Monday, December 21, 2009

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): सोनिया गाँधी के अनाड़ीपन और कांग्रेस की मूर्खता की वजह से जल रहा है आंध्रप्रदेश… Telangana Movement, Sonia Gandhi and Reddy

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    • अभी यह ज्यादा पुरानी बात नहीं हुई है जब भारत में तीन नये राज्यों छत्तीसगढ़, झारखण्ड और उत्तरांचल का निर्माण बगैर किसी शोरशराबे और हंगामे के हो गया और तीनों राज्यों में तथा उनसे अलग होने वाले राज्यों में वहाँ के मूल निवासियों(?) और प्रवासियों(?) के बीच रिश्ते कड़वाहट भरे नहीं हुए। इन राज्यों में शान्ति से आम चुनाव आदि निपट गये और पिछले कई सालों से ये राज्य अपना कामकाज अपने तरीके चला रहे हैं। फ़िर तेलंगाना और आंध्र में ऐसा क्या हो गया कि पिछले 15 दिनों से दोनों तरफ़ आग लगी हुई है? दरअसल, यह सब हुआ है सोनिया गाँधी के अनाड़ीपन, खुद को महारानी समझने के भाव और कांग्रेसियों की चाटुकारिता की वजह से।
    • ऐसे मौके पर याद आता है जब, वाजपेयी जी के समय छत्तीसगढ़ सहित अन्य दोनों राज्यों का बंटवारा शान्ति के साथ हुआ था और मुझे तो लगता है कि बंटवारे के बावजूद जितना सौहार्द्र मप्र-छत्तीसगढ़ के लोगों के बीच है उतना किसी भी राज्य में नहीं होगा। हालांकि छत्तीसगढ़ के अलग होने से सबसे अधिक नुकसान मप्र का हुआ है लेकिन मप्र के लोगों के मन में छत्तीसगढ़ के लोगों और नेताओं के प्रति दुर्भावना अथवा बैर की भावना नहीं है, और इसी को सफ़ल राजनीति-कूटनीति कहते हैं जिसे सोनिया और कांग्रेस क्या जानें… कांग्रेस को तो भारत-पाकिस्तान, हिन्दू-मुस्लिम और तेलंगाना-आंध्र जैसे बंटवारे करवाने में विशेषज्ञता हासिल है।
    • महारानी और उनका “भोंदू युवराज” अपने किले में आराम फ़रमा रहे हैं… क्योंकि देश में जब भी कुछ बुरा होता है तब उन दोनों का दोष कभी नहीं माना जाता… सिर्फ़ अच्छी बातों पर उनकी तारीफ़ की जाती है, ज़ाहिर है कि उनके पास चमचों-भाण्डों और मीडियाई गुलामों की एक पूरी फ़ौज मौजूद है…

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Liberhan report | TwoCircles.net


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It’s Sonia’s plot for Rahul’s sake: TDP

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    • Congress president Sonia Gandhi is hatching a conspiracy to divide the State to strengthen her son Rahul Gandhi’s position in future, Telugu Desam’s whip in the Assembly P Kesav and party vice-president K Rammohan Rao have alleged.

       

      Talking with reporters here today, they alleged that Gandhi was trying to create weak States and make the Centre strong.
    • The Congress high command was encouraging these people and asked Rajagopal to agitate, Arunkumar to debate and K Sambasiva Rao to prolong the issue, the TD said and urged `PM-in-making’ Rahul Gandhi to spell out his stance on division of the State. ``If Rahul Gandhi had a good intelligence network which could suggest about a Kalawati, biryani at Paradise Hotel in Secunderabad and an Andhra meal at AP Bhavan in New Delhi, why was he not provided with reports on the feelings of the people of the State?’’ Ridiculing Congress leaders’ posers to TD president N Chandrababu Naidu, they said that if Naidu was to take decisions what for the Congress was in power. Congress leaders were trying to foment emotions instead of dousing the flames, they alleged.

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WE ARE ALL INDIANS: UNNIKRISHNAN : Star Of Mysore Online

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    • Christa Namana' generates divine ambience

      Mysore, Dec. 21- Even as this year's Christmas is approaching, the special cultural programme 'Christa Namana' organised by Doordarshan in Nalvadi Krishnaraja Wadiyar Hall, University of Mysore, Manasagangotri here on Sunday, witnessed a divine ambience.

