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- ‘जिन्ना, भारत-विभाजन के आईने में’ के कुछ अंश
- स्टेनली वूल्पार्ट ने ‘शेमफुल फ्लाइट’ में लिखा है कि ‘आजादी’ के उन भयानक दिनों में तबाही लाने वाली हत्याओं और विस्थापन के दौर से देश जिस तरह गुजरा, उसके बाद भी नेहरू ने माउंटबेटन के जाते समय उनसे कहा था, ‘संभव है कि हमने-आपने और मैंने, बहुत गलतियां की हों। एक या दो पीढ़ी बाद के इतिहासकार यह फैसला करने योग्य होंगे कि हमने क्या सही किया और क्या गलत। विश्वास कीजिए कि हमने सही करने की कोशिश की है और इसलिए हमारे कई पाप माफ हो जाएंगे और हमारी गलतियां भी।’
‘सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस को (विभाजन की) इतनी ज्यादा जल्दी क्यों थी? क्या इसलिए कि उनका पूरा नेतृत्व तब तक बुरी तरह थक चुका था? या इसलिए कि तब तक अंतरिम सरकार में कांग्रेस ने सत्ता का स्वाद चख लिया था और यह महसूस किया जाने लगा कि अब वे इतनी आसानी से ‘सत्ता’ को छोड़ने के इच्छुक नहीं थे।
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Sunday, August 16, 2009
जसवंत सिंह की किताब और जिन्ना-नेहरू विवाद
जसवंत सिंह की किताब और जिन्ना-नेहरू विवाद
2009-08-16T22:29:00+05:30
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