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- चूंकि गाँधी को तो “राष्ट्रपिता” का दर्जा मिला हुआ है, इसलिये इस नाम को छोड़ भी दें, तो अंधे को भी साफ़ दिखाई दे सकता है कि भारत रत्न सम्मान प्राप्त करने के लिये सिर्फ़ निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करना जरूरी नहीं है, इसके लिये सबसे पहली शर्त है नेहरु-गाँधी परिवार की चमचागिरी, दूसरी शर्त है “सेकुलरिज़्म का लबादा” और तीसरी तो यह कि या तो वह कलाकार इतने ऊँचे स्तर का हो कि कोई भी समिति उसका विरोध कर
- चूंकि गाँधी को तो “राष्ट्रपिता” का दर्जा मिला हुआ है, इसलिये इस नाम को छोड़ भी दें, तो अंधे को भी साफ़ दिखाई दे सकता है कि भारत रत्न सम्मान प्राप्त करने के लिये सिर्फ़ निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करना जरूरी नहीं है, इसके लिये सबसे पहली शर्त है नेहरु-गाँधी परिवार की चमचागिरी, दूसरी शर्त है “सेकुलरिज़्म का लबादा” और तीसरी तो यह कि या तो वह कलाकार इतने ऊँचे स्तर का हो कि कोई भी समिति उसका विरोध कर ही न सके, जैसे कि लता मंगेशकर, रविशंकर या पण्डित भीमसेन जोशी।
- आज़ादी के बाद सभी रियासतों को अपने बल, बुद्धि और चातुर्य के बल पर भारत संघ में मिलाने वाले सरदार वल्लभाई पटेल को भारत रत्न दिया गया 1991 में। इंदिरा गाँधी, मदर टेरेसा और एमजीआर के बहुत बाद। कारण सिर्फ़ एक – उनकी विचारधारा कभी भी गाँधी परिवार से मेल नहीं खाई, नेहरु की उन्होंने कई बार (चीन के साथ एकतरफ़ा मधुर सम्बन्धों तथा हज सबसिडी की) खुलकर आलोचना भी की।
- संविधान के निर्माता के रूप में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अम्बेडकर को यह पुरस्कार मिला 1990 में, वह भी इसलिये कि तब तक देश में “दलित आंदोलन” एक मजबूत वोट बैंक का रूप ले चुका था, वरना तब भी नहीं मिलता, क्योंकि ये महानुभाव भी देश की वर्तमान परिस्थिति के लिये नेहरुवादी नीतियों को जिम्मेदार मानते थे, तथा देश में ब्राह्मणवाद फ़ैलाने के लिये कांग्रेस की आलोचना करते थे।
- मौलाना आज़ाद ने खुद ही भारत रत्न लेने से इसलिये मना कर दिया क्योंकि उनके अनुसार सरकार में मौजूद प्रभावशाली लोगों तथा समिति के सदस्य होने के नाते यह उनका नैतिक अधिकार नहीं था, जबकि नेहरु ने 1955 में ही भारत रत्न “हथिया” लिया। उनकी बेटी ने भी इसी परम्परा को जारी रखा और 1971 में (पाकिस्तान के 90000 सैनिकों को मुफ़्त में छोड़ने और बकवास टाइप शिमला समझौता करने के बावजूद) खुद ही भारत रत्न ले लिया, और पायलटी करते-करते “उड़कर” प्रधानमंत्री बने, इनके बेटे को भी मौत के बाद सहानुभूति के चलते 1991 में फ़ोकट में ही (“जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है” जैसे बयान और शाहबानो मामले में वोटबैंक जुगाड़ू, ढीलाढाला और देशघाती रवैया अपनाने तथा अपनी मूर्खतापूर्ण विदेशनीति के चलते श्रीलंका में शान्ति सेना के नाम पर हजारों भारतीय सैनिक मरवाने के बावजूद) भारत रत्न दे दिया गया।
- जिस तरह से “भड़ैती मीडिया” सोनिया मैडम के “त्याग और बलिदान” के किस्से गढ़ रहा है, जल्दी ही उन्हें भी भारत रत्न देने की नौबत आ जायेगी, पीछे-पीछे देश के “कथित युवा भविष्य” राहुल गाँधी हैं ही, एक उनके लिये भी…।
- हिरण मारने वाले सैफ़ अली को वरिष्ठ अभिनेता धर्मेन्द्र और सनी देओल पर भी तरजीह दे दी गई (क्योंकि धर्मेन्द्र भाजपा सांसद रहे)।
आश्चर्य तो इस साल घोषित सम्मानों की लिस्ट में अमेरिकी NRI होटल व्यवसायी चटवाल का नाम देखकर भी हुआ है। जिस व्यक्ति पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के करोड़ों रुपये के गबन और हेराफ़ेरी का मामला चल चुका हो, जो व्यक्ति एक बार गिरफ़्तार भी हो चुका हो, पता नहीं उसे किस आधार पर पद्म पुरस्कार के लायक समझा गया है (शायद अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अच्छा चन्दा दिया होगा, या मनमोहन-चिदम्बरम की उम्दा खातिरदारी की होगी इसने)।
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