Friday, October 9, 2009

हिंदुत्व के लिए काम करें राहुल व वरूण: शंकराचार्य :: सहारा समय

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    • कानपुर
    • जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने आज कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भाजपा नेता वरूण गांधी को मिलकर देश हित में हिन्दुत्व के लिये काम करना चाहिये और हिन्दू समाज को संगठित करना चाहिये ।
    • उन्होंने कहा कि देश का भविष्य इन युवाओं के हाथों में ही है । यह बेहतर होगा कि राहुल और वरूण को मिल कर देश हित में हिन्दू समाज को संगठित करने की दिशा में काम करें । हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उनका निजी विचार है ।

Slow poison of conversion in Tuticorin, Tamil Nadu - Conversions | hindujagruti.org

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    • Tuticorin (Tamil Nadu):
    Hindu villagers protesting against plan to build new Church on illegal land
    • Hindu villagers protesting against plan to build new Church on illegal land
    • A Christian Missionary with its magical words (cheating words) canvassed two families in the village and converted them as Christians. With a piece of land captured illegally and by cheating the said christian missionary is trying to build a church. All the other 500 families in that village and also the nearby villages are traditionally and hereditically Hindus. They are living without any quarrel and without any differences. But that Christian Missionary wants to create problem and chaos also planning to gain through this cheaper ways. The procession was obstructed by the local police and after among them some 5 important members of the village met the Revenue Officer Mr.Ravichandran at the District Collectorate and submit their petition.

Heart rending Love Jihad statistics from God's own country - Conversions | hindujagruti.org

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    • Based on the statistics of the Crime Record Bureau of Kerala Police, Kochi's National University of Advanced Legal Studies carried out a study in which it was found that the number of girls missing from Kerala was 2167 in 2007 and 2530 in 2008. The police or other investigative agencies have no information regarding nearly 600 out of these girls. The actual number may be much more taking into consideration the fact that these are the statistics of only the cases that have been registered.
    • The statistics of the Jihadi conversions in Kerala since 2006 are shocking. The number of those converted in this way was 2876. Cases were registered in only 705 of such incidents. Kasargod tops the list of Jihadi conversions with a figure of 568. Only 123 incidents have been registered with the police.
    • Sr.No. Districts Incidents Cases Registered Rescued 1 Thiruvananthapuram 216 26 6 2 Kollam 98 34 7 3 Alappuzha 78 22 6 4 Pathanamthitta 87 36 11 5 Idukki 156 18 9 6 Kottayam 116 46 13 7 Ernakulam 228 52 26 8 Thrissur 102 41 19 9 Palakkad 111 19 9 10 Malappuram 412 88 31 11 Kozhikode 364 92 29 12 Kannur 312 106 27 13 Kasargode 586 123 68

  • Sr.No.
    Districts
    Incidents
    Cases Registered
    Rescued
    1
    Thiruvananthapuram
    216
    26
    6
    2
    Kollam
    98
    34
    7
    3
    Alappuzha
    78
    22
    6
    4
    Pathanamthitta
    87
    36
    11
    5
    Idukki
    156
    18
    9
    6
    Kottayam
    116
    46
    13
    7
    Ernakulam
    228
    52
    26
    8
    Thrissur
    102
    41
    19
    9
    Palakkad
    111
    19
    9
    10
    Malappuram
    412
    88
    31
    11
    Kozhikode
    364
    92
    29
    12
    Kannur
    312
    106
    27
    13
    Kasargode
    586
    123
    68

  • Source: Janmabhumi Newspaper (Translated)

