Friday, October 9, 2009

मृत होती गंगा को बचाने में जुटे भारतीय सैनिक | JANOKTI : जनोक्ति :A forum of people's voice : Hindi web portal : Hindi blog

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    • प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है जाहिर है आज नहीं तो कल इस सच से सामना तय है। ऐसे में कोई है जिसने बीड़ा उठाया है भगीरथ बनके भागीरथी को बचाने का। भारतीय सेना की एक टुकड़ी गंगोत्री और गोमुख में जनचेतना फैलाने में जुटी है।
    • सेना की इस टुकड़ी के साथ हमनें भी अपना सफर गंगोत्री से शुरू किया। गंगोत्री की समुद्र तल से ऊंचाई 10 हजार 300 फीट है। लिहाजा यहां हमारा मुकाबला सिहरन पैदा करने वाली सर्द हवा और हाड़ कंपाने वाली ठंड से हुआ। अपना मिशन शुरू करने से पहले सेना की टीम ने गंगोत्री में मां गंगा का आशीर्वाद लिया ।
    • ये बर्फबारी और मौसम का हर वक्त बदलता मिजाज बढ़ते प्रदूषण का ही नतीजा है। गलेशियर के तेजी से टूटने की वजह से भागीरथी पूरी तरह बेकाबू हो चली है। अभी ये सफर खत्म नहीं हुआ है अब हम इस सफर के अगले पड़ाव की तरफ निकल पड़े थे। भयानक सच से सामना होने की बात हमनें भविष्य में सोच रखी थी लेकिन एक-एककर ऐसे सच सामने आने लगे जो खुद में चौंकाने वाले थे। गंगोत्री गलेशियर, भागीरथी पर्वत, शिव पर्वत और रक्तवर्णा पर्वत ये सभी भागीरथी के स्रोत हैं। लेकिन इन पर भी खतरा साफ दिख रहा था। इनका वजूद पूरी तरह तबाही की तरफ बढ़ रहा है। ज़मीन धंसने की घटनायें यहां आम दिनों की बात हो चली है। जहां हर वक्त बर्फ की चादरें चट्टानों से ज्यादा मजबूत होती थीं वहां अब हर जगह दरारें दूर से ही देखी जा सकती हैं। ये दरारें एक दिन या एक पल की देन नहीं हैं और ये कोई मामूली बात भी नहीं है बल्कि ये पूरी दुनिया के लिये खतरे का सिग्नल है। जी हां गलेशियर लगातार पिघलकर अपनी जगह से हटते जा रहे हैं। जंहा आज ग्लेशियर का मुहाना है साल भर बाद वो वहां नहीं होगा। बर्फ की चट्टानों में ये दरारें भी हर रोज बढ़ती जा रही हैं।
    • ये तो मिशन की शुरूआत है सेना को तो अभी और आगे जाना है सेना की इस टुकडी की मंजिल है सतोपंथ पर्वत है। जहां पहुंचकर सेना के ये जवान तिरंगा फहरायेंगे और दुनिया को बतायेंगे कि भारतीय सेना के जवान पर्यावरण की हिफाजत के लिये जान का खतरा उठाते हैं। 4 गढ़वाल राइफल्स के कमांडिग ऑफिसर कर्नल अजय कोठियाल ने हमें बताया कि सतोपंथ पर्वत पर पंहुचकर सेना के जवान वहां छोड़ी गये कूड़े को इकट्ठा करके वापस लायेंगे। इस टुकड़ी के लिये मंजिल पर पहुंचने का मकसद और भी खास है क्योंकि इस साल 4 गढ़वाल राइफल्स की बटालियन पचास साल की हो रही है।