      Amidst the chanting of Tamaso Maa Jyothirgamaya (Let there be light where there is darkness), Unnikrishnan and Dhanalakshmi Unnikrishnan, parents of Sandeep Unnikrishnan, who attained martyrdom in the 26/11 Mumbai terrorist attack, inaugurated the cultural event by lighting the lamp.

    • "We are all Indians. No religion preaches violence. Christmas is the festival that reminds us about the message of peace given by Christ," said Unnikrishnan, after inaugurating the event.

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DeshGujarat.Com » 2,000 Gujarat tribals return to Hinduism in Surat


    • As many as 2,000 tribal people from remote parts of eastern and southern Gujarat tribal belt today reconverted to Hinduism in a function held at Adajan area in Surat on Monday.

      Jagadguru Ramanandacharya Shree Swami Narendracharya Maharaj of Nanij presided over the purification ceremony — a three-hour function. Wearing dhotis and sporting the sacred thread, the converts’ heads were tonsured to signify their rebirth. During the purification ceremony, the converts who felt cheated after going to Christianity apologized to their forefathers for betraying their faith. Converts were purified by Panchagavya and Bhabhuti. The convers were given fresh ‘Vastram’. The affidavits will be made and later registered to complete the formalities

      The entire conversion process was similar to the one when 350 years back Shivaji Maharaj brought Netaji Palkar into Hindu dharma by performing the purification process.

      Shree Narendracharyaji’s website


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Mangalorean.Com- Serving Mangaloreans Around The World!

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    • By Firoz Bakht Ahmed
    • Reservations will not help Muslims.

      Rather they must tell the government to open more schools in their areas than police stations. Instead of fighting over smaller slices of a small pie of the national income, what is needed is the expansion of the national pie which would help everyone to get their rightful and bigger share. The oppressed and the marginalized people need expansion of opportunities rather than favours from the state. 

      As a law abiding Indian Muslim, I feel that words such as reservation, minority, majority be deleted from the Indian Constitution in the context of quotas based on caste or religion.

    • I want the minorities to have an honourable place by having to stop looking at charity in the form of quota and accept the challenge of a competitive life. 

      That some politically motivated scholars are in favour of reservations is shocking in the sense that they want the Indian Muslim community to go in for the begging bowl rather than to compete and make a dent in the field of merit.

      Those advocating Muslims' reservations must note that ostrich mentality is never going to help Muslims. If they accept quotas, whatever merit we see today, too will wane as nobody would like to work hard and compete. They have to perform or perish!

    • Muslims have four major caste divisions, namely - Ashraf at the top (Syed, Sheikh, Mughal and Pathan), Atraj, the second rung (Rajput, Tyagi, Thakur, Jaat etc), Azrab, the third rung (Julahe, Kunjre, Darzi, Mirasi, Qasab, Naiee, Mahigir etc), and Azlab, at the lowest rung (Halalkhor, Chamar, Lalbezi etc). 

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हिंदू महिलाएं मुसलिमों से कम हेल्दी

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    • हिंदू महिलाएं स्वास्थ्य मानकों जैसे कद, वजन, पोषण के मामले में मुसलिम महिलाओं से पीछे हैं. लेकिन, गर्भ निरोधक उपाय अपनाने के मामले में हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन महिलाएं मुसलिम महिलाओं से काफी आगे हैं. धार्मिक व भाषायी अल्पसंख्यकों की स्थिति पर रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट में इन तथ्यों का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट पिछले सप्ताह ही संसद में रखी गयी थी. न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र का मकसद धार्मिक अल्पसंख्यकों के पिछड़ेपन को सामने लाते हुए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में उनके लिए आरक्षण के उपाय सुझाना था.ईसाइयों में सबसे कम शिशु मृत्यु दर रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुओं में शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक 77.1 प्रतिशत है. मुसलिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्धों में यह दर कहीं कम है. मुसलमानों में शिशु मृत्यु दर 58.8, ईसाइयों में 49.2 और सिखों में 53.3 फीसदी है.
    • इसमें कहा गया है कि 49.2 प्रतिशत हिंदू महिलाएं गर्भ निरोध के उपाय करती हैं. जबकि मुसलिम महिलाओं में यह आंकड़ा सिर्फ़ 37 प्रतिशत ही है. 36.2 प्रतिशत हिंदू महिलाएं और 2.1 प्रतिशत हिंदू पुरुष नसबंदी कराते हैं.
    • आयोग के अनुसार, 1991 और 2001 की जनगणना के अनुसार हिंदू आबादी 82.0 फीसदी से घट कर 80.5 प्रतिशत पर आ गयी. मुसलमानों की आबादी 12.1 से बढ़ कर 13.4 प्रतिशत हो गयी.
    • हिंदुओं में 54.91 प्रतिशत और मुसलमानों में 65.31 प्रतिशत बच्चे प्राइमरी स्तर की शिक्षा हासिल करते हैं. लेकिन,हिंदुओं में स्नातक करनेवालों का प्रतिशत 7.01 है, जबकि मुसलमानों में यह प्रतिशत 3.6 रह जाता है.

