पिछले दिनों एक लेख पढ़ा किसी अखबार में .....बार बार दिमाग में घूम रही है वही बात .....सोचा की आप लोगों के साथ शेयर करूँ .......हिंदी साहित्य के मूर्धन्य व्यंगकार हरिशंकर परसाई ने एक व्यंग लिखा था साठ के दशक में .....मैंने वो एक पुस्तक में पढ़ा था जब मैं आठवीं क्लास में पढता था .वो व्यंग उस ज़माने में जितना प्रासंगिक था ...आज भी उतना ही प्रासंगिक है .किस्सा कुछ यूँ है की कृष्ण जी .......यानि अपने lord krishna ........वही गीता महाभारत वाले ......एक दिन उन्होंने सोचा वहां बैकुंठ (स्वर्ग ) में बैठे बैठे की कितनी दुर्दशा है मेरे भारत देश की और मैं यहाँ स्वर्ग में मज़े ले रहा हूँ सो मुझे अपने इन प्यारे भक्तों के लिए कुछ करना चाहिए .......सो जब उन्होंने वहां अपने कुछ दोस्त मित्रों से सलाह की तो सबने कहा की प्रभु आईडिया तो बहुत अच्छा है ......और आप तो वहां ऐसे ही पूजे जाते हो ......बड़ी fan following है आपकी, सो आप जा के अपने इन बेचारे भक्तों का कल्याण करो ........बस प्रभु emotional हो गए और चल पड़े मृत्युलोक की ओर ........यहाँ पहुंचे तो हल्ला मच गया ....अरे भगवान् साक्षात् पधारे है .........टूट पड़ी दुनिया ......दर्शनों के लिए ........कुछ दिन बड़ा हल्ला गुल्ला रहा ....प्रभु जहाँ जाते ,भक्त लाखों की संख्या में इकट्ठे हो जाते ......राजा प्रजा सब जुट जाते ......प्रभु गद गद ,चेले भी गद गद .....प्रभु ने कहा की व्यवस्था परिवर्तन करेंगे जिससे प्राणी मात्र का कल्याण हो .......अब राजाओ का माथा ठनका ......अबे ये तो व्यवस्था परिवर्तन की बात कर रहा है.....अपना क्या होगा ........खैर प्रभु ने एक एक कर के राजाओं से भी मिलना शुरू किया .......सो एक राजा बोला की स्वागत है आपका ....आप हमारे साथ मिल कर काम करिए .........प्रभु बड़े खुश हुए .....राजा बोला की वैसे आप तो यादव हैं न .......कृष्ण कुमार यादव .....अब प्रभु का माथा ठनका ........वो बोले हम कोई यादव वादव नहीं हैं ....हम तो भगवान् हैं .........सबके भगवान् ......सभी प्राणी हमारे लिए एक समान ......राजा बोला प्रभु ये फिलोसफी वहां स्वर्ग लोक के लिए तो ठीक है पर भैया यहाँ मृत्यु लोक में तो कोई न कोई tag तो लगाना ही पड़ेगा ........सो आप यादव हैं यादव ही रहिये .......तभी कल्याण होगा .......अब प्रभु भड़क गए और वहां से निकल लिए .......दूसरे राजा के पास गए ...उसके पास सारी रिपोर्ट थी ......उसने उन्हें पटा लिया और अपने साथ काम करने के लिए राज़ी कर लिया ........अब मचा हाहाकार ......पहला राजा बड़ा परेशान .......बोला ये तो सारी equation ही change हो गयी .........उसका एक मंत्री था ....बड़ा कुटिल ...बोला महाराज क्यों फ़िक्र करते हैं ....सब ठीक कर देंगे ......उसने अपने कारिंदों को बोला की इस पट्ठे की ज़रा history चेक करो ......कारिंदे बोले हुज़ूर उनकी क्या हिस्टरी ....वो तो भगवान् हैं ....मंत्री बोला की अबे भगवान् वगवान कुछ नहीं होता ........तुम बस history निकालो .........इसे तो मैं ठीक करता हूँ ......तो भैया हिस्टरी तो सबकी होती ही है कुछ न कुछ .......अब लगे ढिंढोरा पीटने सब गला फाड़ फाड़ के ........अबे ये तो एक नंबर का चोर है बचपन से ही ....पूरे मोहल्ले का जीना हराम कर रखा था इसने .....मक्खन तक नहीं छोड़ता था ........एक नंबर का चरित्रहीन था ....नहाती हुई लड़कियों के कपडे उठा के ले जाता था .........पड़ोस की लड़की थी रुक्मणी ...उसे भगा के ले गया था .......अगर इसे राजा बना दिया तो हमारे तो देश की बहू बेटियां ही सुरक्षित नहीं रहेंगी ..........बस फिर क्या था ...भक्तों ने लिया प्रभु को तरिया ......अब प्रभु की अक्ल ठिकाने आई की भैया अपने राम तो वहीं ठीक हैं बैकुंठ में ...........भक्तों का कुछ नहीं हो सकता .........
तो साहब ये हाल हैं हमारे यहाँ ...........बाबा चले थे भक्तों का कल्याण करने .........भक्तों ने रात के दो बजे दौड़ा दौड़ा के पीटा......अब बैठे हैं नाराज़ हो के भूखे प्यासे ......कोई पूछने वाला नहीं है ......भक्तों ने कह दिया है .....मरता है तो मरे ......अब अगर बाबा सलाह मान जाते और अगर राम देव की जगह राम देव यादव बन जाते तो आज ये नौबत ना आती .......फिर क्या मजाल थी किसी की, की कोई हाथ भी लगा देता ...........जाट गूजरों को लगाया किसी ने हाथ ....... है किसी की हिम्मत .....मिमिया रहे थे उनके सामने सब ......महीनों उन्होंने पूरे देश को बंधक बना के रखा ........फिर भी सब पाँव पूजते रहे .....बाबा देश हित की बात कर रहा था फिर भी दूदरे दिन ही लठिया दिया ........अब देखना है की बाबा डटे रहते हैं या वापस बैकुंठ चले जाते हैं .......बाबा को भी दो चार कुटिल मंत्री रख लेने चाहिए ........