अयोध्या फिर बनने लगी भगवा ब्रिगेड का मुख्यालय

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    • पांच साल बाद रामबारात, बीस साल बाद शिलापूजन, और न जाने कितने साल बाद शीर्ष सन्तों का ऐसा जमावड़ा। कोई खुलकर नहीं कहता, लेकिन अयोध्या में अरसे बाद विश्व हिन्दू परिषद की गतिविधियों में इजाफा खुद-ब-खुद बहुत कुछ कह रहा है। कयास लगाये जा रहे हैं कि हिन्दी बेल्ट में भाजपा को विश्वसनीयता के संकट से उबारने का कोई और उपाय कामयाब न होते देख संघ परिवार दुबारा उसी 'राम मन्दिर' की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है, जिसने पिछले दशक में संघ के स्वयंसेवकों को 'दिल्ली' और 'लखनऊ' के सत्ता सिंहासनों तक पहुंचाया था।
    • अयोध्या में सरगर्मी की शुरुआत 21 अक्टूबर को ही हो जाएगी, जब संघ परिवार द्वारा आयोजित विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा वहां पहुंचेगी। चार से सात नवंबर तक विहिप खेमे के सन्त हंसदास महाराज [हरिद्वार] अपने गुरुदेव की पुण्यतिथि पर वहां विराट सन्त सम्मेलन आयोजित करेंगे। इस सम्मेलन में शंकराचार्यो सहित देश भर के जाने-माने सन्त शामिल होंगे।
    • इसके तुरन्त बाद नौ से ग्यारह नवंबर तक विहिप द्वारा 'शिलापूजन' कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले अयोध्या में नौ नवंबर, 1989 को शिलापूजन व शिलान्यास कार्यक्रम हुए थे।
    • नवंबर में ही अयोध्या में अलग-अलग कार्यक्रमों के सिलसिले में पुरी के शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती, उडपी के माधवाचार्य स्वामी विश्वेषतीर्थ, स्वामी राम भद्राचार्य व कई अन्य शीर्ष सन्त मौजूद रहेंगे। संभावना है कि ये सन्त राम शिलापूजन में भी शामिल होंगे। इसी कड़ी में अयोध्या में पांच साल बाद रामबारात की परंपरा दुबारा शुरू होने जा रही है, जिसमें स्थानीय सन्त बारह नवम्बर को रामबारात लेकर जनकपुरी [नेपाल] के लिए रवाना होंगे। विहिप मंत्री पुरुषोत्तम नारायण सिंह बताते हैं कि अगले साल 14 जनवरी तक पूरा संघ परिवार विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा में जुटा रहेगा। इसके बाद होने वाला हरिद्वार कुंभ कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। श्री सिंह ने बताया कि कुंभ में देश भर के सन्तों की जुटान के बीच चार से छह अप्रैल तक विहिप मार्गदर्शक मंडल की बैठक व सन्त सम्मेलन आयोजित किये जाएंगे, जिनमें अन्य मुद्दों के अलावा सन्तों द्वारा राम मन्दिर निर्माण के बारे में भी कोई महत्वपूर्ण निर्णय किये जाने की संभावना है।

visfot.com । विस्फोट.कॉम - भगवा निशान हिन्दू पहचान एक बार फिर

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    • भारतीय जनता पार्टी की सत्ता यात्रा और विचारधारा पर बहस दोनों एक साथ ही शुरू हुए थे. 1992 से 2009 तक भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न घटक दलों के बीच अनवरत रस्साकसी चली है. इस रस्साकसी के एक छोर पर वे लोग थे जो अच्छे और स्वच्छ प्रशासन को राजनीतिक जरूरत बताते हुए विचारधारा का आग्रह छोड़ने की वकालत कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर विचारधारा के व्यामोह में उलझे भाजपा और संघ के कार्यकर्ता सिर्फ हताशा में ऐसी बहसों से अपने आपको दूर खड़ा पा रहे थे.
    • इस पक्ष में दो तर्क दिये गये. एक तर्क यह था कि भाजपा को उसके हाल पर छोड़कर नये राजनीतिक दल का गठन कर लेना चाहिए. विहिप के नेता अशोक सिंहल इस बात के प्रबल पैरोकार थे कि भाजपा मोह छोड़ देना ही सबसे बेहतर होगा. लेकिन संघ के भीतर एक दूसरा धड़ा था जो यह मानता था कि भाजपा को ही विचारधारा पर दोबारा वापस लाने की कोशिश करनी चाहिए.
    • भाजपा में हिन्दुत्व पर वापस लौट आने की औपचारिक घोषणा तो शायद संविधान में ही की जाएगी लेकिन आडवाणी और आप्टे ने एक ही दो अलग अलग जगहों पर साफ कर दिया कि वापस लौट आने के सिवा अब उनके सामने भी कोई और रास्ता नहीं है. फिर भी, बकौल सरसंघचालक मोहनराव भागवत- "हिन्दुत्व की असली लड़ाई राजनीति के बाहर है." साफ है कि संघ के लिए राजनीतिक सक्रियता सिर्फ हिन्दुत्व की राजनीतिक ईकाई को सुदृढ़ करने से अधिक नहीं हैं. आगे जो होगा उसे वही भाजपा अंजाम देगी िजसने विचारधारा को पूरी तरह से प्रणाम कर लिया था.

सरबजीत की बेटी को हाईकोर्ट की सुरक्षा

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    • चंडीगढ़
    • पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पाकिस्तान जेल में बंद सरबजीत की बेटी स्वप्नदीप कौर को सुरक्षा देने के आदेश दिए हैं। स्वप्नदीप ने याचिका में अपनी बुआ दलबीर कौर से जान को खतरा बताया था।

