http://blog.sureshchiplunkar.com/2011/04/satya-sai-baba-trust-puttaparthi-hindu.html
आपने कई बार देखा होगा कि घर में बाप आखिरी साँसें  गिन रहा होता है और सबसे नालायक, जुआरी और शराबी बेटा उसके मरने से पहले  ही, मिलने वाली सम्पत्ति और बंटवारे के बारे में चिल्लाने लगता है, जुगाड़  फ़िट करने लगता है। कुछ-कुछ ऐसा ही “सेकुलर” गिद्धों से भरी कांग्रेस पार्टी भी कर रही है। तिरुपति देवस्थानम (Tirupati Devasthanam)  के ट्रस्टियों में “बाहरी” एवं “सेकुलर” लोगों को भरने तथा तिरुमाला की  पवित्र पहाड़ियों पर चर्च निर्माण की अनुमति देकर “सेमुअल” राजशेखर रेड्डी  ने जो “रास्ता” दिखाया था, उसी पर चलकर अब कांग्रेस की नीयत, सत्य साईं  ट्रस्ट पर भी डोल चुकी है। अब यह तय जानिये कि किसी न किसी बहाने, कोई न  कोई कानूनी पेंच फ़ँसाकर इस ट्रस्ट में कांग्रेसी घुसपैठ करके ही दम लेंगे। 
आंध्रप्रदेश सरकार का यह तर्क अत्यंत हास्यास्पद और बोदा है कि सरकार सिर्फ़  यह सुनिश्चित करना चाहती है कि साँई बाबा के पश्चात ट्रस्ट का संचालन एवं  आर्थिक गतिविधियाँ समुचित ढंग से संचालित हों एवं इसमें कोई गड़बड़ी न हो।  सोचने वाली बात है कि सत्य साँई बाबा के भक्तों में ऊँचे दर्जे के  बुद्धिजीवी, ऑडिटर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, शिक्षाविद, इंजीनियर एवं  डॉक्टर हैं, क्या वह ट्रस्ट साँई बाबा के जाने के बाद अचानक लावारिस हो  जायेगा? क्या सत्य साँई बाबा के अधीन काम कर रहे वर्तमान विश्वस्त साथियों  ने इस स्थिति के बारे में पहले से कोई योजना अथवा कल्पना करके नहीं रखी  होगी? क्या ये लोग इतने निकम्मे हैं? स्वाभाविक है कि कोई न कोई “बैक-अप  प्लान” अवश्य ही होगा और वैसे भी आज तक बड़े ही प्रोफ़ेशनल तरीके से सत्य  साईं ट्रस्ट का संचालन होता रहा है, कभी कोई समस्या नहीं आई। लेकिन सरकार (यानी कांग्रेस) येन-केन-प्रकारेण सत्य साँई ट्रस्ट में “अपने राजनीतिक लुटेरों” को शामिल करना चाहती है। 
यहाँ पर स्वाभाविक सा प्रश्न खड़ा होता है, कि जिस समय मदर टेरेसा (Mother Teresa) गम्भीर हालत में थीं और अन्तिम साँसें गिन रही थीं, तब सरकार “मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी” (Missionaries of Charity) को मिलने वाले अरबों के चन्दे और उस ट्रस्ट के संचालन तथा रखरखाव के बारे में इतनी चिंतित क्यों नहीं थी? ये  सारे सवाल साईं बाबा के ट्रस्ट के समय ही क्यों खड़े किये जा रहे हैं? और  वह भी निष्ठुरता की इस पराकाष्ठा के साथ, कि अभी सत्य साँई बाबा मरे नहीं  हैं, सिर्फ़ गम्भीर हैं। साईं बाबा ट्रस्ट से सम्बन्धित सभी “कांग्रेसी  सेकुलर आशंकाएं” उस समय कभी सामने क्यों नहीं आईं, जब बाबा पूर्णतः स्वस्थ  थे और उनके कार्यक्रमों में शंकरदयाल शर्मा, टीएन शेषन, अब्दुल कलाम,  नरसिंहराव इत्यादि सार्वजनिक रूप से शिरकत करते थे? अब जबकि बाबा अपनी  मृत्यु शैया पर हैं तब कांग्रेस को यह याद आ रहा है? साईं बाबा ने हमेशा  आध्यात्म और भक्ति-प्रार्थना को ही अपना औज़ार बनाया है, साँई बाबा पर ढोंग  करने, पाखण्ड करने सम्बन्धी आरोप लगते रहे हैं और विवाद होते रहे हैं,  परन्तु साँई बाबा पर घोर कांग्रेसी भी “साम्प्रदायिकता फ़ैलाने” का आरोप  नहीं लगा सकते… परन्तु साँई बाबा द्वारा खड़े किये गये 40,000 करोड़ के साम्राज्य पर “सेकुलर गिद्धों” की बुरी निगाह है, यह बात आईने की तरह साफ़ है।  