Sunday, July 26, 2009

visfot.com । विस्फोट.कॉम - कारगिल विजय के दौरान समझौते और लीपीपोती के निशान

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  • करगिल और द्रास से लौटकर अनुराग पुनेठा

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    • कारगिल में फहराता तिरंगा
    • लेकिन करगिल का युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है
    • 1999 के पहले यह प्वाईंट भारतीय सीमा का हिस्सा था. लेकिन 99 के युद्ध के समय ही यहां पाकिस्तानी फौज पाबंद हो गयी.
    • सवाल यह है कि अगर 99 के युद्ध के दौरान यहां पाकिस्तानी फौज काबिज हुई है तो आज तक हम उन्हें वहां से भगा क्यों नहीं पाये हैं? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं है कि भारत ने यह प्वाईंट पाकिस्तान से हारा हुआ मान लिया है?
    • पाकिस्तान आज भी एलओसी के पास स्थित दो चोटियों पर बैठा है। प्वाइंट 5353 और आफताब टॉप ये दो चोटियां ऐसी है, जिन पर पाकिस्तानी फौजी आज भी मौजूद है। कारगिल और द्रास जाकर जब ये बात पता चलती है, तो टीस उठती है। आज इस जश्न के बीच उन अमर आत्माओं को एक दर्द का एहसास होगा, एक टीस होगी, काश आत्माएं बोल पाती और हम उनका दर्द समझ पाते.
    • अपनी करगिल यात्रा के दौरान जाबांज शहीदों को याद करने के साथ ही प्वाईंट 5353 की कड़वी सच्चाई से भी सामना हुआ. ऐसा नहीं है कि भारतीय जवानों ने जो हासिल किया उसकी तारीफ नहीं होनी चाहिए. लेकिन ये याद रखना होगा कि अधूरी जीत, हार से ज्यादा शर्मनाक होती है। हक की लडाई में समझोते नही होते, लेकिन कारगिल की फतह में समझोते की बू भर नही आती है, कारगिल की पहाड़ियो पर समझोते के निशान  मिलते है। हम कुछ पाकर इतने खुश हुये कि जो खो दिया उसकी तरफ पीठ मोड़ ली, दुश्मन लौटते लौटते भी कुछ बचाकर ले गया तो ये उसकी जीत है। पहाडियो पर आज भी हमारा एक इलाका एसा है जो हमारा नही है।