      याचिका में बताया गया है कि उसने जालंधर निवासी संजय से प्रेम विवाह किया था। जिससे उसकी बुआ खुश नहीं थी। इस पर उन दोनों को जान से मारने की धमकी दी गई थी। स्वप्नदीप ने बताया है कि संजय हिंदू है। जबकि वह सिख है। याचिका में स्वप्नदीप ने खुद की और अपने पति की जान को खतरा बताते हुए कोर्ट से सुरक्षा देने की मांग की थी।

visfot.com । विस्फोट.कॉम - बराक ओबामा को शांति का नोबेल

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    • ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार देने पर खुद स्वीडेन की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों सिव जेन्सेन और एर्ना सोलबर्ग ने विरोध दर्ज कराया है. ओबामा को शांति पुरस्कार देने की घोषणा चौंकानेवाली है क्योंकि राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा ने 10 जनवरी को शपथ ली थी और नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नामिनेशन की आखिरी तारीख 1 फरवरी 2009 को थी. नोबेल शांति पुरस्कारों का चयन करनेवाली टीम ने दो सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय शांति के कौन से प्रयास देख लिए कि उनको नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा कर दी? ओबमा को नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा करनेवाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि "वह ओबामा ही हैं जिन्होने बहुत कम समय में दुनिया को बदलाव की नयी संभावनाओं से रूबरू करवाया है." कमेटी बराक ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार देने का तर्क देते हुए कहती है कि ओबामा की कूटनीति सराहनीय है जो कि नये तरह के विश्व नेतृत्व की आधारशिला रख रही है.
    • नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा पांच सदस्यों की एक कमेटी करती है जिसे नार्वे की पार्लियामेन्ट  नियुक्त करती है. जब नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की गयी थी तो स्वीडेन और नार्वे एक थे. नोबेल पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है.

सृजन: सावधान : शंकराचार्य की अपील - कुरान बांटों और इस्लाम कबुल करो !!!

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    • इस विडियो को लगभग २ लाख २० हज़ार बार देखा गया है | और मेरा अनुमान है की कम से कम ४-५% हिन्दुओं ने (मुस्लिम तो शायद ७०%) इसे सच ही माना होगा | डॉ. जाकिर नायक जैसे लोग इन्ही ४-५% लोगों को इस्लाम काबुल करवाने का टारगेट बनाते हैं | जब ८-१० हज़ार लोग जो ये इस प्रकार के विडियो को सच मान लेते हैं, उसमे से कम से हज़ार दो हज़ार तो इस्लाम काबुल कर ही लेते होंगे | यही तो डॉ. जाकिर और उनके चेलों का उद्देश्य है |
    • ज़ाकिर साहब जवाब देने से हिचकिचा रहे हैं, चलिए मैं ही बता देता हूँ | ये गेरुआ वस्त्र पहना ढोंगी कोई और नहीं बल्कि ज़ाकिर नायक के मदरसे के शंकराचार्य हैं | मदरसे भी अब शंकराचार्य बनाने लगे हैं, ज़ाकिर नायक ने मदरसे मैं क्रांति ला दी है | इस क्रांति पे आप कुछ कहना चाहेंगे?

महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar): डॉक्टर की फ़ीस सिर्फ़ 2 रुपये!!! कभी सुना है? ऐसे लोग हैं,

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    • जी हाँ, कोई गलती नहीं, कोई मिसप्रिंट नहीं, आपने शीर्षक में एकदम सही पढ़ा है, महाराष्ट्र के आदिवासी इलाके मेलघाट में पिछले 24 साल से काम कर रहे, डॉ रवीन्द्र कोल्हे की फ़ीस सिर्फ़ 2 रुपये है (पहली बार) और दूसरी बार में 1 रुपया, और निम्न पंक्ति किसी घटिया नेता की झूठी बात नहीं, बल्कि महात्मा गाँधी और विनोबा भावे के "सच्चे अनुयायी" डॉ रवीन्द्र कोल्हे की हैं, जो सभी से रस्किन बांड का यह वाक्य कहते हैं, कि "यदि आप मानव की सच्ची सेवा करना चाहते हैं तो जाईये और सबसे गरीब और सबसे उपेक्षित लोगों के बीच जाकर काम कीजिये…"।
    • हाल ही में AIMS के डॉक्टरों को तनख्वाह बढ़ाने के लिये मांगें करते, कई राज्यों में चारों तरफ़ डॉक्टरों को हड़ताल करते और निजी डॉक्टरों, नर्सिंग होम्स और 5 सितारा अस्पतालों को मरीजों का खून चूसते देखकर, डॉ कोल्हे का यह समर्पण एक असम्भव सपने सी बात लगती है। लेकिन आज के गंदगी भरे समाज, पैसे के भूखे भ्रष्टाचारी भेड़ियों, महानगर की चकाचौंध में कुत्ते के बिस्किट पर महीने के हजारों रुपये खर्चने वाले और हर साल कार तथा हर महीने मोबाइल बदलने वाले घृणित धनपिपासुओं की चारों ओर फ़ैली सड़ांध के बीच ऐसे लोग ही एक "सुमधुर अगरबत्ती" की तरह जलते हैं और मन में आशा और विश्वास का संचार करते हैं कि "मानवता अभी जिन्दा है…" और हमें संबल मिलता है कि बुराईयाँ कितनी भी हों हमें उनसे अविरत लड़ना है…

      दीपावली के अवसर पर डॉ कोल्हे के त्याग और समर्पण के जरिये, सभी स्नेही पाठकों का अभिवादन और दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं… दिल में उम्मीदों के दीप जलायें…

      डॉ रवीन्द्र कोल्हे से बैरागढ़ में (07226) 202002, धारणी में (07226) 202829 और उनके मोबाइल पर 0-94231-46181 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
      (सभी सन्दर्भ - रेडिफ़.कॉम)

Obama Peace Prize win has Americans asking why?

