Wednesday, September 9, 2009

बरातीलाल की आवाज से होती है सहरी :: प्रेसनोट डाट इन | आपकी भाषा आपकी खबरें

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    • रोजेदारों को सहरी के लिए जगाने का यह नेक काम कोई म� �सलिम पीर फकीर नहीं बल्कि एक हिन्दू कर रहा है।54 वर्षीय बाराती लाल गुप्ता पिछले 22 सालों से रमजान में क्षेत्र के 15 हजार मुसलमानों को सहरी में समय जगाकर हिन्दू मुसलिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं। धनाड्य परिवार में जन्मे और विद्युत भंडार में सीनियर क्लर्क पद पर कार्यरत बाराती लाल ने 1987 से मुसलमानों की मदद के भाव से उन्हें सहरी के समय जगाना शुरू किया। ईश्वर द्वारा बख्शी बुलंद आवाज की बदौलत चंद सालों में मुसलिम बंधुओं को इन्होंने अपना बना लिया।
    • काफी सालों तक सहरी के वक्त अंधेरा होने के कारण लोग इससे अंजान थे कि उन्हें सहरी में जगाने वाला बाबा कौन है। जब राज खुला तो ईश्वर के इस नेक बंदे के जज्बे को अल्लाह के नुमाइंदों ने भी सलाम किया। हर रमजान की तरह इस बार भी बाराती लाल सुबह पौने तीन बजे उठकर अलीगंज समेत डंडइया बाजार के आसपास के पाण्डेय टोला, मेंहदी टोला, पुरानी चुंगी, चौधरी टोला, सेक्टर जी, तैतारपुर के लोगों को सहरी करवाने के लिए निकलते हैं। लगभग चार किमी के क्षेत्र में सहरी के समय डेढ घंटे तक तेज कदमों से चलते हुए रोजेदारों के घर के दरवाजे खटखटाते हुए उन्हें जगाते हैं। इस दौरान वह लोगों को नाद सुनाते हैं, और इमाम के कहने पर कई बार मसजिद में लोगों को नियत करवाते हैं। दोहे, चौपइयां भी गाते हैं, जहां बाराती लाल के गाए नाद ने उन्हें मुसलिम संप्रदाय के लोगों को अपना कायल बना दिया है, वहीं इनके मुंह से निकले रामायण के दोहे और चौपाइयां हिन्दुओं को खूब भाते हैं। हिन्दु दोस्त इन्हें अपने यहां रामायण के पाठ और देवी जागरण में बुलाते है।

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