घूरे के लिये सोने का त्याग!!
आज भारत के कम से कम 40 करोड लोग बडे आराम से हिन्दी पढलिख लेते हैं. इन लोगों के लिये कम से कम 1000 गैर सरकारी सामाजिक पत्रिकायें/अखबार हिन्दी में छपती हैं. कम से कम पच्चीसतीस अश्लील पत्रिकायें भी हिन्दी में छपती हैं. लेकिन निजी क्षेत्र में एक भी विज्ञान-पत्रिका मेरी जानकारी में नहीं है.