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VHP launching helpline for Hindu pilgrims

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    Hindu Pilgrims
    • हिंदू श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुविधा मुहैया कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप [^]) एक बहुपयोगी टोल फ्री हेल्पलाइन सेवा शुरू कर रही है। इस टोल फ्री हेल्प लाइन पर देश के कोने-कोने से आने वाले पर्यटक कई सारी सुविधाएं जैसे होटल के कमरे की बुकिंग, रहने का प्रबंध, खान-पान की उचित व्यवस्था एवं सैर सपाटे के लिए वाहनों के साथ-साथ आपातकालीन सुविधा का फायदा उठा सकेंगे।
    • हेल्प लाइन के जरिए लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए वीएचपी ने सभी राज्यों में अस्पतालों, ट्रैवल एजेंसियों, टूर ऑपरेटरों, होटलों, अतिथि गृहों, धर्मशालाओं, ब्लड बैंक केंद्रों सहित अन्य दूसरी एजेंसियों के साथ हाथ मिलाया है।
    • आपातकालीन स्थिति में किसी भी श्रद्धालु या पर्यटक को हमारी इस टोल फ्री हेल्प लाइन पर संपर्क करना होगा। कुछ ही देर में वीएचपी के कार्यकर्ता वहां चिकित्सक दल के साथ पहुंचकर उपचार कराएंगे। जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती भी कराया जाएगा।

      हेल्प लाइन की उपयोगिता के बारे में बताते हुए सिंह ने कहा कि इस हेल्प लाइन से विभिन्न धार्मिक या पर्यटन स्थलों पर होटल मालिकों, टूर ऑपरेटरों और टैक्सी चालकों की ठगी पर लगाम लगेगी, जो नए लोगों से निर्धारित से ज्यादा पैसे ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि श्रद्धालु व पर्यटक इस हेल्प लाइन के जरिए उचित मूल्य पर होटलों में कमरों की बुकिंग, खाने का प्रबंध, सैर सपाटे के लिए वाहन जैसी सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।

      इस हेल्प लाइन की शुरुआत विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल 14 जनवरी 2010 को हरिद्वार में शुरू हो रहे महाकुंभ के पहले दिन करेंगे।

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ज्योतिष जगत: स्वस्तिक से करें वास्तुदोष दूर

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    • वास्तु दोष को दूर करने के लिए बनाया गया स्वस्तिक 6 इंच से कम नहीं होना चाहिए। घर के मुख्य़ द्वार के दोनों ओर जमीन से 4 से 5 फुट ऊपर सिंदूर से यह स्वस्तिक बनाऐं। घर में जहां भी वास्तु दोष है और उसे दूर करना संभव न हो तो वहां पर भी इस तरह का स्वस्तिक बना दें।

      जिस भी दिशा की शांति करानी हो उस दिशा में 6"x6" का तांबे का स्वस्तिक यंत्र पूजन कर लगा देना चाहिए। इस यंत्र के साथ उस दिशा स्वामी का रत्न भी यंत्र के साथ लगा दें। नींव पूजन के समय भी इस तरह के यंत्र आठों दिशाओं व ब्रह्म स्थान पर दिशा स्वामियों के रत्न के साथ लगा कर गृहस्वामी के हाथ के बराबर गड्ढा खोद कर, चावल बिछा कर, दबा देना चाहिए। पृथ्वी में इन अभिमंत्रित रत्न जड़े स्वस्तिक यंत्र की स्थापना से इनका प्रभाव काफी बड़े क्षेत्र पर होने लगता है।

