Friday, May 22, 2009

“सोनिया सरकार” का पहला तोहफ़ा– विदेशी संस्था का हस्तक्षेप यानी राष्ट्रीय स्वाभिमान को ठोकर…

“सोनिया सरकार” का पहला तोहफ़ा– विदेशी संस्था का हस्तक्षेप यानी राष्ट्रीय स्वाभिमान को ठोकर… USCIRF visit Religious Freedom and Human Rights in India

किसी भी देश की सार्वभौमिकता, एकता और अखण्डता के साथ-साथ उस देश का “राष्ट्रीय स्वाभिमान” या राष्ट्र-गौरव भी एक प्रमुख घटक होता है। भारत की अब तक यह नीति रही है कि “हमारे अन्दरूनी मामलों में कोई भी देश, संस्था या अन्तर्राष्ट्रीय संगठन हस्तक्षेप नहीं कर सकता…”, लेकिन सोनिया सरकार ने इस नीति को उलट दिया है। अमेरिका की एक संस्था है “USCIRF” अर्थात US Commission on International Religious Freedom, इस संस्था को जून 2009 में पहली बार भारत का दौरा करने की अनुमति “सोनिया गाँधी सरकार” द्वारा प्रदान कर दी गई है।

भारत के अन्दरूनी मामलों में दखल-अंदाजी को बर्दाश्त न करने की इस नीति को NDA (1999-2004) और UPA (2004-2009) की सरकारों ने बनाये रखा, जो कि नरसिम्हाराव, देवेगौड़ा और गुजराल सरकार की भी नीति रही।

भारत में “धार्मिक स्वतन्त्रता” और “मानवाधिकारों” का हनन किस सम्प्रदाय पर ज्यादा हो रहा है? जी हाँ, बिलकुल सही पहचाना आपने, सिर्फ़ और सिर्फ़ “ईसाईयों” पर। वैसे तो कहने के लिये “मुस्लिमों” पर भी भारत में “भारी अत्याचार”(??) हो रहे हैं, लेकिन उनकी फ़िक्र करने के लिये इधर पहले से ही बहुत सारे “सेकुलर” मौजूद हैं, और अमेरिका को वैसे भी मुस्लिमों से विशेष प्रेम नहीं है, सो वह इस संस्था के सदस्यों को पूरे विश्व में सिर्फ़ “ईसाईयों” पर होने वाले अत्याचारों की रिपोर्ट लेने भेजता है।

भारत के बारे में इस संस्था की रिपोर्ट इनकी वेबसाईट पर देखी जा सकती है। USCIRF धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाने वालों के खिलाफ़ खास “लॉबी” बनाती है,

यह देखना रोचक होगा कि “हिन्दू हृदय सम्राट” नरेन्द्र मोदी भी आडवाणी की तरह “सेकुलरता” का ढोंग करके USCIRF के गोरे साहबों का स्वागत करते हैं या सच्चे हिन्दू देशभक्त की तरह उन्हें लतियाकर बेरंग लौटाते हैं, यह भी देखना मजेदार होगा कि ताजा-ताजा सेकुलर बने पटनायक उन्हें उड़ीसा के आदिवासी इलाकों में चल रही “हरकतों” की असलियत बतायेंगे या नहीं।

सवाल है कि “सेकुलर” राजनीति बड़ी है या देश का स्वाभिमान? अल्पसंख्यकों को खुश करने और हिन्दुओं की नाक मोरी में रगड़ने के लिये सेकुलरिस्ट किस हद तक जा सकते हैं यह अगले 5 साल में हमें देखने मिलेगा, क्योंकि आखिर इस देश की जनता ने “स्थिर सरकार”, “रोजी-रोटी देने वाली सरकार”, “गरीबों का साथ देने वाली सरकार” को चुन लिया है…