Tuesday, December 15, 2009

और रूढि़यों के आगे नहीं झुकी आनंदिता

  • tags: no_tag

    • बेटे का प्यार मिला तो फर्ज निभाने के लिए बेटी ने सामाजिक परंपराओं व रीति-रिवाजों को तोड़ते हुए पिता की चिता को मुखाग्नि दी। अड़चने आईं, लोगों द्वारा रस्मों की दुहाई दी गई और कोसा भी, लेकिन उसका निश्चय डिगा नहीं। हालाकि संस्कार पूरा होते-होते उसका सब्र जवाब दे गया। उसकी चीत्कार और आसू देख पूरा माहौल गमगीन हो गया।
    • मेरठ।
    • बेटा नहीं तो क्या हुआ बेटी भी दे सकती है मुखाग्नि

      विद्वान प्रियशील चतुर्वेदी कहते हैं कि गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि कुल में यदि कोई पुत्र नहीं है तो पुत्री या पत्नी मुखाग्नि दे सकती है। यदि वह भी नहीं है तो राजा, ब्राह्मण या कोई मित्र भी मुखाग्नि दे सकता है। पुत्री द्वारा पिता को मुखाग्नि की घटना कोई नई नहीं है। पहले भी ऐसा होता रहा है।


Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.

Comments

Loading... Logging you in...
  • Logged in as
There are no comments posted yet. Be the first one!

Post a new comment

Comments by