Saturday, May 23, 2009

सोनिया गाँधी का छोटा और घटता कद !

सोनिया गाँधी का छोटा और घटता कद !

जी हाँ ये राजनीती की एक हकीकत यह भी है. आज भ्रम रह जाये पर सचाई यह है की सोनिया और राहुल गाँधी का कद बहुत ही छोटा होगया है.

आज जो लोग सोनिया और राहुल की जय कर रहे है हकीकत उनको भी पता है की झूटी जय जयकार है यह.

इसमें
बहुत सारे पेंचहै. देखिया एक बात तो बहुत ही स्पष्ट है की बहुमत किसी भी प्रकार से सोनिया या राहुल को तो बिलकुल ही नहीं मिला है. बहुमत मिला हैं सरदार मनमोहन सिंह को. इस बात की पुष्टि बहुत सारे तथ्यों से होती है जैसे -
  • कांग्रेस के लिया २००४ में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाना मज़बूरी था तो अब कांग्रेस सत्ता मेंपहेले से अधिक सक्षम बनके आई है तो अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्योँ? यदि पहेले मालूम होता तो राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस लड़ती. इस बात का कांग्रेस को बहुत ही अफ़सोस हैं. और अपने ही बनायेजाल में खुद फंस गई. मेरी इस बात की पुष्ठी इस बात से भी होती हैं की आज कैबिनट में मंत्रियो का चुनावप्रधानमंत्री के पास है सोनिया तो बस दिखा रही हैं की उसीका निर्णय हैं. कांग्रेस आज अपने को बहुत हीमजबूत परन्तु गाँधी परिवार अपने को बहुत ही हीन और कमजोर महेसुस कर रहा है. जो खेल कल तक सोनिया और गाँधी परिवार मनमोहन सिंह के साथ खेलता था आज होनी देखिया वोही सोनिया के साथ होगया. इसिलिया कहेते है की ऊपर वाले की लाठी बेअवाज होती हैं.
  • सोनिया तो मनमोहन को हरा हुआ उमीदवार मानकर चुनाव लड़रही थी. अब रपट गए तो हर हर गंगे. इसकी पुष्टि सोनिया की भावः भंगिमाये और चेहरे की उदासी साफ़ बयां कर रही है.क्या चेहरे पर वो २००४ वाली चमक है। नही कतई भी नही।

सरदार मनमोहन सिंह पुरे अधिकार से सरकार चलाने को
उतावले है. और येही आत्मविश्वाश सोनिया के लिया चिंता का विषय है.
आज सोनिया के वो त्याग की देवी के छवि भी नहीं है और हर तरफ सिंह इस किंग का ही नशा है।

अब
पांच साल में सब वो करना पड़ेगा अपने ही हाथो से जो गाँधी - नेहेरू राजवंश के सर्वशक्तिमान प्रतिनिधि अपनेआप नहीं करना चाहेगा.
यदि इस परिवार को देश के विकास की इतनी ही चिंता होती तो ६० साल में होगया होता.