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ज्योतिष जगत: धार्मिक व मांगलिक चिन्हों का वैज्ञानिक अर्थ

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    • भारतीय स्वस्तिक - 1,00,0000 बोविस। यदि इसे उल्टा बना दिया जाए तो यह प्रतिकूल ऊर्जा को इसी अनुपात में बढ़ाता है।इसी स्वस्तिक को थोड़ा टेड़ा बना देने पर इसकी ऊर्जा मात्र 1,000 बोविस रह जाती है। ऊँ के ऊर्जा क्षेत्र में 70,000 बोविस की ऊर्जा होती है। वहीं चर्च के क्रास में 11,000 बोविस ऊर्जा होती है। चर्च में बजने वाली घंटियों में भी 11,000 बोविस की ऊर्जा होती है।

      मस्जिद में औसतन 12,000 बोविस की ऊर्जा होती है। तिब्बत के मंदिरों में ऊर्जा का स्तर 14,000 बोविस रहता है। बुद्ध के स्तूप में 12,000 बोविस ऊर्जा मापी गई है। तिब्बत वासियों की पूजा के समय घुमाया जाने वाला चक्र 12,000 से 14,000 बोविस ऊर्जा का निर्माण करता है।
    • तो अब आप जान ही गए होंगे की घर में प्रयुक्त होने वाले मांगलिक चिंह केवल सजावट के लिए ही नहीं होते बल्कि इनके पीछे भारतीय ज्ञान की गंगा बहाते ऋषी-मुनियों का आर्शिवाद छुपा है। जिन्होंने प्राचीन काल में कड़ी मेहनत के बाद आज के मानव को सुखी जीवन के सूत्र बिना किसी लालच के सरलता से सुलभ करा दिए हैं। उन विद्वानों को सादर प्राणाम करें और उनके द्वारा आपके भले के लिए की गई उनकी रिसर्च का लाभ उठाऐं।

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ज्योतिष की सार्थकता : भारतीय संस्कृ्ति का महान प्रतीक चिन्ह-----स्वस्तिक(a symbol of life and preservation )

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    • प्राचीन काल में राजा महाराज द्वारा किलों का निर्माण स्वस्तिक के आकार में किया जाता रहा है ताकि किले की सुरक्षा अभेद्य बनी रहे। प्राचीन पारम्परिक तरीके से निर्मित किलों में शत्रु द्वारा एक द्वार पर ही सफलता अर्जित करने के पश्चात सेना द्वारा किले में प्रवेश कर उसके अधिकाँश भाग अथवा सम्पूर्ण किले पर अधिकार करने के बाद नर संहार होता रहा है । परन्तु स्वस्तिक नुमा द्वारों के निर्माण के कारण शत्रु सेना को एक द्वार पर यदि सफलता मिल भी जाती थी तो बाकी के तीनों द्वार सुरक्षित रहते थे । ऎसी मजबूत एवं दूरगामी व्यवस्थाओं के कारण शत्रु के लिए किले के सभी भागों को एक साथ जीतना संभव नहीं होता था । यहाँ स्वस्तिक किला/दुर्ग निर्माण के परिपेक्ष्य में "सु वास्तु" था ।
    • मृत मानव शरीर का बोविस शून्य माना गया है और मानव में औसत ऊर्जा क्षेत्र 6,500 बोविस पाया गया है। स्वस्तिक में इस उर्जा का स्तर  1,00,0000 बोविस है। यदि इसे उल्टा बना दिया जाए तो यह प्रतिकूल ऊर्जा को इसी अनुपात में बढ़ाता है। इसी स्वस्तिक को थोड़ा टेड़ा बना देने पर इसकी ऊर्जा मात्र 1,000 बोविस रह जाती है।

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A Story on the Anniversary of 26/11

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    • I’ll tell you a story from the Mahabharata. Feel free to draw your own conclusions.