ये बात और है कि केन्द्र सरकार के बाद, पूरे देश में सबसे अधिक जमीनों और  रियल एस्टेट पर कब्जा यदि किसी का है तो दूसरे नम्बर पर “चर्च” और मिशनरी  ही हैं, लेकिन याद नहीं पड़ता कि कभी कोई सरकार इस बारे कभी चिन्तित हुई हो…  क्या उस अकूत सम्पत्ति के अधिग्रहण के बारे में कभी किसी ने विचार किया  है? किसी की हिम्मत नहीं है (खासकर सोनिया गाँधी के रहते)। 
महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने  वहाँ के सभी प्रसिद्ध और बड़े मंदिरों के ट्रस्टों का पिछले दरवाजे से  अधिग्रहण कर रखा है, मंदिरों में आने वाला भारीभरकम चढ़ावा सरकारों के लिये  “दूध देती गाय” के समान है (लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दू मन्दिर ही)।  मन्दिरों की दुर्दशा पर किसी का ध्यान नहीं जाता, लेकिन वहाँ से आने वाली  85% कमाई सरकार की जेब में जाती है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने  हिन्दू, सिख एवं जैन धार्मिक स्थलों के अधिग्रहण हेतु एक प्रस्ताव केन्द्र  सरकार को भेजा है, जो कि “उचित माहौल और समय” आने पर पारित कर लिया जायेगा।  आम हिन्दू ऐसे मुद्दों पर समर्थन और ठोस कार्रवाई के लिये भाजपा की तरफ़  देखता है, लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगती है। भाजपाई,  हिन्दुओं के हितो का सिर्फ़ “दिखावा” करते हैं, और तय जानिये कि सेकुलर  “दिखाई देने” के चक्कर में, वे न घर के रहेंगे और न घाट के…।  विकल्पहीनता के अभाव में फ़िलहाल हिन्दू भाजपा को वोट दे रहे हैं… लेकिन यह  स्थिति हमेशा रहेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता…। जब सत्य साँई बाबा और  शंकराचार्य जैसे हिन्दुओं के बड़े आस्था पुंज पर अथवा लक्ष्मणानन्द सरस्वती  की हत्या से लेकर साध्वी प्रज्ञा को जेल में ठूंसने पर भी भाजपा सिर्फ़  तात्कालिक हो-हल्ला करके चुप्पी साध लेती हो तब तो निश्चित रूप से भविष्य  अंधकारमय ही है, हिन्दुओं का भी और भाजपा का भी…
चलते-चलते :- अभी कुछ दिनों पहले गोआ के एक मंत्री को मुम्बई एयरपोर्ट पर एक लाख से अधिक अवैध डॉलर के साथ पकड़ा गया था (Goa Minister Held with Dollars), साफ़ है कि वह पैसा ड्रग्स से कमाया गया था और देश के बाहर ले जाया जा रहा था। लेकिन 65 लाख रुपये के लिये राहत फ़तेह अली खान पर हंगामा करने वाले मीडिया ने भी गोआ के इस “ईसाई मंत्री” के कुकर्म पर आँखें मूंदे रखीं, जबकि कस्टम विभाग ने भी उसे बगैर जाँच के छोड़ दिया है… कहा गया है कि गोवा के मंत्री को छोड़ने का आदेश “ऊपर से” आया था…। यानी लुटेरों(कलमाडी) और डाकुओं (ए राजा) के साथ-साथ, अब दिल्ली में “ड्रग स्मगलरों” की भी सरकार काम कर रही है…