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ज्योतिष जगत: धार्मिक व मांगलिक चिन्हों का वैज्ञानिक अर्थ
- भारतीय स्वस्तिक - 1,00,0000 बोविस। यदि इसे उल्टा बना दिया जाए तो यह प्रतिकूल ऊर्जा को इसी अनुपात में बढ़ाता है।इसी स्वस्तिक को थोड़ा टेड़ा बना देने पर इसकी ऊर्जा मात्र 1,000 बोविस रह जाती है। ऊँ के ऊर्जा क्षेत्र में 70,000 बोविस की ऊर्जा होती है। वहीं चर्च के क्रास में 11,000 बोविस ऊर्जा होती है। चर्च में बजने वाली घंटियों में भी 11,000 बोविस की ऊर्जा होती है।
मस्जिद में औसतन 12,000 बोविस की ऊर्जा होती है। तिब्बत के मंदिरों में ऊर्जा का स्तर 14,000 बोविस रहता है। बुद्ध के स्तूप में 12,000 बोविस ऊर्जा मापी गई है। तिब्बत वासियों की पूजा के समय घुमाया जाने वाला चक्र 12,000 से 14,000 बोविस ऊर्जा का निर्माण करता है।
- तो अब आप जान ही गए होंगे की घर में प्रयुक्त होने वाले मांगलिक चिंह केवल सजावट के लिए ही नहीं होते बल्कि इनके पीछे भारतीय ज्ञान की गंगा बहाते ऋषी-मुनियों का आर्शिवाद छुपा है। जिन्होंने प्राचीन काल में कड़ी मेहनत के बाद आज के मानव को सुखी जीवन के सूत्र बिना किसी लालच के सरलता से सुलभ करा दिए हैं। उन विद्वानों को सादर प्राणाम करें और उनके द्वारा आपके भले के लिए की गई उनकी रिसर्च का लाभ उठाऐं।
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