यह तो भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार है
देश के लिए खुशी की बात है कि महंगाई व आतंकवाद अब कोई मुद्दा नहीं रहे. शोराब्बुद्दीन के साथ साथ स्वीज बैंक भी खुश हो सकती है.
एक अच्छी खबर जरूर है और वह है लाल झण्डों का कमजोर होना. क्षेत्रीय पार्टियों से मोहभंग भी भारत के हित में होगा. इस बार मौकापरस्त कचरापट्टी का साफ होना बहुत बड़ी राहत है.
मैं आडवाणी को प्र.म. के रूप में देखना चाहता था. इसलिए थोड़ी निराशा जरूर है. राष्ट्रवादियों को पाँच साल और प्रतिक्षा करनी होगी. धर्मनिरपेक्षतावादियों (?!!) को बधाई.