भाई सीधी सी बात है की "अहंकार की चरम सीमा होती है जब कोई व्यक्ति (या संस्था या पार्टी ) विरोधी भी अपनी पसंद के ही बनाना चाहता हो" जैसे की कोंग्रेस विरोधी भी अपने आप ही चुन रही है. भ्रष्टाचार की सत्ता की मलाई चाटने वाले कांग्रेसी और उसके साथी इस डर में है की कहीं उनके सत्ता में से किसी कारण से हटने (जिसका अभी भी कोई चांस नहीं है) पर उनको सच में कोई फांसी पर ही न लटका दे. तो कुछ पहेले से ही इंतजाम कर लो की कम से कम सजा से बचा जाये .
मित्रो यदि विरोधी भी कोई गाँधीवादी (ब्रांड) हो तो फिर वो माफ़ करने में भी अपनी 'गाँधीवादी नीति' दिखाएगा जिस नीति के तहेत अंग्रेजो ने अपने विरोधी के रूप में भगत सिंह / नेताजी/ चंद्रशेखर / वीर सावरकर जी के बदले में अपनी ही पसंद के 'महात्मा गाँधी' और 'नेहेरू' को विरोधी चुना था. और उन्ही को भारत देश की तथाकथित आजादी दिलाने के ढोल पीटे गए थे. एक बार जरा सोचो की ऊपर बताय नामो में से यदि किसी राष्ट्रवादी और भारत माता प्रेमी को देश की आजादी दिलाने का सहेरा बंध जाता तो क्या आज देश की यह हालत होती ? तो क्यूँ मित्रो अंग्रेजो ने भी सुविधा के हिसाब से अपना विरोधी चुना और उसी के बल पर आज तक 'परदे के पीछे से' भारत पर कब्ज़ा जमाये हुए है. देश को गाँधी और कांग्रेस गेंग की वजेह से न तो सच्ची आजादी मिली और न ही देश के वासिओ से हीनता का ही बोध हट पाया गया. इसी प्रकार से आप श्री अन्ना हजारे जी नामक मुखोटा देख ले. मुखोटा इसलिए कह रहा हूँ की मैं व्यक्तिगत रूप से अन्ना हजारे जी की इमानदारी और उनके समर्पण का कायल हूँ. परन्तु मित्रो आदमी में कहीं न कहीं 'बड़ा और प्रसिद बनाने की इच्छा रह ही जाती है' और श्री अन्ना हजारे जी जिनका की मैं तहे दिल से आदर करता हूँ, इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति की धार को कुंद कर रहे है और कांग्रेस को एक तरह से राहत ही पहुंचा रहे है. मित्रो इसका भी कारण है उनके दो तथाकथित 'प्रवक्ता' जिसमे एक है भगवा ढोंगी, आर्यसमाज कपटी, नक्सली प्रिये, इसाई मिसनेरी अशिर्वादित और कांग्रेस पोषित श्री मान अग्निवेश जी और दुसरे है मीडिया की रचना (क्रियेशन) श्री केजरीवाल जी. जो की इस को क्रांति का नाम बता रहे है परन्तु यह तो क्रांति के नाम पर टाट के पेबंद लगा रहे है.
की ! कहीं और कोई राष्ट्रवादी संस्था देश में फैले भ्रष्टाचार के बहाने इस फसल को न काटले तो कोंग्रेस ने अपना इंतजाम कर दिया है. अभी तक हमने तो दिग्भर्मित सिंह (दिग्विजय सिंह) का कोई बयान अन्ना जी के विरोध में नहीं सुना परन्तु स्वामी राम देव जी के एक रैली करने पर दिग्भर्मित सिंह जी ने बयान पर बयान दे दिए थे और राम देव जी के बाप दादो के भी अकाउंट चेक करने के लिए अपने और कांग्रेस प्रिये पत्रकार/नेता/नौकरशाह दौड़ा दिए थे, एक अर्धसैनिक बल के भूतपूर्व सैनिक से श्री राम देव जी पर जूते भी फिकवाए. परन्तु अभी तक 'अन्ना हजारे' ब्रांड भ्रष्टाचार विरोध के झंडाबरदार स्वामी अग्निवेश के अकाउंट की जाँच की बात किसी भी कांग्रेसी भांड ने नहीं की है. कांग्रसी प्रचार ऐसा की अन्ना हजारे ब्रांड के अनशन को संघ का घोषित कर दिया मतलब चोर की दाड़ी में तिनका. और बड़ा कमाल यह है की जो भ्रष्टाचार की अखंड प्रतिमा '१० जनपथ' में विराजित है उसको मीडिया में ऐसा निरुपित किया जा रहा है जैसे की अन्ना हजारे के लिए उसके प्राण पखेरू हो रहे है. और सुश्री उमा भारती जिसका की भरष्टाचार से कोसो दूर का भी वास्ता नहीं उसे "भ्रष्टाचार के भी बाप चौटाला नामक नेता जी" से जोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है. चार दिन में ही मीडिया ने देश में क्रांति का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया की बस इस आमरण अनशन टूटने के बाद देश में से भ्रष्टाचार ऐसे गायब हो जायेगा जैसे की गधे के सर से सींग.
मित्रो अभी भी राहत नहीं इन्तजार करो कल का और अपनी तड़प और संघर्ष का माद्दा बचाकर रखो क्यूंकि क्रांति अभी बाकी है!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!