      The setting for the story is when Duryodhana’s jealousy against the Pandavas, his cousins, begins to reach unmanageable proportions. The Pandavas, as young princes have secured a worshipful place in the hearts of the subjects and are praised by everybody and Yudhishtira’s place as the future king is assured.

      In a bid to pacify Duryodhana, Shakuni, his maternal uncle, invites a political strategist and advisor from Gandhara to deliver a sermon to Duryodhana. The advisor tells Duryodhana a story.

    • The advisor concluded the story with a footnote that summed up its essence. He told Duryodhana that it was legitimate to use any and every means to vanquish the enemy. This story is a classic instance of effectively using Bheda (strategy, cunning, deceit) and Danda (punishment, war), in the parlance of statecraft.

      This story set the stage for Dhritrashtra, Duryodhana’s father, to initiate the murder of the Pandavas by sending them to the Lakshagriha (the Palace made of Wax) and then burning them alive.


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Most Loathsome People of India 2009

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    • Presenting the Most Loathsome People of India circa 2009. Truth be told, the folks who made it this year fiercely vied with each other in loathsomeness and except in very few cases, it was hard to award a rightful place to those who made to the list.
    • Vishnu Som:
    • Vir Sanghvi:
    • USCIRF:
    • Mahesh Bhatt:
    • Nisha Susan:
    • Y S Rajashekhara Reddy:
    • Kancha Ilaiah:
    • Wendy Doniger:
    • Sudheendra Kulkarni:
    • Burkha Dutt:

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Tarun Vijay: Shiva in the grand Avalokiteshwara temple in Bangkok


    • Shiva in the grand Avalokiteshwara temple in Bangkok

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Tarun Vijay: थाईलैंड में शिवभक्त बौद्ध भिक्षु

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    • तरुण विजय
    • गत सप्ताह उनकी चालीस वर्षीया साधना के परिणामस्वरूप एक बहुमंजिले पगोड़ा की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न हुआ, जिसमें शाही राजकुमारी ने भाग लिया। इन पगोड़ा में दस हजार बुद्ध प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। मुख्य प्रतिमा देवी दुर्गा के सहस्त्र हाथों वाली है, जिसे अवलोकितेश्वर का उमा रूप माना जाता है। उसकी यहां पूजा होती है और बौद्ध मंत्रों में भी उमा देवी के नाम का जाप किया जाता है। इस पगोड़ा की इक्कीस मंजिलें हैं और प्रत्येक मंजिल पर विश्वभर से लाए गए बुद्ध, गणेश, शिव, लक्ष्मी, काली, दुर्गा आदि देवताओं की सुंदर कलात्मक शिल्पकृतियां रखी गई हैं।
    • थाई माताजी की साधना के कारण थाईलैंड में हिंदू तथा बौद्ध समन्वय का असाधारण अभूतपूर्व अध्याय रचा गया है जिससे भारत को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और जो लोग धर्म के नाम पर हिंदू-बौद्ध समन्वय तोड़ने का प्रयास करते हैं उनको इन महान थाई माताजी के करुणामय तथा सर्व समन्वयवादी दृष्टिकोण से शिक्षा लेनी चाहिए।

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|| Satyameva Jayate || » Dear Vir, This is why Buddhism declined in India…

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    • Sh Sanghvi’s second point was that, as a consequence of such destruction (which we now know is not supported by historical records) Buddhism declined in India – that land of its birth.

      Let us start by what Dr B R Ambedkar had to say on the decline of Buddhism in India:

      “..There can be no doubt that the fall of Buddhism in India was due to the invasions of the Musalmans…Islam came out as the enemy of the ‘But’. The word ‘But,’ as everybody knows, is an Arabic word and means an idol. Not many people, however, know that the derivation of the word ‘But’ is the Arabic corruption of Buddha. Thus the origin of the word indicates that in the Moslem mind idol worship had come to be identified with the Religion of the Buddha. To the Muslims, they were one and the same thing. The mission to break the idols thus became the mission to destroy Buddhism. Islam destroyed Buddhism not only in India but wherever it went. Before Islam came into being Buddhism was the religion of Bactria, Parthia, Afghanistan, Gandhar and Chinese Turkestan, as it was of the whole of Asia….”

