Wednesday, February 9, 2011

धर्मान्तरण के दलाल जोन दयाल को वनवासियों से तकलीफ !!

धर्मान्तरण के दलाल जोन दयाल को वनवासियों से तकलीफ !!: "

धार्मिक उन्माद फैला रहा है जॉन दयाल
जैसे-जैसे नर्मदा कुम्भ की तारीख नजदीक आ रही है, जबरन धर्मांतरण को उतारू मिशनरियो की घबराहट ब़ढ रही है। नर्मदा के किनारे आयोजित किए जा रहे इस मॉं नर्मदा सामाजिक कुंभ की व्यापक पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। यह आयोजन धर्म के प्रति आस्था व श्रद्धा पक्की करने, राष्ट्रीय एकात्मता और एकता का भाव जगाने तथा सामाजिक समरसता का अलख जगाने हेतु किया जा रहा है। फिर भी इन धर्मानातार्ण आतुर मिशनरियो को आपत्ति है. शायद उनको डर है कि करोडो रुपये खर्च करके ईसाई बनाए गए हिन्दू वापस अपना मूल धर्म ना अपना ले. इसलिए चर्च वनवासी बंधुओं में डर फैलाते रहते हैं. और वनवासियों के मन से यही डर निकालने, उनमे स्वाभिमान जगाने के लिए यह कुम्भ समर्पित है.

छत्तीसगढ़ की सीमाओं को छूने वाले मण्डला में नर्मदा सामाजिक कुंभ १०, ११ और १२ फरवरी को होना है और इसकी तैयारी एक साल से चल रही है। तीन दिन के इस कुंभ में 20 लाख वन वासियों के जुटने की उम्मीद की जा रही है।

जॉन दयाल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि कुंभ मेले में ईसाइयों को हिंदू बनाने की तैयारी चल रही है। जॉन दयाल ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन” के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने कुंभ के आयोजको पर बेबुनियाद
आरोप लगाया है कि कई ईसाई परिवारों में जाकर वनवासियों पर वापस हिंदू बनने के लिए दबाव डाल रहे है। ईसाई समाज की प्रार्थना सभाओं में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है।

वास्तव में हकीकत यह है कि मण्डला में बीते वर्षो में ईसाई मिशनरियों ने धर्मातरण का जाल तेजी से फैलाया है। माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ का उद्देश्य आदिवासियों की संस्कृति, उनकी पहचान और जीवन शैली ही नहीं बल्कि उनके आराध्य
बड़ा देव या बूढ़ा देव के प्रति उनकी आस्था पर होने वाले आघात से उन्हें सुरक्षित करना है।

एक ओर जहाँ मंडला के इसाई और मुस्लिम परिवारों ने इस कुंभ का स्वागत किया है, वहीँ जॉन दयाल का इस तरह का बयान देश कि एकता और अखंडता के लिए खतरा है। जॉन दयाल जैसे लोगो के खिलाफ शासन को कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।
गौर तलब है कि, गोधरा के बाद गुजरात में भड़की हिंसा में भी जोन दयाल ने काफी बवाल मचाते हुए हिन्दू जन के खिलाफ अनर्गल दुष्प्रचार किया था. और वह सवर्ण-दलित-आदिवासी नाम से हिन्दू समाज में विभाजन की कोशिश भी आये दिन करता रहता है.
इधर जॉन के बयां से पल्ला झाड़ते हुए मंडला के स्थानीय इसाई संगठनों ने कुम्भ का स्वागत किया है. प्रमाण के तौर पर फोटोग्राफ्स संलग्न हैं.

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