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- 8 जुलाई 2010 को स्वातंत्र्य वीर सावरकर द्वारा अंग्रेजों के चंगुल से छूटने की कोशिश के तहत फ़्रांस के समुद्र में ऐतिहासिक छलांग लगाने को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। भारतवासियों के इस गौरवशाली क्षण को मधुर बनाने के लिये फ़्रांस सरकार ने मार्सेल्स नगर में वीर सावरकर की मूर्ति लगाने का फ़ैसला किया था, जिसे भारत सरकार के अनुमोदन हेतु भेजा गया… ताकि इसे एक सरकारी आयोजन की तरह आयोजित किया जा सके।
- लेकिन हमेशा की तरह भारत की प्रमुख राजनैतिक पार्टी कांग्रेस और उसके पिछलग्गू सेकुलरों ने इसमें अड़ंगा लगा दिया, और पिछले काफ़ी समय से फ़्रांस सरकार का यह प्रस्ताव धूल खा रहा है।
- दुर्भाग्य से सावरकर ब्राह्मण थे, गाँधी परिवार से सम्बन्धित भी नहीं थे, और ऊपर से “हिन्दुत्व” के पैरोकार भी थे… यानी तीनों “माइनस” पॉइंट… ऐसे में उनकी उपेक्षा, अपमान होना स्वाभाविक बात है, मूर्ति वगैरह लगना तो दूर रहा…
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