-     visfot.com । विस्फोट.कॉम - पैसा पीडितों के लिए था, आपके लिए नहीं नितीश जी! -         लिमटी खरे
  -         बिहार का दर्द माना जाता है कोसी नदी को। हर साल कोसी नदी की बाढ से बिहार वासी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की इमदाद इसमें पूरी नहीं पडती है। देश भर के हर सूबे से लोग कोसी नदी के प्रभावितों के लिए मदद भेजते हैं। इसी तारतम्य में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य की ओर से पांच करोड रूपए की राशि की सहायता पहुंचाई थी, जिसे बिहार के निजाम नितीश कुमार ने वापस लौटा दिया है।
-         आपसी अहं और सियासी लाभ हानी का गणित अपने आप में अलग मामला हो सकता है पर नितीश कुमार को कम से कम इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए था। कारण चाहे जो भी हो पर यह राशि मोदी ने नितीश कुमार को व्यक्तिगत खर्च के लिए नहीं वरन कोसी प्रभावितों के लिए दी थी, और अपने अहं को निश्चित तौर पर नितीश को पृथक ही रखना चाहिए था।
 
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-     -         अधेड़ हुए युवराज
 कांग्रेस के युवराज ने चालीस बसंत देख लिए हैं, वे अब अधेडावस्था में कदम रख चुके हैं, फिर भी युवा और उर्जावान का तगमा उनके साथ है। नोकरी पेशा में जरूर साठ साल में सेवा निवृति का नियम हो या लोग बचकानी या बेहूदगी की बात पर ‘‘सठिया गए हैं‘‘ अर्थात साठ पूरे कर चुके हैं का मुहावरा कहें पर राजनीति में युवा की आयु 45 से 65 मानी जाती है। अरे देश जो चला रहे हैं राजनेता तो उनके हिसाब से अगर 45 से 65 की आयु युवा की है तो मानना ही पडेगा। इस हिसाब से कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी अभी बच्चे हैं, पांच साल के उपरांत वे युवा होंगे। विदेशों में पले बढे देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने और आजादी की लडाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अपना चालीसवां जन्म दिन हिन्दुस्तान में किसी दलित की झोपडी में मनाने के बजाए हिन्दुस्तान पर हुकूमत करने वाले ब्रिटेन के लंदन शहर में मनाना उचित समझा। हो सकता है कि दलित और गरीब प्रेम के प्रहसन से राहुल गांधी उकता चुके हों और वे खुली हवा में विदेश में जाकर चेन की सांस लेने की इच्छा रख रहे हों।
 
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