Obama Peace Prize win has Americans asking why?


By Michelle Nichols

NEW YORK (Reuters) - The award of the Nobel Peace Prize on Friday to U.S. President Barack Obama had many puzzled Americans scratching their heads.

"It would be wonderful if I could think why he won," said Claire Sprague, 82, a retired English professor as she walked her dog in Manhattan's Greenwich Village. "They wanted to give him an honor I guess but I can't think what for."

Itya Silverio, 33, of Brooklyn, was also surprised. "My first opinion is that he got it because he's black," she said. "What did he do that was so great? He hasn't even finished office yet."

When told of Obama's win Robert Schultz, 62, a retired civil servant and Vietnam veteran, asked: "For doing what?

"The guy hasn't solved any conflict anywhere so how can he win the peace prize? But if we don't reelect him the next go around we will all look like idiots because the world has anointed him," said Schultz, who lives in a suburb of Dallas.

"It looks less like an objective award than it does a political endorsement," said William Jelani Cobb, a history professor at Spelman College in Atlanta and author of a forthcoming book on Obama.

"Guantanamo is not closed yet and it makes it difficult for him to increase the number of troops in Afghanistan," he said, referring to the U.S. prison in Cuba where some detainees have been held for years without trial.

"Largely left leaning U.S. leaders have been recent recipients of that award. It will clearly be viewed as political by the right," he said. "It illustrates that the U.S. is still the prevalent power in the world and that the world really is seeking engagement with the United States."

"Sometimes when things like this happen it forces people to view things more positively so hopefully other leaders around the world will take (the talks) a little more seriously and open up more."

Many seemed happy even if they weren't sure why Obama won.

"How wonderful, I think that's fantastic," said David Spierer, 48, from New York who works in medical sales. "I know what he's doing but what has he done? Change is coming but you don't win a Nobel Peace Prize for the future."

"Obama won? Really? Wow," said David Hassan, 43, of Pine Brook, New Jersey. "He deserves it I guess, he's the president. He's a smart guy and I guess he's into peace."

(Additional reporting by John Parry, Ed Stoddard in Dallas, Andrew Stern in Chicago, Matt Bigg in Atlanta and Randall Palmer in Ottawa, editing by Alan Elsner)


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* VivekaJyoti *: Obama Wins Nobel for Peace

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    • IN SURPRISE, OBAMA WINS NOBEL FOR DIPLOMACY
    • Thorbjorn Jagland, the chairman of the Norwegian Nobel Committee and a former prime minister of Norway, said the president had already contributed enough to world diplomacy and international understanding to earn the award.

      “We are not awarding the prize for what may happen in the future, but for what he has done in the previous year,” Mr. Jagland said. “We would hope this will enhance what he is trying to do.”

      The prize comes as Mr. Obama faces considerable challenges at home. On the domestic front, he is trying to press Congress to pass major legislation overhauling the nation’s health care system. On the foreign policy front, he is wrestling with declining support in his own party for the war in Afghanistan. The White House is engaged in an internal debate over whether to send more troops there, as Mr. Obama’s commanding general has requested.

      Mr. Obama also suffered a rejection on the world stage when he traveled to Copenhagen only last Friday to press the United States’ unsuccessful bid to host the Olympics in Chicago. Mr. Emanuel, who heard the news at 5 a.m. when he was heading out for his morning swim, said he joked to his wife, “Oslo beats Copenhagen.”

    • But Mr. Obama’s foreign policy has been criticized bitterly among neoconservatives like former Vice President Dick Cheney, who have suggested his rhetoric is naïve and his inclination to talk to America’s enemies will leave the United States vulnerable to another terrorist attack.

हिंद स्वराज : इटली और हिन्दुस्तान « PRAVAKTA । प्रवक्‍ता

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    • नवभवन द्वारा प्रकाशित महात्‍मा गांधी की महत्‍वपूर्ण पुस्‍तक ‘हिंद स्‍वराज’ का ग्‍यारहवां पाठ
    hind swarajj
    • अंग्रेज गोला बारूद से पूरी तरह लैस हैं इससे मुझे डर नहीं लगता। लेकिन ऐसा तो दीखता है कि उनके हथियारों से उन्हीं के खिलाफ लड़ना हो, तो हिन्दुस्तान को हथियारबन्द करना होगा। अगर ऐसा हो सकता हो, तो इसमें कितने साल लगेंगे? और तमाम हिन्दुस्तानियों को हथियारबन्द करना तो हिन्दुस्तान को यूरोप-सा बनाने जैसा होगा।

