Friday, March 12, 2010

Jagran - Yahoo! India - सामाजिक बल में बदलाव

  • tags: no_tag

    • नानाजी देशमुख और यासिर अराफात की मृत्यु पर भारतीय राजनीतिक बौद्धिक वर्ग की प्रतिक्रिया तुलनीय हैं।
    • जो लोग कानून से फरार हुसैन के लिए भावुक बयान देते नहीं थकते, वही दर-दर की ठोकर खातीं और तरह-तरह के उग्रवादियों के हाथो हिंसा की शिकार निर्दोष तसलीमा के लिए मुंह सिए मिलेंगे।
    • हिंदुओं का सामाजिक बल मुस्लिमों के सामाजिक बल की तुलना में कमजोर हुआ है। अत: काग्रेस, सपा, लोजपा, राजद और वाम दलों का सहज-बोध उन्हें सही बता रहा है कि सामाजिक बल किधर है। इसीलिए वे संविधान, नैतिकता और आत्मसम्मान आदि सबकुछ भूल कर मुस्लिम वोटों के लिए पागल हो रहे हैं। यह देश के लिए घातक है। इसका प्रतिकार केवल रस्मी विरोध करके नहीं हो सकता। हिंदुओं को सामाजिक बल में दूसरों के समकक्ष बनना होगा। स्वयं अपनी पीठ थपथपाने वालों को नानाजी के अवसान पर मिली उपेक्षा से वह कड़वा सत्य देखना चाहिए, जिससे वे बचते हैं।

      [एस शंकर: लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं]


Posted from Diigo. The rest of my favorite links are here.