Wednesday, May 20, 2009

अडवानी जी की हार हिंदुत्व की विजय ?

अडवानी जी की हार हिंदुत्व की विजय ?

  • बीजेपी यदि इस बार जीत जाती तो यह हिंदुत्व की या बीजेपी की जीत कभी न होती इसे सिर्फ और सिर्फ अडवाणी जी की ही जीत माना जाता।
  • बीजेपी का औपचारिक रूप से कांग्रेसीकरण होना शुरू हो जाता।
  • जिन्न्हा का औपचारिक रूप से महिमा मंडन शुरू हो जाता।अडवाणी जो उद्धरण बना कर हर बीजेपी और आने वाली कई नस्लों को जीत का येही फार्मूला मिल जाता। और इसके विकृत रूप ही सामने आते।
  • धरा ३७० भारत में स्थाई हो जाती।
  • हिंदुत्व का नाम ले वाले को उग्रवादी माने जाना लगता क्योंकि अडवाणी जी जब नेतृत्व कर ही रहे है तो इसके आगे को तो लोग और मीडिया स्वीकार ही न करता।
  • भारत में अगले पञ्च साल राजग के नेतरेत्व में संघ पर जबरदस्त दबाव होता हो सकता था संघ को भंग करने की सलहा भी कुछ राजग के उत्साहित कार्यकर्ता दे देते।
  • बीजेपी को हिन्दुओ को दुत्कारना ही कांग्रेस की तरहे अगले कम से कम बीस साल सत्ता पाने का फार्मूला मिल जाता।
  • बीजेपी की वोटर के रूप में भारत में एक बहुत ही विकृत रूप की कांग्रेस की डुप्लीकेट कॉपी सरकार दिखाई पड़ती।
  • बीजेपी के अन्दर एक बहुत बड़े विभाजन की शुरुवात होजाती।
  • आज कम से कम हम दोबारा से राम मंदिर, धरा ३७० की बात तो करसकते है परन्तु अडवाणी जी नेतरेत्व में सरकार बनने पर यह तो संभव ही नहीं था।अडवाणी जी ने इस बार जिस तरह से राम नाम से परहेज किया हैं वो बहुत ही आश्चर्य जनक है।
  • राम कृष्ण बाबा विश्वनाथ का नाम लेने वाला सरकार में शायद ही कोई होता।


एसा हुआ क्यों की अडवाणी जी हारे -

  • मैं एक घटना का जिक्र जरुर करुंग अभी एक साल पहेले बीजेपी के युवा मोर्च ने अमित ठाकरे के नेतृत्व में दिल्ली में एक रैली की थी जिसमे अडवाणी जी, राजनाथ जी जैसे नेता सभी थे। अमित ने बड़े ही सादगी भावः से अडवाणी जी को परम्परा के अनुसार भगवन शंकर का त्रिशूल मंच पर दिया और फोट खिचवाने का अग्रेह किया। अडवाणी जी की भावः भंगिमाये बता रही थी की इस अग्रेह की बहुत बड़ी सजा अमित को मिलेगी। क्योंकि अडवाणी जी अपना त्रिशूल के साथ फोटो खिंचवाना अपने लिया खतरनाक मानते थे।

इस आशा के साथ की एक दिन लालकिले पर भगवा फेहराया जायगा। जय भारती.