      अगर ऐसा हुआ तो आज यूरोप के जो बेहाल हैं वैसे ही हिन्दुस्तान के भी होंगे। थोड़े में, हिन्दुस्तान को यूरोप की सभ्यता अपनानी होगी। ऐसा ही होनेवाला हो तो अच्छी बात यह होगी कि जो अंग्रेज उस सभ्यता में कुशल हैं, उन्हीं को हम यहां रहने दें। उनसे थोड़ा बहुत झगड़ कर कुछ हक हम पायेंगे कुछ नहीं पायेंगे और अपने दिन गुजारेंगे।

      लेकिन बात तो यह है कि हिन्दुस्तान की प्रजा कभी हथियार नहीं उठयेगी। न उठाये यह ठीक ही है।

    • पाठक: आप तो बहुत आगे बढ़ गये। सबके हथियारबंद होने की जरूरत नहीं। हम पहले तो कुछ अंग्रेजों का खून करके आतंक फैलायेंगे। फिर जो थोड़े लोग हथियारंबद होगें, वे खुल्लमखुल्ला लड़ेंगे। उसमें पहले तो बीस पचीस लाख हिन्दुस्तानी जरूर मरेंगे। लेकिन आखिर हम देश को अंग्रेजों से जीत लेंगे। हम गुरीला (डाकुओं जैसी) लड़ाई लड़कर अंग्रेजों को हरा देंगे।

      संपादक: आपका खयाल हिन्दुस्तान की पवित्र भूमि को राक्षसी बनाने का लगता है। अंग्रेजों का खून करके हिन्दुस्तान को छुड़ायेंगे, ऐसा विचार करते हुए आपको त्रास क्यों नहीं होता? खून तो हमें अपना करना चाहिये क्योंकि हम नामर्द बन गये हैं, इसीलिए हम खून का विचार करते हैं। ऐसा करके आप किसे आजाद करेंगे? हिन्दुस्तान की प्रजा ऐसा कभी नहीं चाहती। हम जैसे लोग ही जिन्होंने अधम सभ्यतारूपी भांग पी है, नशे में ऐसा विचार करते हैं। खून करके जो लोग राज करेंगे, वे प्रजा को सुखी नहीं बना सकेंगे।

      धींगरा ने जो खून किया है उससे या जो खून हिन्दुस्तान में हुए हैं उनसे देश को फायदा हुआ है, ऐसा अगर कोई मानता हो तो वह बड़ी भूल करता है। धींगरा को मैं देशाभिमानी मानता हूं, लेकिन उसका देश प्रेम पागलपन से भरा था। उसने अपने शरीर का बलिदान गलत तरीके से दिया। उससे अंत में तो देश को नुकसान ही होनेवाला है।

      पाठक: लेकिन आपको इतना तो कबूल करना होगा कि अंग्रेज इस खून से डर गये हैं, और लार्ड मॉले, ने जो कुछ हमें दिया है वह ऐसे डर से ही दिया है।

      संपादक: अंग्रेज जैसे डरपोक प्रजा है वैसे बहादुर भी है। गोला-बारूद का असर उन पर तुरन्त होता है, ऐसा मैं मानता हूं। संभव है, लार्ड मॉलें ने हमें जो कुछ दिया वह डर से दिया हो लेकिन डर से मिली हुई चीज जब तक डर बना रहता है तभी तक टिक सकती है।

Kirtish Bhatt: कार्टून : क्रिकेट में भी आत्मघाती दस्ता.!!!?????

'Growth in fundamentalism is expected': Rediff.com news

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    • Director General of Kerala [ Images ] Police Jacob Punnoose, who attended this week's three-day conference of directors general and inspectors general of police organised by the Intelligence Bureau in New Delhi [ Images ], speaks to rediff.com's Onkar Singh about the conference and fundamentalism in his state.

       

      What is the point in holding such a meeting?

      This is a bi-annual meeting organised by the Intelligence Bureau. After every speaker expresses his/her opinion, we arrive at a conclusion. Then it is left to the organisers to draw the final outcome of the meeting and present it to the government.

      Has growing fundamentalism in Kerala become a cause of worry for the state police?

      A certain amount of growth in fundamentalism is expected as Kerala is also a part of India.

So who was really responsible for Partition?: Rediff.com news

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    • The condition of Muslims was best stated by a liberal, R M Sayani, in his presidential address at the 12th session of the Congress in 1896: 'Before the advent of the British in India, the Muslims were the rulers of the country. The rulers and their chiefs were Muslims, so were the great landlords and officials. The court language was their own (Persian was the official language of India till 1842)… The Hindus were in awe of them. By a stroke of misfortune, the Muslims had to abdicate their position and descend to the level of their Hindu fellow-countrymen. The Muslims resented the treatment.'

