और यदि आत्मा मरती तो दलाई लामा कब का कोमुनिस्ट हो गया होता !!!!!!!
मुझे आज तक समझ नहीं आया की वो करोडो हिन्दू जो अपनी जमीन, अपनी पगड़ी, अपना मान, अपनी इज्जत, अपनी माँ, बेहेन, बेटी, अपना सब कुछ लुटा कर हिंदुस्तान में क्या धर्मनिरपेक्षता की खटाई चाटने आये थे।
परन्तु नेताजी को ठिकाने लगा कर, वीर सावरकर को दोषी बता कर, संघ को कटघरे में खडा कर कर, पाकिस्तान से लुटे पिटे हिन्दुओ को कुछ एक प्लाट दे कर और बाकि बचे हिन्दुस्थान के हिन्दुओ को सेकुलेरिसम का झुनझुना पकडा दिया ।
परन्तु नेताजी को ठिकाने लगा कर, वीर सावरकर को दोषी बता कर, संघ को कटघरे में खडा कर कर, पाकिस्तान से लुटे पिटे हिन्दुओ को कुछ एक प्लाट दे कर और बाकि बचे हिन्दुस्थान के हिन्दुओ को सेकुलेरिसम का झुनझुना पकडा दिया ।
जिसमे आज ६० साल बाद भी हिन्दू ही यह पूछता फिर रहा है की मुसलमानों को आरक्षण क्यों नहीं देदेते। अब चरखे वाले बाबा के इन बंदरो को कौन बताये की जिनके लिए तुम मुझे दीनानाथ बनने के लिए कह रहे हो इन्होने (पूर्वजो) ही तुम्हारे ही माँ बेहेन की इज्जत लुट कर तुम्हारे ही बाप दादों की छाती पर खूंटा गाड़ कर हिन्दुस्थान से अलग अपने रहेने के लिए दो देश १९४७ में ही ले लेलिये हैं।
अरे जब हमारे मनमोहन सिंह जी ने ही हिन्दुओ को असली ज्ञान दे दिया था की ओ हिन्दुओ सुनलो की हिन्दुस्थान (पाकिस्तान और बांग्लादेश देने के बाद भी) के सभी भौतिक साधनों और संसाधनों पर इसलाम के वारिसों का ही प्रथम अधिकार है.
तो भइया जी एक और बात बता दो की यह हिन्दुतान में दिल्ली से हरिद्वार जाने वाली ही सड़क क्यों नहीं बनी है। जब की आगरा, अजमेर, जयपुर, चडीगढ़ और माशाअल्लह पुणे मुंबई एक्सप्रेस हाई वे बने इतने साल हो गए।
भाई यहाँ खाड़ी का पैसा भी नहीं जो कुछ कर लेते हम तो सरकार के ही भरोसे है। सुना है कांग्रेस ने चुनाव से पहेले मुस्लिम बस्तियो में मुस्लमान को सरकारी बैंको के जरिए सात आठ महीनो में ही अरबो रूपये बाँट दिए और हम हैं की अडवाणी की उम्र पर ही नाक भों सिकोड़ रहे है।
रही बात हमारी तो इस कम्बखत शांति के लिए ही तो आज हमारी हालत यह होगई की हिन्दुओ के अत्यंत परम धार्मिक स्थल के लिए एक अदद ढंग की सड़क की मांग मुझे करनी पड़ रही है।
उस पर भी इस बात पर हलकान हुए जा रहा हूँ की कही कोई मुझे हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे उठाने का अपराधी घोषित न कर दे। क्या करू हजूर आत्मा नहीं मानती है इस शारीर को तो आपका कानून बांधे ही हुआ है। और यदि आत्मा मरती तो दलाई लामा कब का कोमुनिस्ट हो गया होता।
उस पर भी इस बात पर हलकान हुए जा रहा हूँ की कही कोई मुझे हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे उठाने का अपराधी घोषित न कर दे। क्या करू हजूर आत्मा नहीं मानती है इस शारीर को तो आपका कानून बांधे ही हुआ है। और यदि आत्मा मरती तो दलाई लामा कब का कोमुनिस्ट हो गया होता।