the State and the Centre and therefore, now they cannot escape from it.
The right-wing leader alleged that Rs three crore were paid by the Union Carbide to the senior Congress leader Arjun Singh, who was chief minister of Madhya Pradesh then, adding that the then Superintendent of Police (SP) must have driven Anderson to the airport under pressure from the higher authorities.
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Not against Muslim girls wearing head-scarves in schools:Catholic Bishops Council | TwoCircles.net
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Not against Muslim girls wearing head-scarves in schools:Catholic Bishops Council | TwoCircles.net
- Kochi: The Kerala Catholic Bishops Council stated that it was not against Muslim girls wearing head-scarves in schools. Following religious dressing along with uniform should not be prevented, said Bishop Dr Joshua Mar Ignatios, president of the KCBC, in a press conference in Kochi.
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The Telegraph - Catch Raza’s record work in Noida
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The Telegraph - Calcutta (Kolkata) | Frontpage | Catch Raza’s record work in Noida
- AMIT ROY
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M.F. Husain is still “MF”, a much respected figure, but somehow there seems less warmth for him among Indians since he announced he had been offered Qatari citizenship.
This assessment of his motives may be very unfair and not take into account the extent of the hostility he has faced from Hindu fanatics but an Indian tycoon commented cynically: “He wants to leave behind as much as money as possible by selling to Middle East buyers.”
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Jagran - Yahoo! India - फिर बंदिशों पर आमादा कांग्रेस
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Jagran - Yahoo! India - Nazariya News
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कांग्रेस सोनिया गांधी के पिता स्टीफेनो मैइनो के संदर्भो को लेकर भी असहज हो सकती है। वह इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की सेना में काम कर चुके हैं और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस के खिलाफ युद्ध में भाग ले चुके हैं। किंतु विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को सच्चाई से मुंह नहीं फेरना चाहिए।
स्टीफेनो के राजनीतिक आग्रहों के संदर्भो को हलके में नहीं लिया जा सकता क्योंकि वह मुसोलिनी और उनके तानाशाही शासन के कट्टर समर्थक थे। यह उन्होंने करीब तीस साल पहले एक भारतीय पत्रकार को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इटली में फिर से तानाशाही सत्ता आएगी। इसलिए स्टीफेनो को मुसोलिनी की शान में कसीदे पढ़ते देखने के लिए हमें मोरो की किताब पढ़ने की जरूरत नहीं है।
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हममें से जो लोग जो 1975-77 में इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल के भुक्तभोगी रहे हैं, वे इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि कैसे उन्होंने संविधान को बदलकर और लोकतंत्र को उलटकर 25 जून, 1975 को तानाशाही थोप दी थी। उस रात उन्होंने राष्ट्रपति से घोषणा जारी करवाकर राजनीतिक विरोधियों का दमन शुरू कर दिया था। सरकार ने बहादुर शाह जफर मार्ग, जहां अनेक अखबारों के दफ्तर थे, की बत्ती काट दी थी ताकि अगली सुबह अखबार यह खबर प्रकाशित न कर सकें कि इंदिरा गांधी ने तानाशाही शक्तियां हासिल कर लीं। अब मोरो की पुस्तक में सोनिया गांधी को आरके धवन और सिद्धार्ध शंकर राय की बातचीत को सुनते हुए दर्शाया गया है। पुस्तक में बताया गया है कि धवन ने राय को कहा था कि अखबारों की बत्ती गुल कर दी गई है। जैसाकि ऊपर बताया जा चुका है कि उस रात सरकार ने अखबारों की बिजली काट दी थी और राय, धवन और अन्य बहुत से कुछ लोग इससे अवगत थे। यह फैसला इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास स्थान पर लिया गया था, जहां सोनिया और राजीव रहते थे।
यह विश्वास करना कठिन है कि सोनिया गांधी उस रात की घटनाओं के बारे में कुछ नहीं जानती थीं। खासतौर पर इसलिए कि अपनी सास इंदिरा गांधी के साथ उनके मधुर संबंध थे और इंदिरा गांधी ही लोकतंत्र की धज्जिायां उड़ाने का फैसला ले रही थीं। हालांकि अगर मोरो यह कहने में गलती भी कर रहे थे कि सोनिया गांधी को अखबारों की बिजली काटने की जानकारी थी, तो भी क्या किताब को प्रतिबंधित करने का यह पुख्ता आधार है?