      Sayani argued that when the British introduced English education in the country, the Hindus embraced it, but Muslims resented competing with the Hindus, whom they once regarded as their inferiors. Hence Muslims were gradually ousted from their lands and offices, while Hindus rose under the Raj [History and Culture of Indian People, Bhartiya Vidya Bhawan, Vol. X: 295]

      Sir Syed Ahmad Khan came at a critical juncture in the 1870s, and worked for a political rapprochement with the British. They were swayed in 1857, but a little tact and generous forgiveness could change Muslims into loyal supporters. Sir Syed conceived the idea of a Muslim college like Oxford and Cambridge -- the Muhammadan Anglo-Oriental College at Aligarh. At Meerut, on March 16, 1888, Sir Syed referred to Hindus and Muslims as two nations, in fact as two warring nations who could not lead a common political life if ever the British left India.

    • For the British, Sir Syed's overtures came at a very opportune moment. After two generations of English education, Hindus showed signs of political development. The British seized the opportunity offered by Sir Syed of enlisting the support of the politically undeveloped Muslims as a counterpoise to the progressive Hindu community.

      Differences were accentuated in connection with the legislation for local self-government on an elective basis, and for the first time a demand was made for separate representation for Muslims. Said Muhammad Yusuf on May 3, 1883, "But it would be an advantage and more fit recognition of the claims of the Muslim population if provision could be made in the bill for the election of Muslims by reserving a certain number of membership for that community."

      The divide was visible in the number and frequency of Hindu-Muslim riots thereafter.

    • So when was Pakistan conceived? Dr Ambedkar wrote in 1941, "There is evidence that some of them knew this to be the ultimate destiny of the Muslims as early as 1923. In support of this reference may be made to the evidence of Khan Saheb Sardar M Gulkhan (who was president, Islamic Anjuman, Dera Ismail Khan) who appeared as witness before the NWF Committee to report upon the administrative relationship between the settled area of NWFP and the tribal area and upon the amalgamation of the settled districts with Punjab [ Images ].

      "Many believe the Khilafat Movement (1919), a protest by Indian Muslims against Turkey's abolition of the Caliph, religious leader of the Arab world, to be the first step towards India's Partition. Gandhi spearheaded this movement but failed to realise that the Pan-Islamic idea cut at the very root of Indian nationality. What did the movement achieve?

      "First, Muslim fanaticism secured a position of prestige in Indian politics; thereafter their religious loyalty took precedence over national loyalty. Two, the Muslim population hitherto divided among various groups and political pulls now became a solid force. Three, a new fanatic leadership riding on the crest of the Khilafat wave came to wield the reigns of the Muslim leadership."

      Could the Hindus have avoided Partition? Not if you believe the above-quoted words of Dr Ambedkar. 

    •  

      My conclusion, hence, is that:

      It is a myth that Nehru, Jinnah or Patel were responsible for Partition. They were merely implementing a partition plan scripted in the 19th century.

      Hindus were apprehensive that Muslims wanted to rule India again. Muslims feared that under the principal of one man one vote, it would be a government for and by the Hindus.

      Separate electorates for Muslims, reservations, caste and religion-based divisions are some of the tactics used by the British to divide India

      All those who wish to know the underlying thoughts behind Partition should read Dr B R Ambedkar's book Thoughts on Pakistan back to back. 

      Sanjeev Nayyar is the founder of www.esamskriti.com

      Sanjeev Nayyar

|| Satyameva Jayate || - The most incredible, calculated thing since the Nazis in Poland

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    • Try and guess the time and the place of this account:
    • The column…never ends, day or night. It has been four months since civil war broke out…and the refugees still pour in. No one can count them precisely, but officials (estimate) that they come at the rate of 50,000 a day. Last week the estimated total passed the 7,500,000 mark. Should widespread famine hit…as now seems likely…the number may double before the exodus ends.
    • Says one doctor: “The people are not even crying any more.”

      Perhaps because what they flee from is even worse. Each has his own horror story of rape, murder or other atrocity…One couple tells how soldiers took their two grown sons outside the house, bayoneted them in the stomach and refused to allow anyone to go near the bleeding boys, who died hours later. Another woman says that when the soldiers came to her door, she hid her children in her bed; but seeing them beneath the blanket, the soldiers opened fire, killing two and wounding another. According to one report…50 refugees recently fled into a jute field near the…border when they heard a…army patrol approaching. “Suddenly a six-month-old child in its mother’s lap started crying,” said the report. “Failing to make the child silent and apprehending that the refugees might be attacked, the woman throttled the infant to death.”

      The evidence of the bloodbath is all over…Whole sections of cities lie in ruins from shelling and aerial attacks….naked children and haggard women scavenge the rubble where their homes and shops once stood….a city of 40,000, now looks, as a World Bank team reported, “like the morning after a nuclear attack.”

      …Estimates of the death toll in the army crackdown range from 200,000 all the way up to a million. The lower figure is more widely accepted, but the number may never be known. For one thing, countless corpses have been dumped in rivers, wells and mass graves…

      Feel like reading more?

    • Commented one high U.S. official last week: “It is the most incredible, calculated thing since the days of the Nazis in Poland.”

      From a TIME Magazine report dated August 1971. Read the full report here.