    Bamiyan Buddha
    • Writing in “The Historical Interaction between the Buddhist and Islamic Cultures before the Mongol Empire”, Alexander Berzin notes that :
    • The Hindus and Jains had no universities or large monasteries. Their monks lived alone or in small groups in remote regions, studying and meditating privately, with no community rituals or ceremonies. Since they posed no threat, it was not worth the invaders’ time or efforts to destroy them. They damaged only the Hindu and Jain temples found in the major cities for laypeople. The Buddhists, on the other hand, had large, imposing monastic universities, surrounded by high walls and fortified by the local kings. Their razing clearly had military significance.
    • When Hinduism identified Buddha as a manifestation of its supreme god Vishnu, the Buddhists did not object. In fact, throughout northern India, Kashmir, and Nepal, Buddhism was already mixed with many elements of devotional Hinduism. Therefore, when the major monasteries were destroyed, most Buddhists were easily absorbed into Hinduism. They could still focus their devotion on Buddha and be considered good Hindus. Hinduism and Jainism, on the other hand, were more oriented to laypeople’s practice in the home and did not require monastic institutions.
    • Furthermore, Hindus and Jains were useful to the Muslim conquerors. The Hindus had a warrior caste that could be conscripted into service, while the Jains were the major local merchants and sources of tax. The Buddhists, on the other hand, did not have a distinguishing occupation or service as a people as a whole. They no longer played a role in interregional trade as they had centuries earlier when Buddhist monasteries dotted the Silk Route. Therefore, whatever efforts there were for conversion to Islam were directed primarily toward them.
    • May Tathagata show you the way.

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|| Satyameva Jayate || Dear Vir, Leave these kids alone…


      • In the remark I have cited above, Sh Sanghvi makes two distinct points:

        1. Hindu kings destroyed Buddhist monasteries (as a consequence)
        2. …throwing Buddhism out of India (more or less)

        I will address the first point in this post and the next point in the concluding part. So let’s examine the basis for asserting that “Hindu kings” destroyed Buddhist monasteries.

    • The Buddhism of Magadha was finally swept away by the Muhammadan invasion under Bakhtiyar Khilji, In 1197 the capital, Bihar, was seized by a small party of two hundred horsemen, who rushed the postern gate, and sacked the town.

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|| Satyameva Jayate || » Blog Archive » Nightmare at Noon* – Water Wars


    • Prof Chellaney’s concluding sentence should have been enough to shake us out of our stupor:

      The mega-rerouting (of Tibetan waters northwards) would constitute the declaration of a water war on lower-riparian India and Bangladesh.

    • A shortage of water in the Ganges has already affected the lives of millions of people in Bangladesh and has driven them to illegally migrate to India. This migration has resulted in a marked demographic change in India’s Northeastern states (especially Assam) and has been the cause of several social and cultural conflicts in the region. If Bangladesh faces a shortage of water in the Brahmaputra due to China’s upstream diversion plans, this migration will likely increase to dangerous levels and threaten the lives of thousands in Assam and other states.
    brahmaputra
    • While one is not advocating India’s lebensraum or hostilities with China, one should be aware that China controls the headwaters of many Indian rivers that originate in the Tibetan plateau. India is already facing acute water shortages. China has already anticipated its future water problems by damming the headwaters of the Sutlej and Brahmaputra. While the ‘thirsty’ provinces of Xingjian and Gansu will undoubtedly benefit by China’s plans to divert the waters of the Brahmaputra, India needs to wake up well before our rivers begin drying up.
    • So what does our Government do?

      Nothing. It just “watches”


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Gujarat shows the way « Indian Realist

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    • This is a very good move. The gang mentality of Christians and Muslims ensures they vote as a single block. These people are under the influence of church and ulemas. I know about the messages that bishops and imams circulate a day before the elections, ordering their captive believers to vote for Congress. I have seen trucks and buses full of Muslims leave the ghettos for election booths.

      On the other hand, Hindus sit at home, watch TV and munch potato chips. This voluntary dis-enfrachisement harms them immensely as desert religions begin to set the national agenda and men of straw like Mulayam Singh, Paswan, Laloo, Congress courtiers, all crawl before Muslims and Xians for votes, offering them job reservations and pilgrimage subsidies.

      This move of Modi government will ensure Hindus get off their haunches, stand in the queue and vote. This is when their majority will begin to tell on the election results. Three cheers!!


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