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स्पष्टत: इन सदस्यों ने यही किया जब फिल्म में कुछ सीन हटाने और कुछ बदलने की मांग की। शुरू में कांग्रेस को चिंता थी कि कैटरीना कैफ द्वारा निभाई गई भूमिका सोनिया गांधी से मेल खाती है। खासतौर पर इसलिए क्योंकि सोनिया भी कैटरीना की तरह अंग्रेजी शैली में बोलती हैं। इसके विपरीत हिंदू देवी-देवताओं को नग्न और कामुक क्रियाओं में रत दिखाने वाले एमएफ हुसैन की कृतियों को प्रतिबंधित करने के लिए कांग्रेस ने जरा भी सक्रियता नहीं दिखाई।
नेहरू-गांधी परिवार की किसी भी आलोचना को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं की आक्रोशित प्रतिक्रिया हमें इटली के तानाशाह मुसोलिनी के 28 अक्टूबर, 1925 में दिए गए भाषण की याद दिलाती है। मुसोलिनी ने घोषणा की थी- सबकुछ सत्ता में निहित है, सत्ता से बाहर कुछ नही, सत्ता के खिलाफ कुछ नहीं। नेहरू-गांधी परिवार के चंपुओं ने भारतीय संदर्भ में इसमें जरा-सा रद्दोबदल कर दिया है- सब कुछ परिवार के भीतर, परिवार के बाहर कुछ नहीं, परिवार के खिलाफ कुछ भी नहीं। क्या लोकतांत्रिक भारत यह स्वीकार कर सकता है?
[ए सूर्यप्रकाश: लेखक विधि मामलों के विशेषज्ञ हैं]
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Visa rules relaxed for Pak women wedded to Indians - dnaindia.com
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Visa rules relaxed for Pak women wedded to Indians - dnaindia.com
- There’s good news for Pakistani women married to Indians, or those married in Pakistan and wanting to return to India for compelling reasons
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After reports that the women faced the ignominy of separation from husbands and children for want of a visa extension, the home ministry gave the green signal to state governments to consider extension of long-term visas of some categories, including women, without insisting on passport validity.
The liberalised rules are only for Pakistanis who have come to India permanently, to acquire Indian citizenship. Only Pakistanis who have come to India on or before December 31, 2009, are eligible.
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Pak nationals allowed long stay can now extend visa - India - The Times of India
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Pak nationals allowed long stay can now extend visa - India - The Times of India
- In a move which may pave the way for certain categories of Pakistani nationals to get Indian citizenship in due course, the Centre has relaxed norms for those who have been staying in India for long and asked states and Union territories to consider cases for extension of their long-term visa (LTV) without insisting for validity of their passports.
Pakistani nationals who come under such categories are: members of minority communities in Pakistan; Pakistani women married to Indian nationals and staying in India; Indian women married to Pakistani nationals and who returned due to widowhood or divorce and having no male member to support them in Pakistan and cases involving extreme compassion.
"However, only such Pakistani nationals are eligible to be considered for grant/extension of LTV who have come to India on or before December 31, 2009," a home ministry statement said on Thursday.
- In addition to four categories of Pakistani nationals, grant of LTV is also being considered in the case of male Muslim community members being originally Indian citizens who went to Pakistan after partition leaving behind family in India and who returned to India on a valid passport issued by the government of Pakistan and settled in the state of Kerala so that they could acquire Indian citizenship.
- Prabha Australia- Y special treatment to only Pakistan? If brought as a rule, it should apply for Hindus who are nationals of the other countries like Bangladesh, Sri Lanka, Malaysia, Singapore, Indonesia, Thailand etc as well.
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