मृत होती गंगा को बचाने में जुटे भारतीय सैनिक | JANOKTI : जनोक्ति :A forum of people's voice : Hindi web portal : Hindi blog

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    • प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है जाहिर है आज नहीं तो कल इस सच से सामना तय है। ऐसे में कोई है जिसने बीड़ा उठाया है भगीरथ बनके भागीरथी को बचाने का। भारतीय सेना की एक टुकड़ी गंगोत्री और गोमुख में जनचेतना फैलाने में जुटी है।
    • सेना की इस टुकड़ी के साथ हमनें भी अपना सफर गंगोत्री से शुरू किया। गंगोत्री की समुद्र तल से ऊंचाई 10 हजार 300 फीट है। लिहाजा यहां हमारा मुकाबला सिहरन पैदा करने वाली सर्द हवा और हाड़ कंपाने वाली ठंड से हुआ। अपना मिशन शुरू करने से पहले सेना की टीम ने गंगोत्री में मां गंगा का आशीर्वाद लिया ।
    • ये बर्फबारी और मौसम का हर वक्त बदलता मिजाज बढ़ते प्रदूषण का ही नतीजा है। गलेशियर के तेजी से टूटने की वजह से भागीरथी पूरी तरह बेकाबू हो चली है। अभी ये सफर खत्म नहीं हुआ है अब हम इस सफर के अगले पड़ाव की तरफ निकल पड़े थे। भयानक सच से सामना होने की बात हमनें भविष्य में सोच रखी थी लेकिन एक-एककर ऐसे सच सामने आने लगे जो खुद में चौंकाने वाले थे। गंगोत्री गलेशियर, भागीरथी पर्वत, शिव पर्वत और रक्तवर्णा पर्वत ये सभी भागीरथी के स्रोत हैं। लेकिन इन पर भी खतरा साफ दिख रहा था। इनका वजूद पूरी तरह तबाही की तरफ बढ़ रहा है। ज़मीन धंसने की घटनायें यहां आम दिनों की बात हो चली है। जहां हर वक्त बर्फ की चादरें चट्टानों से ज्यादा मजबूत होती थीं वहां अब हर जगह दरारें दूर से ही देखी जा सकती हैं। ये दरारें एक दिन या एक पल की देन नहीं हैं और ये कोई मामूली बात भी नहीं है बल्कि ये पूरी दुनिया के लिये खतरे का सिग्नल है। जी हां गलेशियर लगातार पिघलकर अपनी जगह से हटते जा रहे हैं। जंहा आज ग्लेशियर का मुहाना है साल भर बाद वो वहां नहीं होगा। बर्फ की चट्टानों में ये दरारें भी हर रोज बढ़ती जा रही हैं।
    • ये तो मिशन की शुरूआत है सेना को तो अभी और आगे जाना है सेना की इस टुकडी की मंजिल है सतोपंथ पर्वत है। जहां पहुंचकर सेना के ये जवान तिरंगा फहरायेंगे और दुनिया को बतायेंगे कि भारतीय सेना के जवान पर्यावरण की हिफाजत के लिये जान का खतरा उठाते हैं। 4 गढ़वाल राइफल्स के कमांडिग ऑफिसर कर्नल अजय कोठियाल ने हमें बताया कि सतोपंथ पर्वत पर पंहुचकर सेना के जवान वहां छोड़ी गये कूड़े को इकट्ठा करके वापस लायेंगे। इस टुकड़ी के लिये मंजिल पर पहुंचने का मकसद और भी खास है क्योंकि इस साल 4 गढ़वाल राइफल्स की बटालियन पचास साल की हो रही है।

Flood Relief by RSS | Sangh Parivar

visfot.com । विस्फोट.कॉम - चंबल के उल्लुओं पर तस्करों की नजर

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    • जैसे जैसे दीपावली नजदीक आ रही है तंत्र साधनाओं का जोर बढ़ रहा है. दीपावली के मौके पर होनेवाली तंत्र साधनाओं में उल्लूओं की बलि दी जाती है. उल्लूओं की इस बलि प्रथा के कारण चंबल के उल्लूओं पर संकट के बादल गहराने लगे हैं. दीपावली के बहुत पहले से तस्कर उल्लुओं की तलाश में चंबल का चक्कर लगा रहे हैं. राजस्थान, मघ्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के 635 वर्ग किलो मीटर दायरे में फैली केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी परियोजना को पलीता लग रहा हैं.

Hinduism Today Magazine - Hindu Press International » Tumpek Wariga: Interacting with Tree Devas

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    • In a colorful festival, Balinese hindus celebrate the birthday of the trees. This holiday is called Tumpek Wariga or Tumpek Pengarah. Through the celebration, the Balinese express their gratitude to the trees. This holiday serves as a remainder of the importance of trees for life.

