Sunday, November 29, 2009

Deshbandhu : लिब्रहान के साथ जनता की रिपोर्ट भी देखें

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    • दरअसल यह एक ऐसा अपराध था जिसे इस देश के लाखों करोड़ों ने दूरदर्शन के माध्यम से देखा था और उससे पूर्व की परिस्थितियों को भी वे देख चुके थे। राम मंदिर के शिला पूजन पर प्रतिबंध लगाने में और अयोध्या की वर्षों से चली आ रही पंचकोशी परिक्रमा को रोक देने से आम जनता में आक्रोश फैलना स्वाभाविक था। इसलिए  सिर्फ यह कहना कि भाजपा नेताओें ने भड़काऊ बयान दिया इसीलिए उत्तेजित कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, ठीक नहीं होगा। यदि भड़काऊ बयान ही दोषी होता है तो सन् 1984 के दिसम्बर में जब श्रीमती इंदिरा गांधी को उनके सिख अंग रक्षकों ने गोली मार दी थी तो मीडिया को यह बात जनता से छिपानी चाहिए थी।
    • अब श्री अमर सिंह कहते हैं कि सदन में भाजपाईयों की नारे बाजी करने के कारण भावावेश में आ गया था, इसलिए हमला कर दिया। मेरा इरादा हमला करने का नहीं था। सवाल है कि जब मामूली नारेबाजी से श्री अमर सिंह भावावेश में आ गये तो पंचकोशी परिक्रमा रोके जाने से जिन लोगों में आक्रोश पैदा हुआ होगा, उन्होंने यदि पुराने ढांचे को ध्वस्त कर दिया तो इसमें किसी की साजिश क्यों तलाशी जा रही है। सबसे बड़ी बात यह कि जो ढांचा गिर गया वह दुबारा नहीं बन सकता, इसलिए विवाद को खत्म कर देना चाहिए था।