      As part of the celebration the Mepengarah ritual is performed to give instructions to the trees. The ritual is conducted right after the ceremony to honor the deva of the tree is finished. Balinese will tap the tree three times to wake it up and say: “Grandpa-grandpa, I have an instruction, it is 25 days left for Galungan day, produce a lot of fruit, a lot of fruit, a lot of fruit!”

      In this ritual Balinese inform the trees that the local Galungan holiday will soon arrive and to celebrate the Galungan holiday many fruits and rice will be needed. Offerings are made to God and ancestors on this holiday.
    • BALI, INDONESIA

ULTRACURRENTS: ** Racial Profiling: Good & Bad

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    • Racial profiling has two sides to it - bright and dark. Peoples" outcry that Prof. Gates" arrest smacked of the dark side of racial profiling is difficult to substantiate in the context of what happened. Would we call it dark, if the professor were white?

      What is exactly racial profiling? Wikipedia defines it as a method that uses racial or ethnic characteristics of a person to determine whether he or she is likely to commit a crime or an illegal act. It is in a way an extension of statistical inference, which, by the way, is as good as the data collected. Granting that the data are good and the statistical analysis of the data indicates that within a confidence level a terrorist is likely to be an Islamic fundamentalist, then it pays to use an adequate sample size to thoroughly security check the travelers from Islamic nations to identify probable terrorists. Bear in mind that a 100% check on all passengers is costly and time consuming and if enforced the planes would never leave or arrive on time.
    • Arab countries profile foreign workers on a regular basis in order to perpetrate false accusations in the name of undocumented labor.
    • I realized then and there the importance of racial profiling. I would rather go through the tedious screening than let the plane take off without it. Mental peace of passengers outweighs the bitter inconvenience that a few of us suffer as a result of profiling.

      The experience taught me a valuable lesson "The good of all must prevail over the comfort of a few."

visfot.com । विस्फोट.कॉम - बाढ़ की विभीषिका में भी प्रधानमंत्री दौरे का भेदभाव

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    • बाढ़ की विभीषिका आंध्र से अधिक कर्नाटक में पसरी है लेकिन इसके पहले यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी 5 अक्टूबर को अपना दौरा करने के लिए आंध्र प्रदेश को ही अपना बेस बनाया था. अब प्रधानमंत्री भी अपने दौरे में कर्नाटक को कोई खास महत्व नहीं दे रहे हैं. एक ओर जहां वे आंध्र में हवाई सर्वेक्षण के अलावा राजभवन में राज्यापाल की उपस्थिति में पूरी स्थिति का जायजा ले रहे हैं और राहत कार्य की समीक्षा करने जा रहे हैं इसके उलट कर्नाटक के लिए उनका ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है. प्रधानमंत्री के हिस्से में केवल प्रधानमंत्री द्वारा केवल हवाई सर्वेक्षण ही आ रहा है.
    • कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि बाढ़ से उबरने में केन्द्र सरकार उनकी पूरी सहायता नहीं कर रहा है. बुधवार को जब पहली भोजन सहायता राशि की घोषणा की गयी तो कर्नाटक को महज 52.26 करोड़ रुपये दिये गये जबकि आंध्र प्रदेश को 156.84 करोड़ रुपये की राशि जारी की गयी. इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए मुख्यमंत्री येदुरप्पा ने राष्ट्रपति से अपील किया था कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और कर्नाटक को बाढ़ की विभिषिका से निपटने के िलए पर्याप्त फण्ड जारी करवाने में सहयोग दें.

Suspected rebels bomb power transmission in S. Philippines | Faith Freedom International

Seminary rectors to tackle Hindu fundamentalism - General | hindujagruti.org

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    • Ranchi (Jharkhand):
    • The Association of Rectors of Major Seminaries of India (ARMS) plans to tackle the problem of Hindu fundamentalism that its says is the biggest threat to the Church and India as a whole.

      Father Joseph Prasad Pinto, ARMS' newly elected president and rector of Ranchi's St. Albert's College, told UCA News the rectors wanted to find a solution to growing sectarianism and attacks on religious minority groups, including Catholic priests working in remote areas in the country.
    • Their Sept. 25-28 meeting in Ranchi, eastern India, had as its theme: "Formation for Mission in Today's Context."
    • A statement from the meeting noted the rise of Hindu radicalism as "the most potent threat to the Church and society in India." It also said Hindu fundamentalism had attracted "fringe fascist elements" that use various "manipulative" and "insidious" ways to spread their ideology.
    • The rectors said the Hindu fundamentalists' sole aim is to establish a Hindu nation that allows tribal and dalit people (former "untouchables" in the Indian caste system) and religious communities to exist only as second-class citizens "subservient to the upper castes."
    • The rectors want seminarians to study the way Hindu radicals spread propaganda that projects their target groups as villains. Their statement noted that these radicals influence the media, infiltrate the bureaucracy, police and judiciary, and introduce their ideology to the education system.
    • The rectors said they would encourage their students to develop a spirituality that could deal with sectarian politics, study the phenomenon of Hindu fundamentalism, work for human rights and use the media in the fight against sectarianism.